सिलीगुड़ी: चंपासारी क्षेत्र में फिर बसने लगे हैं बाजार, नगर निगम द्वारा कड़ी कार्रवाई के बाद भी यह व्यापारी बाज नहीं आ रहें, क्या इनको नगर निगम के बुलडोजर से डर नहीं लगता, क्योंकि जब भी नगर निगम का बुलडोजर चला है तब तब उसने सब कुछ तीतर बितर कर दिया है | लेकिन सवाल यह है कि, आखिर क्यों नगर निगम के फरमान को अनदेखा कर वे फिर से सड़क किनारे अपनी व्यापार को जमाने की कोशिश कर रहे हैं ?
और गौर करें तो चंपासारी के इस बाजार में ज्यादातर व्यापार करने वाले व्यापारी बूढ़े बुजुर्ग ही है, जो हालात के सामने बेबस है और उन्हें अपनी बेबसी के सामने नगर निगम का बुलडोजर भी कम लग रहा है | कहते है, जब भूख की ज्वाला धधकती है तब अच्छे से अच्छा इंसान भी अपराधी घटना कर बैठता है, तो खैर ये तो व्यापारी है | लगातार 25 से 30 साल से वे इस क्षेत्र में अपनी दुकानों को चलाकर परिवार का भरण पोषण कर रहे थे, लेकिन अचानक नगर निगम ने उनके इस अवैध दुकानों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया |
बीते साल ही त्यौहारों से पहले जब नगर निगम का बुलडोजर चंपासारी के इस बाजार में चला था, तब बिलखती आंखों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी, उस मंजर को कैसे भूल सकते है, जब यहाँ पहली बार नगर निगम ने बुलडोजर चलाया था, तब एक बुजुर्ग महिला ने बिलख बिलख कर मुख्यमंत्री और स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई थी, वो रो-रोकर बोल रही थी, इस उम्र में मैं कहां जाऊ, क्या करू, कर्जा लेकर व्यापार कर रही हूँ, इस बुजुर्ग महिला की बिलखती आंखों को देख लोगों का दिल भर आया था | वहीं नगर निगम भी इतना पत्थर दिल तो नहीं था, लोगों की बेबसी को समझते हुए नगर निगम ने भी त्यौहारों के बाद दुकानों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया,कुछ महीनो के लिए व्यापारियों को छूट दी गई, लेकिन बीते दिसंबर को नगर निगम ने चंपासारी में लगने वाले इस बाजार को पूरी तरह उजाड़ दिया |
उस दौरान भी ऐसे कई दुकानदार और व्यापारी थे जिनकी आंखें नम हो गई, सही भी है मजबूत दिल इंसान भी रोजी-रोटी पर बुलडोजर चलता देख उसकी आंखों से आंसू बह ही जाएंगे, ये तो मामूली से दिन कमाने और खाने वाले व्यापारी है, जो कुछ सब्जी कुछ फल लेकर 20-25 सालों से इलाके में व्यापार कर रहे थे, लेकिन लगता है नगर निगम के बुलडोजर के सामने इनकी जरूरत और लाचारी ने दम तोड़ दिया है, यह व्यापारी फिर से उसी जगह व्यापार करने लगे हैं, महिलाएं कुछ सब्जियां लेकर ग्राहकों का इंतजार करती है, तो कुछ वृद्ध फलों की टोकरियों में फल सजा कर ग्राहकों को बुलाते हैं, शायद नगर निगम को भी इनके पीड़ा का एहसास है, इसलिए तो त्यौहारों तक की मोहलत इन व्यापारियों को दी गई थी |
शहर में विकास भी जरूरी है और बेरोजगार होते व्यापारियों को रोजगार देना भी शायद जरूरी है, क्योंकि लगभग एक दशक से यहां व्यापार कर रहे, व्यापारी अचानक से बेरोजगार हो गए हैं, जिसके कारण उनके परिवार वालों की रीढ़ की हड्डी टूट गई है, उम्र के इस पड़ाव में बेरोजगार हुए, वृद्ध क्या करें, बढ़ती उम्र के कारण काम नहीं कर पाते हैं और ना ही अपना दुखड़ा सुनाकर किसी के सामने हाथ फैला सकते है , आखिर करे तो क्या ? फिलहाल तो चंपासारी में फिर से छोटे-छोटे व्यापारी संक्रिय हो रहे हैं और इसका परिणाम क्या होगा ? यह आने वाला समय निर्धारित करेगा |
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