पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा के उपचुनाव में भी भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस लगातार भाजपा पर हावी होती जा रही है. जिन चार सीटों के लिए बंगाल में उपचुनाव हुए थे, उनमें से तीन सीटों पर भाजपा का कब्जा था. लेकिन आज चुनाव परिणाम में भाजपा अपनी तीनों सीटें हार गई है. जबकि तृणमूल कांग्रेस ने चारों सीटों पर विजय का परचम लहरा दिया है.
तृणमूल कांग्रेस की यह 100% जीत कहीं ना कहीं भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है. 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने के लिए लड़ी थी. हालांकि भाजपा को इसमें ज्यादा कामयाबी नहीं मिली. परंतु उसकी सीटों में जबरदस्त इजाफा हुआ. भाजपा ने राज्य में 77 विधानसभा सीटों पर जीत का परचम लहराया था. लेकिन उसके बाद से भाजपा की सीटों की संख्या घटती चली गई. कुछ विधायक तृणमूल कांग्रेस में चले गए तो कुछ विधायकों ने पार्टी ही छोड़ दी.
लोकसभा के चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल से 30 सीटों पर जीत का प्लान बनाया था. पूरी तैयारी के साथ पार्टी ने चुनाव लड़ा लेकिन 12 सीटों पर ही भाजपा को कामयाबी मिली. बाकी सभी सीटों पर तृणमूल कांग्रेस और एक सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी.केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार, जो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं, बड़ी मुश्किल से बालूरघाट सीट बचा पाए थे. केंद्रीय मंत्री बनने के बाद सुकांत मजूमदार ने रायगंज में अपनी पार्टी के उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए प्रचार किया था और उन्हें पूरा भरोसा था कि भाजपा को कामयाबी मिलेगी. लेकिन उनकी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं.
पश्चिम बंगाल में मानिकतला, बागदाह, राणाघाट दक्षिण और रायगंज विधानसभा सीटों के लिए 10 जुलाई को उपचुनाव कराए गए थे. 2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राणाघाट दक्षिण रायगंज और बागदाह सीट पर जीत हासिल की थी. आज सुबह से ही मतगणना शुरू हुई तो तृणमूल कांग्रेस ने चारों सीटों पर ही अपनी बढ़त बना ली और दोपहर से पहले ही चारों सीटों पर भाजपा को पछाड़ते हुए जीत हासिल कर ली.
रायगंज विधानसभा सीट के लिए तृणमूल कांग्रेस ने कृष्ण कल्याणी को मैदान में उतारा था. जबकि राणाघाट दक्षिण में TMC के उम्मीदवार मुकुटमणि अधिकारी थे. बागदाह सीट पर TMC उम्मीदवार मधुप्रण ठाकुर, जबकि मानिकतला सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने सूपति पांडे को टिकट दिया था. चारों ही तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी या तो चुनाव जीत चुके हैं या फिर आधिकारिक तौर पर उनकी जीत की घोषणा की जानी है.
तृणमूल कांग्रेस की विधानसभा के उपचुनाव में जीत के बड़े मायने हैं. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार भाजपा के लिए यह चिंता का विषय है जो अपनी जीती हुई सीटों को भी नहीं बचा पाई है. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही प्रदेश भाजपा में असंतोष के स्वर मुखर होने लगे हैं.आज के चुनाव परिणाम के बाद यह असंतोष और बढ़ेगा. इससे भाजपा कार्यकर्ताओं में निराशा व्याप्त होगी. दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद हो चुके हैं.राजनीतिक पंडित मानते हैं कि भाजपा की हार के पीछे उसका कमजोर और अदूरदर्शी राजनीतिक संगठन है. पार्टी में अनुशासन की कमी है. कार्यकर्ता दिशाहीन हो चुके हैं. अगर भाजपा ने खुद को संगठन और अनुशासन के स्तर पर मजबूत नहीं किया तो आने वाले समय में भाजपा की स्थिति और कमजोर हो सकती है.
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