November 23, 2024
Sevoke Road, Siliguri
अलीपुरद्वार उत्तर बंगाल राजनीति

पंचायत चुनाव में जीत के लिए तृणमूल को बहाना पड़ रहा पसीना!

कहने को तो पंचायत चुनाव है. परंतु इसकी तैयारी देख कर ऐसा लगता है कि राज्य में पंचायत चुनाव ना होकर यह विधानसभा चुनाव है, जिसके लिए स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा उनकी पार्टी के नेता और मंत्री जम कर पसीना बहा रहे हैं. तो दूसरी ओर प्रदेश भाजपा के नेता तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर देते जान पर रहे हैं.

पंचायत चुनाव में जीत हासिल करना तृणमूल कांग्रेस के लिए नाक का सवाल बन गया है. यही कारण है कि विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही तृणमूल कांग्रेस की स्टार कैंपेनिंग शुरू हो चुकी है. अलीपुरद्वार में शत्रुघ्न सिन्हा टीएमसी के लिए प्रचार करने गए थे. इसी से समझा जा सकता है कि भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस की जीत की राह कठिन साबित कर दी है.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता पूरे राज्य में चुनाव प्रचार कर रहे हैं. राज्य में चुनाव की घोषणा के साथ ही हिंसा का दौर शुरू हो गया, जो अभी खत्म नहीं हुआ है. इस चुनावी हिंसा में लगभग एक दर्जन लोग अपनी जान गवा चुके हैं. सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएं कूचबिहार और अलीपुरद्वार क्षेत्र में हो रही है. इसके अलावा मुर्शिदाबाद तथा बंगाल के दक्षिणी जिलों में हुई है. कूचबिहार में केंद्रीय राज्य मंत्री निशित प्रमाणिक भाजपा की ओर से मोर्चा संभाल रखे हैं और तृणमूल कांग्रेस को जबरदस्त टक्कर दे रहे हैं.

निशित प्रमाणिक पर कई बार हमले हुए हैं. उनकी जान को खतरा भी बताया जा रहा है. यह देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निशित प्रमाणिक की सुरक्षा बढ़ा दी है. अब निशित प्रमाणिक हर समय जेड प्लस कैटेगरी की सुरक्षा में रहेंगे.

निशित प्रमाणिक के अलावा उत्तर बंगाल के अनेक भाजपा विधायकों की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है. पिछले दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जलपाईगुड़ी और कूचबिहार में कुछ जनसभाओं को संबोधित करने के बाद बागडोगरा लौट रही थी कि रास्ते में ही उनके चौपड़ को खराब मौसम और बारिश के कारण सालूगाड़ा के मिलिट्री एयर बेस पर लैंड कराना पड़ गया. इस कारण मुख्यमंत्री को चोट भी आई.

लेकिन भाजपा इस पर व्यंग करने से नहीं चूक रही है. भाजपा नेता इसे विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं, जब एक चुनावी जनसभा के क्रम में ममता बनर्जी के पैर में चोट आई थी और उन्हें काफी दिनों तक पैर पर प्लास्टर चढ़ा कर रखना पड़ा था. पिछले अनुभव को देखते हुए भाजपा इसे चुनाव में सहानुभूति पाने का नाटक करार दे रही है.

जो भी हो तृणमूल कांग्रेस बनाम भाजपा की ओर से तलवारे खिच चुकी है. असली लड़ाई 8 जुलाई को होगी. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों पार्टियों की लड़ाई में विजय किसकी होती है और क्या इस लड़ाई का लाभ अन्य दल भी उठा पाएंगे? क्योंकि भाजपा के अलावा कांग्रेस, वाममोर्चा और दूसरे दल भी अलग-अलग क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. चुनाव करीब है. एक-एक दिन एक एक रंग देखने को मिल सकता है.जनता चुपचाप तमाशा देख रही है.जनता का फैसला तो 8 तारीख को ही होगा!

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