November 16, 2025
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प्रधानमंत्री आवास योजना में जिसे घर मिला, वह बांग्लादेशी निकला!

The person who got a house under the Prime Minister's Housing Scheme turned out to be a Bangladeshi!

एक नए अध्ययन से पता चलता है कि उत्तर बंगाल के कूचबिहार,अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी ,दार्जिलिंग मालदा आदि सीमांत इलाके में रहने वाले अधिकतर लोग बांग्लादेश से भाग कर आए हैं. वे बंगाल में सभी दस्तावेज बनाकर रहते हैं और यहां की सरकारी सुविधा पाते हैं. उनमें से कौन बांग्लादेशी है और कौन भारतीय, अब इसकी पड़ताल तेज हो गई है और धीरे-धीरे सच्चाई सामने आने लगी है. NIA को एक ऐसी सच्चाई हाथ लगी है, जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दिनहाटा के एक बांग्लादेशी को प्रधानमंत्री आवास योजना में घर मिल चुका है.

कहते हैं कि झूठ को ज्यादा समय तक छुपाए नहीं जा सकता और गलत काम पर पर्दा नहीं डाला जा सकता. एक न एक दिन सच सामने आ ही जाता है. दिनहाटा के आरिफ हुसैन का भी सच सामने आ गया है, जिसके पास भारतीय आधार कार्ड, वोटर कार्ड और सभी दस्तावेज हैं. यह दस्तावेज असली है अथवा नकली. फिलहाल इसकी जांच चल रही है. लेकिन यह प्रमाणित हो चुका है कि वह बांग्लादेशी है. आरिफ हुसैन के बांग्लादेशी होने का पता तब चला, जब दिल्ली बम विस्फोट कांड में NIA की टीम ने कूचबिहार जिले में रहने वाले आरिफ हुसैन के घर पर रेड डाला था.

आरिफ हुसैन दिनहाटा दो ब्लॉक के बांग्लादेश सीमा से सटे नयारहाट ग्राम पंचायत के अधीन नंदिना गांव में रहता है. वह जिस घर में रहता है, घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उसे अलॉट किया गया है. टीम के अधिकारी आरिफ हुसैन को गिरफ्तार करने के लिए गए थे. लेकिन आरिफ को पहले ही खतरे का एहसास हो गया था और NIA के पहुंचने से पहले ही वह फरार हो गया. इसलिए अधिकारी उसे गिरफ्तार नहीं कर सके. अब पुलिस उसकी तलाश में छापेमारी कर रही है.

आरिफ हुसैन के बारे में अब तक जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार वह मूल रूप से बांग्लादेश का निवासी है. लगभग 12 साल पहले वह भारत आया और भारत के कई शहरों में मेहनत मजदूरी करने लगा. वह दिल्ली और मुंबई में भी रहा है. दिल्ली में उसने 5 साल काम किया और कुछ पैसे कमाने के बाद वह नंदिना गांव में जमीन लेकर बस गया. इसके बाद उसने नंदिना गांव के ही निवासी इस्माइल मियां की बेटी से शादी कर ली और घर जमाई बन गया. वह पिछले 5 सालों से ससुराल में रह रहा है.

मिल रही जानकारी के अनुसार आरिफ हुसैन की एक कपड़े की दुकान भी है, जो वह नयारहाट में चलाता है. आरिफ की सास सायरा बीवी का कहना है कि वह आरिफ को सिर्फ 5 साल से ही जानती है. उसे सिर्फ इतना पता है कि वह बांग्लादेश के ढाका का रहने वाला है. जब आरिफ की बीवी से आरिफ के बारे में पूछा गया तो उसने उसके बारे में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

आरिफ हुसैन पर दिल्ली बम विस्फोट कांड से जुड़ा होने का आरोप है. इसलिए NIA की टीम उसे गिरफ्तार करना चाहती है. पुलिस और सुरक्षा जांच एजेंसियों की ग्राम में मौजूदगी ने आरिफ हुसैन के बारे में एक-एक करके सच्चाई सामने लाना शुरू कर दिया है. स्थानीय पंचायत सदस्य मंसूर अली का कहना है कि आरिफ एक बांग्लादेशी है. उन्होंने बताया कि यह युवक 10 12 साल पहले बांग्लादेश से भाग कर भारत आया था और भारत आने के बाद वह बांग्लादेश लौट कर नहीं गया.

गांव के लोगों ने बताया कि आरिफ हुसैन दिल्ली और गुजरात में प्रवासी मजदूर के रूप में काम करता है. उसने नयारहाट ग्राम पंचायत के अंतर्गत नंदिना गांव में अपना स्थाई डेरा डाला और सभी तरह के दस्तावेज बनाकर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर भी पा लिया. स्थानीय लोगों ने बताया कि आरिफ ने 2017 2018 में प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया था. बीडियो कार्यालय के लोगों ने सर्वे भी किया. वोटर कार्ड और आधार कार्ड को प्राथमिक पहचान मानकर उसके नाम पर घर स्वीकृत कर दिया गया.

आरिफ हुसैन के बांग्लादेशी होने का प्रमाण खुद उसकी सास ने दिया है.आरिफ हुसैन की सास सायरा बीवी के अनुसार वह बांग्लादेश का रहने वाला है.एनआईए की छापेमारी के डर से वह फरार हो गया है. अधिकारियों ने उसका बैंक खाता और सभी दस्तावेजों की जांच की है. उसका एक मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी जब्त कर लिया गया है. अधिकारी सीडीआर को खंगाल रहे हैं. आरिफ हुसैन को गिरफ्तार करने के लिए बंगाल पुलिस सभी संभावित ठिकानों पर दबिश डाल रही है. बहर हाल देखना होगा कि आरिफ हुसैन की कब तक गिरफ्तारी होती है और क्या कुछ नया सच सामने आता है!

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