May 6, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

छठ पूजा की आस्था से खिलवाड़ करते कुछ लोग! सचमुच “भीख” या इरादा कुछ और ?

सिलीगुड़ी के बाजारों में छठ पूजा एवं दीपावली की काफी भीड़ देखी जा रही है. इस बीच बाजार, दुकान, प्रतिष्ठान, सड़क और चौक चौराहों पर कुछ लोगों को हाथ में सूप लेकर भीख मांगते आपने जरूर देखा होगा. सिलीगुड़ी के वेनस मोड़, पानीटंकी मोड़, महावीर स्थान, हिलकार्ट रोड,नया बाजार, चंपासारी, रेगुलेटेड मार्केट, टाउन बाजार और इस तरह से सिलीगुड़ी के लगभग सभी भागों में ऐसे लोगों को वर्तमान में हाथ में सूप लेकर छठ पूजा के नाम पर भीख मांगते आप देख सकते हैं.

केवल सिलीगुड़ी शहर में ही नहीं, बल्कि बस्ती क्षेत्र में भी झुंड के झुंड ऐसे लोग खासकर महिलाएं देखी जा सकती हैं. यह लोग हाथ में सूप लेकर दरवाजे दरवाजे जाते हैं और छठ मैया के नाम पर पैसे मांगते हैं. अनेक लोग धर्म और आस्था के नाम पर जेब से निकाल कर ₹5, ₹10 सूप में रख देते हैं. जो लोग सूप में ₹5, ₹10 रख देते हैं, वे अक्सर यही चर्चा करते हैं कि क्या ऐसी महिलाएं सचमुच छठ व्रत करती हैं या फिर छठ व्रत के नाम पर भीख मांगने का यह कोई नया आईडिया है. लेकिन इसका जवाब किसी के पास भी नहीं है.

लोग असमंजस में ही छठ मैया के नाम पर भीख देते हैं. वे यह नहीं पूछते कि जो लोग उनसे मांगने आ रहे हैं, क्या सचमुच व्रत के लिए वह ऐसा कर रहे हैं. जो भी हो, स्थिति तब चिंताजनक बन जाती है, जब कोई व्यक्ति छठ मैया के नाम पर पैसे देने से मना करता है, तब उनकी तरफ से छठ मैया का डर दिखाया जाता है. हो सकता है कि कुछ महिलाएं सचमुच पौराणिक परंपरा के अनुसार छठ पूजा के लिए भीख मांगती हैं. परंतु अधिकांश महिलाएं जिन्हें छठ महापर्व की पौराणिक गाथा और परंपरा का ज्ञान तक नहीं है, वह भी छठ मैया के नाम पर भीख मांगती हैं. इससे असली और नकली में पहचान करना मुश्किल हो गया है.

आज हम आपको बताते हैं कि छठ पूजा के लिए सूप में महिलाएं भीख क्यों मांगती हैं? इसके पीछे आध्यात्मिक और मनोवैज्ञानिक कारण है. मनौती से जुड़ी इस परंपरा को लेकर अलग-अलग दंत कथाएं प्रचलित हैं. आस्था व सूर्य उपासना का महापर्व छठ की अपनी महिमा है. कहा जाता है कि छठी मैया की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.असाध्य रोगों का नाश होता है, तो परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है. यह कठिन व्रत है.

छठ मैया से मनौती मांगी जाती है तथा मनौती पूर्ण होने पर मनौती मांगते वक्त किए गए वादे के अनुरूप ही छठ पूजा की जाती है. भगवान भास्कर की आराधना के इस महापर्व में आस्था के कई रूप देखने को मिलते हैं. इसी में भीख मांग कर भी छठ करने की परंपरा रही है. महिलाएं खुद या फिर अपनी संतान से सूप में भीख मंगवाती हैं तथा भीख में मिले अनाज अथवा पैसे से छठी मैया की श्रद्धा भाव से आराधना की जाती है. लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार नहाए खाए के दिन ही छठी मैया के लिए भीख मांगी जाती है. उससे पहले नहीं. सच तो यही है.

इसी बात से आप समझ सकते हैं कि छठ पूजा से कई दिन पहले वर्तमान में सिलीगुड़ी में हाथ में सूप लेकर दुकान दुकान या घर-घर भीख मांगती महिलाओं का सच क्या है. मनौती वाली परंपरा में छठ पूजा के लिए भीख केवल नहाए खाए के दिन ही मांगी जाती है. भीख में मिले पैसे और अनाज से छठ व्रत किया जाता है. इसलिए वर्तमान में जो महिलाएं अथवा बच्चे ऐसा कर रहे हैं, उनमें से अधिकांश छठ पूजा के बहाने भीख मांगने का नया तरीका अपना रहे हैं. जैसे-जैसे वक्त नजदीक आता जाएगा, ऐसी महिलाएं और बच्चों की संख्या भी बढ़ती जाएगी.

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