दार्जिलिंग: आज कंचनजंगा की चोटी को देखकर फिर से शाहजहां द्वारा कही वह बात याद आ गई, वैसे तो शाहजहां ने कश्मीर को धरती का स्वर्ग बताया था, लेकिन यदि बर्फ के चादर से ढकी कंचनजंगा की चोटी की बात करें, तो वह भी किसी स्वर्ग से कम नहीं, खिली धूप में कंचनजंगा की चोटी को यदि कोई कवि देख ले तो उसकी सुंदरता पर कई कविताएं लिख डालें | कंचनजंगा के इस मनोरम दृश्य को देखने देश विदेश से पर्यटक दार्जिलिंग पहुंचते हैं और इस मनोरम दृश्य को देखकर प्रफुलित हो जाते हैं | ‘वैसे तो सिलीगुड़ी से कंचनजंगा का दीदार हो जाता है लेकिन वो सुंदर वादियां ही क्या जिसको पास से ना निहारा जाए’ कंचनजंगा को जितने करीब से देखेंगे उतना ही सुकून मिलता है | आज दार्जिलिंग में धूप खिलने के कारण कंचनजंगा साफ नजर आ रहा था, चारों तरफ पहाड़ों में बिखरी हरियाली के बीच बर्फीले चादर से ढकी कंचनजंगा की चोटी धूप की किरणों के कारण सुनहरी नजर आ रही थी, इस अद्भुत नजारे ने न जाने कितनों का मन मोह लिया होगा, न जाने कितनों को आकर्षित किया होगा | वैसे तो दार्जिलिंग का मौसम हमेशा ही खुशनुमा रहता है, ठंडी-ठंडी हवाएं वहां चलती रहती है और उस दौरान यदि कंचनजंगा का इस तरह का दृश्य निहारने को मिले तो, उस पल में चार चांद लग जाते हैं, जो हमेशा के लिए यादगार पल बन जाता है | आज दार्जिलिंग का मौसम भी खुशनुमा बना हुआ है जहाँ से कंचनजंगा फिर साफ नजर आ रहा है |
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