गोरखा समुदाय के 12 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मुद्दा यह कोई नया मामला नहीं है, समय समय पर यह मुद्दा जोर पकड़ता रहता है, लेकिन किसी ना किसी त्रुटि या सही नेतृत्व ना होने के कारण यह मुद्दा फिर ठंडा पड़ जाता है | लेकिन इस बार जो यह मुद्दा उठा है ,तभी से यह चर्चा में बना हुआ है, क्योंकि इस बार इस मुद्दे को लेकर सिक्किम, दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, डुआर्स एक जुट हो चुके है |
बता दे कि, गोरखा समुदाय के 12 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए 6 अक्टूबर को एक संयुक्त कमेटी का गठन किया गया था और इस कमेटी को लेकर एक बैठक सिलीगुड़ी में की गई थी, जिसका नेतृत्व सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने किया था | पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले गोरखा समुदाय को 12 जनजातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर इस कमेटी का गठन किया गया था और इस बैठक को एक ऐतिहासिक बैठक भी करार दिया गया था | मालूम हो कि, 6 अक्टूबर को हुए बैठक में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग,दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट और दार्जिलिंग के 11 जनजातियों और सिक्किम के 12 जनजातियों के प्रतिनिधि, इसके अलावा सिक्किम के सांसद इंद्र हांग सुब्बा, डीटी लेपचा,सिक्किम के मंत्रिमंडल के सदस्य दार्जिलिंग, कालचीनी, के विधायक व अन्य गणमान्य लोगों के साथ कई नागरिक उपस्थित हुए थे | इस बैठक में जनजातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए कार्रवाई समिति का गठन किया गया, जो कि, यह कमेटी इस मुद्दे में एकजुट होकर काम करेगी | वही इस बैठक को लेकर राजनीतिक माहौल भी काफी गरमा गया था, क्योंकि इस बैठक में सिक्किम के मुख्यमंत्री तो शामिल थे, लेकिन बंगाल सरकार के प्रतिनिधि और जीटीए के कोई भी कार्यकारी या नेता उपस्थित नहीं थे ,इसी को लेकर कई सवाल भी खड़े हुए थे | वहीं अब जनजाति मान्यता को लेकर ज्वाइंट एक्शन फोरम ट्राईबल कमेटी ने एथनोग्राफिक रिपोर्ट संयुक्त रूप से तैयार की है और ज्वाइंट एक्शन फोरम की बैठक में इस रिपोर्ट को केंद्र सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया है |
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