सिलीगुड़ी: पश्चिमबंगअकादमी द्वारा उत्तर बंगाल में महाव्यापी आयोजन के तहत ‘संप्रेषण कौशल संवर्धन कार्यशाला’ का आयोजन किया गया।
स्वागत करते हुए अकादमी के सदस्य डॉ. ओमप्रकाश पांडेय ने पश्चिम बंगाल सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रति आभार प्रकट किया कि, वर्तमान पीढ़ी को उसके कौशल के साथ नया आयाम उपलब्ध कराने का हमें अवसर प्रदान किया। कार्यशाला की अनिवार्यता को प्रस्तुत करते हुए विषय प्रवर्त्तन के दौरान अकादमी के सदस्य डॉ. अजय कुमार साव ने कहा कि बोलने, लिखने और पढ़ने के साथ-साथ आज दिखने और देखने के कौशल की जरूरत कदम-दर-कदम पड़ती रहती है। इस दिशा में हम सहज ही कैसे प्रभावशाली ढंग से अपने विचारों को संप्रेषित कर सकते हैं, यह जानकर ही हमारा व्यक्तित्व सार्थक हो सकता है। शिक्षा में नित नए प्रयोग को सार्थक बनाने के लिए भी शिक्षक एवं विद्यार्थी समाज के लिए कौशल केंद्रित गतिविधियों की जरूरत है। एकेडमिक के साथ-साथ रोजगारमूलक चुनौतियों की दिशा में कौशल विकास संजीवनी समान है।
सिलीगुड़ी कॉलेज के गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष जयंत कुमार कर ने युवा समाज के व्यक्तित्व के सार्थक विकास में संप्रेषण कौशल को जरूरी बताया तो आईक्वाक की कोऑर्डिनेटर डॉ. झिनुक दासगुप्ता ने कौशल विकास में ही आत्मविश्वास के जन्म और समृद्ध होने की संभावनाओं का दर्शन कराया। बतौर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुए खबर समय के संस्थापक एवं संपादक संजय शर्मा ने संप्रेषण कौशल के विकास में समय की मांग और जरूरी संदर्भों के प्रति श्रोता एवं दर्शकों की रुचि को समझना जरूरी बताया। साथ ही तमाम टूल्स द्वारा एडिटिंग के कौशल को गंभीरता से लेने की सलाह दी। समय-समाज को दिशा देने वाली सोच के साथ कौशल की संगति की समझ को जरूरी बताया।
मुख्य अतिथि के रूप में दैनिक जागरण के संपादक श्री विनय मिश्रा ने संप्रेषण की कला को लोकप्रियता के साथ व्यक्तित्व के सार्थक विकास के लिए जरूरी बताया। साथ ही इस यथार्थ से भी अवगत कराया कि सोशल मीडिया में कंटेंट का निर्माण निजी लाभ को देखते हुए किया जाता है। आगे उन्होंने कहा कि रील्स, शॉर्ट मूवी आदि में दिखने का कौशल देखे जाने के कौशल की समझ से ही सार्थक हो सकता है। संप्रेषण कौशल के केंद्र में कंटेंट के सृजन, उसकी प्रकृति साथ ही उसके तमाम खतरे को भी पहचान की जरूरत है। इसके लिए जरूरी है कि कुछ भी बोलने, लिखने-पढ़ने या दिखते-देखते समय हम स्वभाव से ‘खोजी कौशल’ को सदा अपने आचरण का हिस्सा बनाए रखें।
सिलीगुड़ी कॉलेज के प्राचार्य ने कहा कि कौशल प्रधान युग में जब अभिव्यक्ति के खतरे बढ़ते जा रहे हों तब संप्रेषण का कौशल सफल और सार्थक अभिव्यक्ति के लिए अनिवार्य हो जाता है। परिवार और समाज में संप्रेषण कौशल के बिना संबंध का निर्वाह भी स्वस्थ ढंग से नहीं हो सकता है।
‘संप्रेषण कौशल : कक्षा से परीक्षा तक’ शीर्षक से आयोजित सत्र में विद्यार्थियों की ओर से उत्तर पुस्तिका में लेखन संबंधी प्रश्नों की संरचना, उसके चयन,विश्लेषण, उसकी भूमिका व निष्कर्ष से आगे बढ़ते हुए शब्द व समय प्रबंधन के अलावा अच्छे अंक पाने के कौशल संबंधी तमाम सवाल किए गए। इन सवालों के यथासंभव समाधान में डॉ. सुलोचना कुमारी दास, डॉ. वंदना गुप्ता, पूनम सिंह, गीता देवान, देवाशीष राय, बबली शाह, दीपू शर्मा, जितेंद्र प्रसाद, प्रोफेसर अंगना चक्रवर्ती, आरती कुजूर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सत्र का संचालन कर रहे अकादमी के सदस्य डॉ. अजय कुमार साव ने पाठ्य सामग्री को याद करने और याद रखने के साथ-साथ परीक्षा में उत्तर लिखने की सटीक शुरुआत और उसके अंत करने के कौशल से भी अवगत कराया।
मुद्रित माध्यम में ‘समाचार लेखन : अवधारणा एवं निर्माण प्रक्रिया’ के तहत मो. इरफान-ए-आज़म ने क्या, कहां, कब, किसने, क्यों और कैसे विविध चरणों की क्रमबद्धता को तर्कसंगत ढंग से प्रतिभागियों के सामने प्रस्तुत किया और एक सार्थक समाचार प्रस्तुति के लिए प्रोत्साहित किया। दिनचर्या का हिस्सा बन चुके ‘ब्लॉग लेखन : अवधारणा और रचना प्रक्रिया’ पर शिक्षक दीपू शर्मा ने ‘सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन’ के द्वारा शीर्षक चयन, बीज शब्द आदि की तलाश के कौशल से परिचय कराया तो साथ ही विषय के प्रति पाठको एवं श्रोताओं की रुचि को महत्व देने पर तो जोर दिया ही, लेकिन एक सही ब्लॉग के लिए उसकी रुचि के परिष्कार में ही समय और समाज के विकास को संभव दिखाया।
इस अवसर पर सिलिगुड़ी कॉलेज के शिक्षा परिषद के संपादक डॉ दर्शन चंद्र वर्मन गवर्निंग बॉडी के सदस्य अमल राय उपस्थित रहे। तृतीय वर्ष की छात्रा राजनंदनी राय द्वारा कुशलता पूर्वक संचालित कार्यशाला के सुचारू प्रबंधन में ज्योति श्रीवास्तव, निशु साहू, निखिल साहनी, सुमित ठाकुर, शिवम प्रसाद, दीपक पासवान, शबाना खातून, काजल झा, खुशबू शाह, पीहू महतो, गीतांजलि प्रसाद, अंजलि सेठ, रोशनी सेठ, रोहित हेला, उत्तम प्रसाद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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