इस देश में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं, जिनके लिए खुद से ज्यादा देश की चिंता बड़ी होती है. ऐसे सच्चे देशभक्त बड़ी से बड़ी घटनाओं पर विचलित नहीं होते. चाहे उनका अपना बेटा ही क्यों ना चला जाए! लेकिन इस मार्मिक वेदना से ज्यादा वे देश की चिंता करते हैं और देश सेवा की बात करते हुए देश के लिए हमेशा मर मिटने को तैयार रहते हैं. उनका एक ही सपना होता है, देश सेवा. देश किसी तरह बचना चाहिए. ऐसे लोग देश सेवा का प्रचार भी नहीं करते. वे तो चुपचाप अपना काम करते रहते हैं.
जरा सोचिए जिस पिता को अपने 27 वर्षीय फौजी बेटा के शहीद होने का समाचार मिले तो उस पर क्या बीतती होगी. पर शहीद फौजी बेटा का फौजी बाप अपने बेटे की शहादत पर दुख नहीं गर्व कर रहा है. वह लोगों को संदेश दे रहा है, जहां भी रहो, देश के लिए काम करो. देश सेवा जरूरी है. ऐसे दुख के वातावरण में अगर कोई सामान्य पिता होता तो आप सोच सकते हैं कि उस पर क्या बीत रही होती! पर इस तरह के अल्फाज एक पिता के मुंह से निकले तो आप समझ सकते हैं कि उनके रोम रोम में देश सेवा के अलावा कुछ भी नहीं होता है.
शहीद बृजेश थापा के गम में दार्जिलिंग शोकाकुल है. सिलीगुड़ी में उनके घर पर शोक सांत्वना व्यक्त करने वालों की भीड़ लगी है. शहर की बड़ी-बड़ी हस्तियां मौजूद हैं. वे खुद काफी दुखी हैं. पर इस पिता की आंखों में आंसू नहीं, बल्कि इस बात की चमक है कि उनके बेटे ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्यागे हैं. जब रिटायर्ड कर्नल भुवनेश थापा से पूछा गया कि आतंकवादियों की इस कार्रवाई का हमारी सरकार को क्या जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार इसका जरूर जवाब देगी.
सोमवार की रात आतंकवादियों ने एक ऑपरेशन के दौरान जम्मू कश्मीर के डोडा से 4 घंटे दूर एक पहाड़ी जंगल पर हमला कर दिया था. भुवनेश थापा बताते हैं कि रविवार की सुबह फोन पर उनके बेटे से बात हुई थी. कैप्टन बृजेश थापा ने कहा कि जंगल में आतंकवादी घुस आए हैं. आतंकवादियों का मुकाबला करने के लिए हमारी टीम तैयार है. पिता ने बड़ा गर्व किया. बृजेश थापा ने कहा कि अभी समय कम है. बाद में बात करूंगा… यही उनके अंतिम अल्फ़ाज़ थे. उसके बाद उनकी शहादत का ही समाचार मिला.
एक कहावत है कि बच्चा बड़े होकर क्या बनना चाहता है, यह बचपन में ही दिख जाता है. कैप्टन बृजेश थापा बचपन से ही बहादुर और देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखते थे , बचपन में ही इसकी झलक दिख गयी . कर्नल भुवनेश थापा बताते हैं कि बेटा बचपन से ही सेना के प्रति बहुत आकर्षित था. उन्होंने शहीद बृजेश थापा के बारे में बताया कि जिस समय वह सेना में थे तो सेना की गाड़ी में वह सेना की परंपरा के अनुसार आगे बैठते थे. जबकि उनका बाकी परिवार पीछे वाली सीट पर बैठता था. उनमें शहीद बृजेश थापा भी था. तब बृजेश थापा ने कहा था कि पापा एक दिन मैं भी आगे बैठूंगा और उसने यह कर दिखाया!
शहीद बृजेश थापा सेना के लिए ही पैदा हुए थे. उन्होंने मुंबई के कॉलेज से बीटेक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. कहीं भी उन्हें सरकारी नौकरी मिल सकती थी. लेकिन उन्होंने सेना को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया. देश सेवा उनके जीन में थी और जब मौका आया तो उन्होंने एक कुशल सैनिक बनकर आतंकवादियों के छक्के छुड़ा दिए. हालांकि आतंकवादियों की गोलीबारी में वे शहीद भी हो गए.
खबर समय के साथ एक मुलाकात में शहीद बृजेश थापा के माता-पिता ने यह किंचित मात्र एहसास होने नहीं दिया कि उन्होंने एक जवान बेटा खोया है. इतना बहादुर परिवार विरले ही देखने को मिलता है. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव जब शहीद के पिता से मिलने उनके घर पहुंचे तो उन्होंने भी अपनी पहली प्रतिक्रिया में कुछ ऐसा ही महसूस किया है. गौतम देव ने कहा कि देश के युवाओं को इस परिवार से प्रेरणा लेनी चाहिए. इस परिवार के लिए देश से बड़ा कुछ नहीं है. धन्य है ऐसा परिवार!
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