इन दिनों सिलीगुड़ी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कोई और सवारी मिले या ना मिले, लेकिन टोटो चलते जरूर देख सकते हैं. यहां रोज नए-नए टोटो निकल रहे हैं. बच्चे से लेकर बड़े और बूढ़े तक टोटो चला रहे हैं. टोटो चलाने के लिए कोई विशेष ड्राइविंग सीखने की आवश्यकता नहीं होती है. 1 दिन में ही टोटो चलाना सीखा जा सकता है. ना कोई लाइसेंस, न कोई अन्य खाना पूरी. बस टोटो निकालिए और शाम तक ₹500 से लेकर ₹1000 तक घर लाइए.
सिलीगुड़ी के बस्ती क्षेत्रों में जिनके पास कमाई का कोई अन्य साधन नहीं है,जिनके पास रोजी रोजगार नहीं है, जो बेरोजगार हैं, जिनके पास नौकरी नहीं है, ऐसे युवा या तो खुद टोटो निकाल रहे हैं या फिर किराए का टोटो चला रहे हैं. कम से कम इतनी आमदनी तो उन्हें हो जाती है जो उन्हें सिलीगुड़ी में नौकरी करके भी नहीं हासिल हो सकती है. महंगाई दिनों दिन बढ़ रही है. लेकिन आमदनी पहले जितनी थी, आज भी उतनी ही है.
दूसरी तरफ नौकरियों के अवसर लगातार कम हो रहे हैं. सिलीगुड़ी में छोटे-मोटे जाॅब तो मिल जाएंगे, लेकिन सैलरी इतनी मामूली होती है कि उससे नौकरी करने वाला खुद का भी खर्च नहीं निकाल सकता. ऐसे में वह परिवार का पेट कैसे पालेगा. पहले की तुलना में बेरोजगारी की बढ़ती मार ने भी युवाओं को टोटो की तरफ आकर्षित किया है. क्योंकि यह एक ऐसा यात्री वाहन है जो चालक को कभी खाली हाथ रहने नहीं देता.
सिलीगुड़ी के गंगानगर के राकेश या गुरुंग बस्ती के सुभाष की बात करें या फिर दार्जिलिंग मोड़ के राजा की. राकेश 11वीं पास है.कुछ दिनों तक उसने सिलीगुड़ी की एक फर्म में ₹8000 महीने की नौकरी की थी. लेकिन उस कमाई से राकेश अपना खुद का भी खर्च पूरा नहीं कर पाता था. इसलिए उसने नौकरी छोड़ दी और अपना टोटो निकाल लिया. अब राकेश हर दिन 500 से लेकर ₹700 कमाता है. इसी तरह से राजा और सुभाष की कहानी है. राजा तो बीए पास है. लेकिन काम धंधा नहीं मिलने से वह टोटो चलाने पर मजबूर हुआ.
सुभाष ने सिलीगुड़ी के एक होटल में काम किया था. होटल मालिक से उसकी नहीं बन सकी तो उसने होटल की नौकरी छोड़ दी. इसके बाद वह 2 साल तक बेरोजगार बैठा रहा. फिर उसने इधर-उधर से पैसे का इंतजाम करके टोटो निकाल लिया. अब वह दार्जिलिंग मोड़ से चेक पोस्ट तक जाता है और रोज दिन कम से कम ₹500 घर लाता है.
इन दिनों सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन और पुलिस प्रशासन खामोश है. किसी भी टोटो चालक के खिलाफ ना कोई धर पकड़ हो रही है और ना ही अन्य तरह के अवरोध खड़े किए जा रहे हैं. चाहे नंबर वाला टोटो हो अथवा बिना नंबर वाला टोटो. सिलीगुड़ी में कहीं भी जाना हो, ये चलने के लिए तैयार हैं. क्योंकि उन्हें भी पता है कि चुनाव तक प्रशासन उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. ऐसे में नए और पुराने सभी चालक और टोटो वाले बहती गंगा में हाथ धो रहे हैं और मनमाने तरीके से कमाई कर रहे हैं.
वर्तमान में सिलीगुड़ी में टोटो की संख्या अत्यधिक बढ़ गई है. रोजी रोजगार कम होने तथा मन माफिक नौकरी न मिलने से बेरोजगार युवा और रिटायर्ड लोग भी टोटो के जरिए अच्छी कमाई कर रहे हैं. और लोकसभा चुनाव होने तक प्रशासन की खामोशी का फायदा उठा रहे हैं. इन युवाओं से बातचीत में लगा कि छोटी-मोटी नौकरियों से टोटो चलाना बेहतर है. हालांकि चुनाव के बाद सिलीगुड़ी प्रशासन भी खामोश नहीं रहेगा. लेकिन तब तक कमाई कर लेने में कोई बुराई नहीं है. तब की तब देखी जाएगी. फिलहाल तो टोटो वाले मौज कर रहे हैं.
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