क्या हम यह कहे कि यह कलियुगी मां थी? या यह कहा जाए कि वह कलियुगी बेटा था? मां तो ममता की मूरत होती है. अपनी संतान के लिए मां हमेशा जान निछावर करने को तैयार रहती है. चाहे उसकी संतान कितनी ही ज्यादा निकम्मी क्यों ना हो, लेकिन संतान पर लगने वाली एक खरोंच को भी देखकर उसका दिल रोने लगता है. मां चाहती है कि उसकी संतान की सारी पीड़ा उसे ही मिले. और संतान मां की इस ममता को समझती ही नहीं है.
अब वह युग तो नहीं रहा, जहां मां के आदेश को उसका बेटा सर झुका कर स्वीकार करता था और उसका पालन भी करता था. ना ही वह मां रही जो अपने बेटे को संस्कार व नैतिकता का पाठ पढ़ाती थी. क्योंकि कलियुग में ऐसी मांए बहुत कम रह गई है. कलियुग में पिता-पुत्र, मां बेटी या बेटे के बीच सतयुगीय संबंध नहीं रहे. यही कारण है कि इस युग में वह हो रहा है, जिसकी कभी कल्पना तक नहीं की गई थी.
अक्सर मांए संतान को सुधारती हैं. लेकिन यह ऐसा कांड है, जहां बेटे ने मां को ही सुधारना चाहा. कभी-कभी मां गलत हो सकती है. लेकिन मां को समझाने का बेटे का तरीका अत्यंत निंदनीय और मां और बेटे के रिश्ते को धूमिल करने वाला है. सिलीगुड़ी के एक नंबर वार्ड कुलीपाड़ा राजेंद्र नगर इलाके की यह घटना कुछ ऐसी ही है, जहां बेटे ने मां को समझाने का जो तरीका निकाला, उसकी जितनी भी निंदा की जाए, कम ही है. इस बेटे ने साबित कर दिया कि कलियुग में संतान ममता की कोई लाज नहीं रखती. बेटे ने गुस्से में आपा खोकर तेज धार हथियार से मां को मौत के घाट उतार डाला.
मृतका मां का नाम कौशल्या मलिक है. उनके पति का देहांत काफी समय पहले हो चुका था. कौशल्या के पति सिलीगुड़ी नगर निगम में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करते थे. उनकी मृत्यु के बाद कौशल्या उनकी जगह पर काम कर रही थी. उनके परिवार में दो बेटे थे. बड़ा बेटा संतोष मलिक नशेड़ी था. वह हमेशा नशे में डूबा रहता था. जबकि उनका छोटा बेटा अजय मलिक पढ़ा लिखा नौजवान था. वर्तमान में वह एक निजी बैंक में पार्ट टाइम नौकरी करता था.
इस तरह से परिवार में मां और छोटा बेटा ही घर को चला रहे थे. कौशल्या मलिक नौकरी के अलावा घर में बांस से टोकरी तथा अन्य सामग्री तैयार करती और बाजार में बेचती थी. लेकिन मां को पीने की एक बुरी लत लग गई थी. स्थानीय लोगों के अनुसार कौशल्या का पास पड़ोस से संबंध अच्छा नहीं था. वह अक्सर गाली गलौज करती थी, जिसको लेकर अजय काफी परेशान रहता था. वह बैंक में नौकरी करता था. वह घर में शांति और सुकून चाहता था. लेकिन मां की हरकतों को लेकर उसे हमेशा पड़ोसियों से मां की शिकायत सुननी पड़ती थी.
शाम के 5:00 बजे थे. अजय बैंक से घर लौटा ही था कि उसे पता चला कि आज फिर से उसकी मां ने पास पड़ोस से झगड़ा किया है. इसके बाद वह मां से बात करने कमरे के अंदर चला गया और उसने दरवाजा बंद कर दिया. ताकि बाहर से लोग उनकी बातचीत को नहीं सुन सके. कुछ देर के बाद दरवाजा खुला तो वहां प्रधान नगर पुलिस की गाड़ियां और एम्बुलेंस खड़ी थी. उसी समय पड़ोसियों को पता चला कि अजय ने अपनी मां का खून कर दिया है. उसने मां की हत्या करने के बाद सीधे पुलिस को फोन किया था और पुलिस के आने के बाद ही लोगों को इस बात की जानकारी हुई. जल्द ही यह खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल गई.
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर अजय को अपनी हिरासत में ले लिया. इसके बाद पुलिस ने आवश्यक लिखा पढी करते हुए मृतका को रक्त रंजित अवस्था में लाश को सिलीगुड़ी जिला अस्पताल भेज दिया. वहां पीड़िता की मौत की पुष्टि होने के बाद उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए आज उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया है. आज ही कलियुगी बेटे को भी सिलीगुड़ी कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. प्रधान नगर पुलिस अजय मलिक से पूछताछ कर रही है. पुलिस यह पता लगाना चाहती है कि आखिर उस दिन क्या हुआ था, जब अजय मलिक ने मां को मौत के घाट उतार दिया!
अजय मलिक के बारे में पड़ोसियों से जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार वह शांत और शिक्षित लड़का था. इलाके में हर कोई उसके व्यवहार की तारीफ करता है. लेकिन लोग हैरान है कि आखिर अजय मलिक ने मां की हत्या करने का कदम कैसे उठा लिया? क्या वह क्रोध में अपना नियंत्रण खो चुका था? सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 1 के पार्षद संजय पाठक ने भी हैरानी व्यक्त की है. उन्होंने इस घटना के बारे में कुछ भी बताने से इनकार किया है. जो भी हो, इस घटना से इलाके में लोग हैरान हैं और एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि क्या कलयुगी बेटे की यही पहचान है? जब तक हत्या के कारणों का पता नहीं चल जाता, तब तक ममता के आंचल और माता पुत्र के संबंध पर सवाल उठते रहेंगे!
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