सिलीगुड़ी में दिन प्रतिदिन चोरी की घटनाएं बढ़ती जा रही है. इन दिनों चोर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में रखी चीजों पर हाथ साफ कर रहे हैं.खबर समय में कुछ समय पहले यहां विभिन्न विभागों और हॉस्टल के सामने से बाइक अथवा स्कूटर चोरी की घटनाओं पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी. ऐसा नहीं है कि चोर केवल मरीज के रिश्तेदारों के सामानों पर हाथ साफ कर रहे हैं बल्कि यहां के स्टाफ, छात्र और मेडिकल संपत्तियों को भी लूटने से बाज नहीं आ रहे हैं.
कहने के लिए तो मेडिकल के पास पुलिस चौकी भी है. परंतु यहां के लोगों का कहना है कि पुलिस चौकी होने का भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है. पुलिस चोरों को पकड़ने की पुरजोर चेष्टा कर रही है. परंतु चोर पुलिस के हाथ नहीं आ रहे हैं. मेडिकल परिसर में चोरी की घटनाएं अधिकतर रात में ही घटित होती है.
देखा जाए तो उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल चोरों का पनाहगाह बन चुका है.मेडिकल की भौगोलिक संरचना और स्थिति ऐसी है कि चोर कहीं से भी अंदर घुस सकते हैं और अपने काम को अंजाम दे सकते हैं.यहां रोगी अथवा उनके परिजन सिर्फ अपने मकसद से आते हैं. कहां चोरी हो रही है और कौन चोर है इससे उन्हें मतलब नहीं होता. ठीक इसी तरह से यहां के नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर, अधिकारी और कर्मचारियों को भी ज्यादा निगरानी की जरूरत नहीं होती.
उन्हें लगता है कि यह तो सरकारी संपत्ति है. अगर चोरी होती है तो उनका क्या जाता है. चोर लोगों की मानसिकता को भलीभांति समझते हैं और यही कारण है कि दिन प्रतिदिन उनका हौसला बढ़ता जा रहा है. पूर्व में चोरी की कई रिपोर्टों में वांछित अपराधियों को पकडे नहीं जाने तथा उसका निस्तारण नहीं होने से चोरों ने इसका फायदा उठाया है. मेडिकल कॉलेज के कुछ कर्मचारियों ने बताया कि मेडिकल अस्पताल के आसपास काफी संख्या में नशेड़ी रहते हैं. चोरी की वारदातों में उनका हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता.
इतने बड़े उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में एकमात्र बाबा आदम का स्वरूप पेश करता मुर्दाघर है. इसका निर्माण 1981 में किया गया था. तब से इसके रख रखाव और मरम्मति पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. वर्तमान में मुर्दाघर रुगनावस्था में अंतिम सांसे ले रहा है. बरसात में छत से पानी टपकता है. गंदगी इतनी है कि कर्मचारियों को इसी स्थिति में रहकर काम करना पड़ता है. मुर्दाघर में एक ए. सी. के अलावा कई अन्य उपकरण रखे गए थे. चोरों ने एक रात मुर्दा घर का ग्रील और खिड़की तोड़कर अस्पताल का एयर कंडीशनर उपकरण भी गायब कर दिया.
चोरों के बढते मनोबल की बात खुद उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य इंद्रजीत साहा भी मानते हैं. उनका कहना है कि इतना बड़ा परिसर है. विभिन्न तरह के डिपार्टमेंट हैं. यहां लोग इलाज के लिए आते हैं. इसलिए किसी पर संदेह नहीं व्यक्त किया जा सकता. जहां तक पुलिस की बात है तो पुलिस हर जगह मौजूद नहीं है. लोगों को सतर्क हो जाना चाहिए. आखिर अस्पताल उनके लिए ही तो है. अगर अस्पताल में संसाधनों की कमी होती है तो इसका असर मरीज के इलाज पर भी पड़ना तय है. प्राचार्य ने यह बात भी कही कि एक मुर्दाघर होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि यहां दार्जिलिंग ही नहीं बल्कि उत्तर बंगाल के कई जिलों से शवों को पोस्टमार्टम के लिए लाया जाता है. ऐसे में एकमात्र मुर्दाघर से तुरंत रिजल्ट पा लेना आसान नहीं है.
उत्तर बंगाल के मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में एकमात्र मुर्दाघर होने से दिनभर यहां शवों का पोस्टमार्टम होता है .एक अधिकारी ने बताया कि यहां प्रतिदिन 6 शवो का पोस्टमार्टम किया जाता है. लेकिन अगर यहां संसाधन बढ़ाया जाए और मुर्दाघर को विकसित किया जाए तो पोस्टमार्टम जांच में भी तेजी आएगी. उन्होंने बताया कि मुर्दाघर की खराब हालत को देखते हुए लगभग 70 लाख की लागत से मुर्दाघर को मॉड्यूलर तरीके से विकसित करने का प्रस्ताव है. अस्पताल प्रशासन की योजना है कि पुराने भवन को तोड़कर नया भवन बनाया जाए. इस दिशा में विचार किया जा रहा है.