May 5, 2024
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उत्तर बंगाल राजनीति सिलीगुड़ी

तृणमूल कांग्रेस में ‘युवा’ और ‘वरिष्ठ’ की लड़ाई कहीं पार्टी को ही संकट में ना डाल दे!

तृणमूल कांग्रेस का स्थापना दिवस कार्यक्रम संपन्न हो चुका है. पार्टी को ऊंचाइयों पर ले जाने की बात कही जा रही है. लेकिन यह कैसे होगा. चर्चा इसी पर चल रही है. इस चर्चा के केंद्र में दो ध्रुव बन गए हैं. एक का नेतृत्व ममता बनर्जी कर रही हैं तो दूसरे ध्रुव का नेतृत्व अभिषेक बनर्जी कर रहे हैं.

अभिषेक बनर्जी चाहते हैं कि पार्टी में युवा लोगों को आगे आना चाहिए और जो लोग वरिष्ठ हैं या उम्र दराज हो गए हैं उन्हें इस्तीफा देकर अलग हो जाना चाहिए, ताकि नए लोगों को मौका मिल सके. इसके विपरीत ममता बनर्जी चाहती है कि पार्टी में अनुभवी और वरिष्ठ लोगों का रहना जरूरी है.

अभिषेक बनर्जी और ममता बनर्जी के बीच विचारधारा की लड़ाई चल रही है. ऐसे में पार्टी के अंदर दो गुट बन गए हैं. एक गुट अभिषेक बनर्जी का समर्थन कर रहा है तो दूसरा गुट ममता बनर्जी के साथ है. कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो यह चाहते हैं कि पार्टी की स्थापना करने वाली ममता बनर्जी ही अंतिम निर्णय लें.

दरअसल आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर यह तैयारी चल रही है. अभिषेक बनर्जी का मानना है कि पार्टी में नए लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो अपनी ऊर्जा और क्षमता से पार्टी को मजबूती दिला सके. ममता बनर्जी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान करने की बात कर रही है. अभिषेक बनर्जी का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ ही कार्य दक्षता में गिरावट आने लगती है.

जिस तरह से नौकरी में सेवानिवृत्ति की उम्र तय होती है. इसी तरह से राजनीति में भी सेवानिवृत्ति की उम्र होनी चाहिए. अभिषेक बनर्जी का समर्थन कई पार्टी नेता कर रहे हैं. इनमें से सबसे करीब है कुणाल घोष. हालांकि वह नए और पुराने नेताओं के बीच किसी तरह की खींचतान से इनकार करते हैं.पर यह जरूर कहते हैं कि पुराने नेताओं को यह पता होना चाहिए कि उन्हें कहां रुकना है और अगली पीढ़ी के नेताओं के लिए उन्हें जगह भी बनानी है.

अब उनके बयान का तृणमूल कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता विरोध कर रहे हैं. इन नेताओं में मौजूदा सांसद ,मंत्री और विभिन्न पदों पर आसीन कई नेता शामिल है.लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय कहते हैं कि हमें किसी भी बहस में नहीं पड़ना है. पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी हैं और उनका निर्णय ही अंतिम निर्णय है.

कई नेताओं का यह भी मानना है कि तृणमूल कांग्रेस में युवा और बुजुर्ग दोनों तरह के नेताओं की आवश्यकता है. कुछ नेता यह भी कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस में उम्र की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. राजनीतिक विश्लेषक और जानकार को लगता है कि पार्टी के दो सुप्रीम नेताओं के बीच बहस कहीं तृणमूल कांग्रेस के भीतर ही असंतोष उत्पन्न ना कर दे, जिससे कि लोकसभा चुनाव के समय पार्टी को खामियाजा उठाना पड़े.

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