जब रविवार की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी शपथ ले रहे थे, तब पूरे देश के साथ-साथ पहाड़ के लोगों की नजर भी टीवी पर चिपकी थी. उन्हें लग रहा था कि दार्जिलिंग से दो बार से जीते सांसद राजू बिष्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. लेकिन निराशा उस समय अत्यधिक बढ़ गई, जब पश्चिम बंगाल से जीते बीजेपी के दो सांसदों को राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिला दी गई और उसके बाद आखिर तक सूची में कहीं भी राजू बिष्ट का नाम शामिल नहीं था.
पश्चिम बंगाल से भाजपा के 12 सांसद चुने गए हैं. उनमें से उत्तर बंगाल से 6 सांसद हैं. जबकि दक्षिण बंगाल से भी भाजपा के 6 सांसद चुने गए हैं. मोदी मंत्रिमंडल में उत्तर बंगाल से एक और दक्षिण बंगाल से एक-एक भाजपा सांसद को राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है.शपथ लेने वाले मंत्रियों में उत्तर बंगाल से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और दक्षिण बंगाल से मतुआ समुदाय के नेता शांतनु ठाकुर शामिल है. शांतनु ठाकुर मोदी सरकार दो में भी जहाजरानी राज्य मंत्री रहे थे.
हालांकि भाजपा नेतृत्व ने उत्तर और दक्षिण के संतुलन का जरूर ध्यान रखा है, परंतु वोट प्रतिशत और भाजपा सांसदों को मिले वोटो की बात करें तो दार्जिलिंग से राजू बिष्ट ने भाजपा के विजई सभी सांसदों से अधिक वोट हासिल किया है. राजू बिष्ट ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी गोपाल लामा को 178 000 मतों के अंतर से हराया था. पिछली बार में उन्होंने लगभग चार लाख मतों के अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को हराया था. दार्जिलिंग के लोग कई कारणो से राजू बिष्ट के मंत्री बनने को लेकर आश्वस्त थे. राजू बिष्ट पहले सांसद हैं, जो दार्जिलिंग से दो बार सांसद चुने गए हैं अन्यथा भाजपा का 2009 से ही रिकॉर्ड रहा है कि भाजपा ने कभी भी यहां से अपने सांसद को दोबारा मौका नहीं दिया है.
राजू बिष्ट सर्वाधिक मतों के अंतर से जीते थे. इसलिए भी उन्हें केंद्र में मंत्री बनाए जाने की संभावना पहाड़ के लोग देख रहे थे. चुनाव से पूर्व भाजपा ने गोरखा समुदाय के कई मुद्दों पर बात करते हुए गोरखा समुदाय को भरोसा दिया था कि उनकी समस्याओं का सही और स्थाई राजनीतिक समाधान किया जाएगा. इनमें गोरखा 11 जनजातीय का मुद्दा और स्थाई राजनीतिक समाधान पीपीएस भी शामिल है. इसे पूरा करने के लिए यह जरूरी था कि मोदी मंत्रिमंडल में किसी भी गोरखा चेहरे को जगह दी जाती. अब पहाड़ के गोरखा खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
दार्जिलिंग के विधायक नीरज जिंबा व गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के महासचिव, विनय तमांग एसपी शर्मा तथा दूसरे दलों के नेताओं की ओर से भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. नीरज जिंबा ने कहा है कि राजू बिष्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में गोरखा समुदाय के सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए था. जिंबा ने कहा कि गोरखा के लोग 2009 से ही बीजेपी को वोट करते आ रहे हैं. लेकिन भाजपा ने गोरखाओं की किसी भी आकांक्षा को पूरा नहीं किया है. नीरज जिंबा दो-दो बार अपने विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर विधायक चुने गए हैं.
नीरज जिंबा ने कहा है कि राजू बिष्ट ने पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक मतों के अंतर से जीत दर्ज की है. यह वाराणसी से जीते भाजपा सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्राप्त वोटो से भी कहीं अधिक है. नरेंद्र मोदी को 1,52000 वोटो से जीत मिली थी जबकि राजू बिष्ट ने 1,78000 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. नीरज जिंबा के अलावा विनय तमांग ने भी राजू बिष्ट को मंत्री नहीं बनाए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है. इस संबंध में उन्होंने एक विज्ञप्ति भी जारी की है. विनय तमांग ने कहा है कि देशभर में भारी मतों से विजई सांसदों की सूची में राजू बिष्ट पांचवें नंबर पर हैं. लेकिन भाजपा सरकार की सूची में उनका नाम नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि राजू बिष्ट को पुरस्कार स्वरूप उन्हें मंत्री बनाया जाना चाहिए.
पहाड़ के कुछ विपक्षी नेता भी राजू बिष्ट को केंद्र में मंत्री नहीं बनाए जाने का कारण ढूंढने लगे हैं. जीटीए के चीफ पब्लिक रिलेशन ऑफिसर एसपी शर्मा ने कहा है कि भाजपा ने हमेशा ही पहाड़ के लोगों के साथ छल किया है. राजू बिष्ट को चाहिए कि वह इस्तीफा देकर यहां से दोबारा उपचुनाव लडें. वे सवाल करते हैं, क्या बीजेपी स्थाई राजनीतिक समाधान और 11 जनजातीय गोरखा मुद्दे का समाधान करना नहीं चाहती? कई लोग यह भी कह रहे हैं कि हालांकि लोकसभा में राजू बिष्ट के अलावा सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के सांसद इंद्रा ह॔ग सुब्बा भी जीतकर आए हैं और वे एनडीए का हिस्सा है. लेकिन उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है. कुछ लोगों को लगता है कि जब मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तो उसमें गोरखा का प्रतिनिधित्व जरूर मिलेगा.
पिछली मोदी सरकार में उत्तर बंगाल से तीन मंत्री बनाए गए थे. इनमें से निशित प्रमाणिक, जॉन वारला और देवश्री चौधरी शामिल थे. लेकिन उस समय भाजपा को 18 सीटें मिली थी. इस बार 12 सीट मिली हैं. अब देखना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहाड़ की उम्मीद पूरी होती है या नहीं. बहरहाल पहाड़ के लोगों को किसी गोरखा नेता के मंत्री होने या ना होने से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि भाजपा ने गोरखा लोगों के साथ जो वादा किया था, उसे भाजपा और केंद्र सरकार पूरा करती है या नहीं.
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