यूं तो दार्जिलिंग का मौसम काफी सुहावना था, पर दार्जिलिंग जिला कोर्ट का वातावरण काफी गर्म था. आसपास के गांवों और कस्बों से निकलकर काफी संख्या में स्त्री पुरुष, युवक युवतियां उस शिक्षक को देखने आए थे, जिस पर आरोप था कि उसने अपने ही स्कूल की एक नाबालिग छात्रा का शारीरिक शोषण किया था और पुलिस उस शख्स को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने ले जाने वाली थी. अदालत परिसर में लोग काफी देर से पुलिस की गाड़ी का इंतजार कर रहे थे. वे बेहद आक्रोशित थे.
जैसे ही पुलिस की गाड़ी आरोपी शिक्षक को लेकर अदालत परिसर में पहुंची, अचानक ही मुलजिम को देखते ही भीड़तंत्र हमलावर हो उठा. पुलिस ने भी शायद ऐसी घटना की उम्मीद नहीं की होगी, जब भीड़ पुलिस की मौजूदगी की परवाह नहीं करते हुए गाड़ी के खुले गेट की ओर भागी. इससे पहले कि कोई कुछ समझता, भीड ने आरोपी शिक्षक को दबोच लिया और उसे गाड़ी से नीचे खींचकर लात घूसों से उसकी पिटाई शुरू कर दी. दुष्कर्म के आरोपी शिक्षक को गिरा गिरा कर मारा. यह सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि पुलिस भी स्तब्ध रह गई.
फिर जब पुलिस को अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य का एहसास हुआ तो भीड़ के हमले से आरोपी शिक्षक को बचाने में जुट गई. बड़ी मुश्किल से पुलिस ने आरोपी शिक्षक को भीड़ से बचाया. लोगों को न्याय का भरोसा दिया. लेकिन पब्लिक थी कि वह जरा भी इसे बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं थी. आखिरकार बीच बचाव करने और भीड़ को भरोसा देने के बाद पुलिस मुलजिम को अदालत में ले जाने में कामयाब हुई.
यह मामला 1 जून 2024 का है. दार्जिलिंग के एक स्कूल में पढ़ने वाली मानसिक रूप से बीमार एक 14 वर्षीया नाबालिक छात्रा के साथ एक शिक्षक मोहम्मद हाशिम द्वारा शारीरिक शोषण करने का मामला पूरे पहाड़ में गूंजने लगा. पीड़ित बालिका तथा उसके घर वालों ने इस मामले की जानकारी दार्जिलिंग सदर थाने को दी. पीड़ित बालिका के बयान के बाद सदर थाने में आरोपी शिक्षक मोहम्मद हाशिम के खिलाफ पुलिस ने शिकायत दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी. इस मामले को सदर थाने में सेक्शन 10 पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज करके पुलिस ने आरोपी शिक्षक की तलाश शुरू कर दी.
मामला काफी गंभीर था और संवेदनशील भी. इसलिए पुलिस ने जरा भी ढिलाई नहीं बरतते हुए आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया और उसे गिरफ्तार कर लिया. सोमवार को मुलजिम को अदालत में पेश किया जाना था. लेकिन रात में ही पूरे पहाड़ में इस घटना की प्रतिक्रिया ऐसे हुई कि लोग आक्रोश में आ गये थे. दार्जिलिंग पहाड़ में कुछ मामले लोगों के जज्बात से जुड़ जाते हैं. सिलीगुड़ी में एक मामला मोहम्मद अब्बास का तो पहले से ही चल रहा है. इस तरह का यह दूसरा मामला था, जहां पहाड़ के स्त्री पुरुष, युवक युवतियां आरोपी का खुद ही हिसाब करने निकल पड़े थे.
प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार अगर पुलिस ने बीच बचाव नहीं किया होता तो भीड़ पुलिस वैन के अंदर ही मोहम्मद हाशिम को मार मार कर उसे अधमरा कर देती. कुछ भी हो सकता था. लेकिन पुलिस की सक्रियता और मोहम्मद हाशिम का सुरक्षा ढाल बनने के कारण ही मोहम्मद हाशिम बच गया. अदालत परिसर में उपस्थित भीड़ नारे लगा रही थी और अदालत से तुरंत इंसाफ करने की मांग कर रही थी. यह मामला दार्जिलिंग जिला अदालत के स्पेशल कोर्ट में चल रहा है.
दार्जिलिंग जिला अदालत के लोक अभियोजक प्रणय राई ने बताया कि आरोपी शिक्षक के खिलाफ पोस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है. अदालत की ओर से मुलजिम पक्ष की ओर से पेश की गई जमानत याचिका को निरस्त कर दिया गया और उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में रखने का पुलिस को आदेश दिया गया है. विशेष अदालत ने पुलिस को यह भी निर्देश दिया है कि एक महीने के अंदर ही मामले की चार्जशीट अदालत में पेश करे. ताकि मुकदमे की कार्रवाई शुरू की जा सके. प्रणय राई ने खबर समय को बताया कि स्पेशल कोर्ट ने पुलिस को पीड़ित बालिका की ओर से एक दुभाषिया नियुक्त करने का भी निर्देश दिया है.
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