एक तरफ सिलीगुड़ी में प्रशासन अतिक्रमण, ट्रैफिक नियंत्रण, सरकारी भूमि दखल आदि के खिलाफ अभियान चला रहा है या फिर लगातार हो रही वर्षा, जल जमाव पर निगम का फोकस है. लेकिन किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं है कि सिलीगुड़ी के अलग-अलग भागों से युवतियां गायब हो रही हैं. इनमें से कई विवाहित महिलाएं भी हैं. ऐसा नहीं है कि केवल महिलाएं ही गायब हो रही हैं, बल्कि पुरुष और बच्चे भी लगातार गायब हो रहे हैं. हर दूसरे तीसरे दिन समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर किसी न किसी महिला या पुरुष के गायब होने का समाचार अवश्य रहता है.
सवाल यह है कि आखिर महिलाओं के गायब होने की घटनाएं क्यों बढ़ रही है? सवाल यह भी है कि पुलिस और प्रशासन के लोग इस समस्या को लेकर कितने गंभीर हैं? प्रशासन क्या कदम उठा रहा है? सवाल यह भी उठता है कि महिलाओं को घर से पलायन के लिए कौन मजबूर कर रहा है? इसके लिए दोषी कौन है? क्या घर से गायब होने वाली महिलाएं स्वयं दोषी हैं या फिर इसके पीछे कोई और बात है? सवाल यह भी है कि पुलिस प्रशासन ने मिसिंग रिपोर्ट के बाद लापता महिलाओं को ढूंढने में कितनी सफलता प्राप्त की है? क्या पुलिस प्रशासन को ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए एक सघन अभियान चलाने की जरूरत नहीं है? इन सभी सवालों का उत्तर जानना जरूरी है.
हाल ही में एक ही दिन में दो महिलाओं के गायब होने और एक अन्य मामले में एक महिला के वापस घर लौटने के बाद कुछ सनसनीखेज जानकारियां सामने आई है. सिलीगुड़ी के अलग-अलग क्षेत्रों से घर से भागी दोनों युवतियों के बारे में बताया जाता है कि दोनों में अच्छी घनिष्ठता थी. वे समलैंगिक थीं. उनके घर वाले दोनों के मिलन में बाधक थे. इसलिए दोनों चुपचाप घर से पलायन कर गई. जबकि घर लौटी एक अन्य महिला नौकरी की तलाश में कोलकाता गई थी. पिछले एक डेढ़ महीने में सिलीगुड़ी के अलग-अलग स्थानों से लगभग एक दर्जन से अधिक महिला पुरुष गायब हुए हैं. इनमें से सात से ज्यादा मिसिंग रिपोर्ट सिलीगुड़ी के अलग-अलग थानों में दर्ज कराई जा चुकी है.
विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज कराई गई मिसिंग रिपोर्ट के अनुसार 9 जुलाई 2024 को सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 28 टिकियापाड़ा से राजकुमार गुप्ता लापता हुए हैं. 9 जुलाई को ही सिलीगुड़ी के खालपाड़ा से लतिका अग्रवाल लापता हुई है. महावीर स्थान से रंजू अग्रवाल के गायब होने की भी मिसिंग रिपोर्ट प्राप्त हुई है. इसी तरह से सिलीगुड़ी के महाकालपल्ली से कांतामणि बराई नामक एक महिला गायब हुई. उनकी उम्र 42 साल थी.
भक्ति नगर पुलिस स्टेशन के अंतर्गत खोलाचंद पापड़ी निवासी 25 वर्षीया निली राय 22 जून को अपने घर से लापता हो गई. जबकि 27 जून को प्रधान नगर पुलिस थाना के अंतर्गत नारायण छेत्री नामक एक 46 वर्षीय व्यक्ति के गायब होने की सूचना प्रधान नगर थाने में दर्ज कराई गई थी. सिलीगुड़ी नगर निगम के वार्ड नंबर 11 बैकुंठपल्ली की रहने वाली कविता तमांग 30 जून को सिलीगुड़ी के हॉस्पिटल मोड़ से गायब हो गई. कविता तमांग की उम्र 29 साल थी. सिलीगुड़ी के वार्ड नंबर 5 नूतनपाडा से हाल ही में एक महिला गायब हुई. उसी दिन पोराझार की रहने वाली एक अन्य महिला हैदरपारा से गायब हो गई.
महिलाओं के गायब होने की अधिकतर घटनाएं सिलीगुड़ी के जलपाई मोड, महावीरस्थान, मिलनपल्ली, टिकियापारा, खालपारा और बाबूपाडा इलाके से हुई है. यह तो पता नहीं इन महिलाओं को ढूंढने में पुलिस को अब तक कितनी सफलता हाथ लगी है. परंतु सवाल यह है कि बच्चे तो गुम हो जाते हैं. लेकिन उम्रदार लोग कैसे गायब हो जाते हैं? सिलीगुड़ी तो एक छोटा सा शहर है. महानगरों की बात कुछ और होती है. अगर महिलाएं घर से गायब हो रही हैं तो जरूर इसमें उनकी मर्जी और घर से विद्रोह करने की भावना रही होगी. इसके कई कारण हो सकते हैं. इनमें प्रेम प्रसंग, चमक दमक का आकर्षण, अपने पैरों पर खड़ा होना, अपना अलग संसार बसाना, माता-पिता की रोक-टोक बर्दाश्त न करना इत्यादि.
कारण चाहे जो भी हो, लेकिन ऐसी घटनाओं का समाज पर बुरा असर पड़ता है. ऐसी घटनाएं असुरक्षा और नकारात्मकता को बढ़ावा देती हैं. इन घटनाओं से प्रेरणा लेकर अन्य युवतियां भी ऐसे कदम उठा सकती हैं. अतः पुलिस प्रशासन को बिना विलंब किये ऐसी घटनाओं पर रोक लगाना जरूरी है. जिस तरह से सिलीगुड़ी शहर से महिलाएं गायब हो रही हैं, ऐसे में स्थानीय प्रशासन को घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए एक मजबूत कदम उठाने की जरूरत है. जागरूकता कार्यक्रम के अलावा गायब होने वाली महिलाओं की काउंसलिंग की भी आवश्यकता है. अगर महिलाओं के गायब होने के पीछे कोई और कारण है तो उसका भी पता लगाया जाना चाहिए. यह काम अकेले पुलिस प्रशासन का नहीं, बल्कि घरवालों की भी इसमें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होनी चाहिए.
इन दिनों उत्तर बंगाल में मानव तस्कर गिरोह सक्रिय है. हाल ही में बांग्लादेश में किडनी रैकेट गैंग के पकड़े जाने के बाद उत्तर बंगाल भी सुरक्षित नहीं रहा है. अगर गुमशुदा महिलाओं का पता लगाने में पुलिस को ज्यादा कामयाबी नहीं मिल रही है तो पुलिस को इस एंगल से भी जांच करने की जरूरत है कि गायब हो रही महिलाएं मानव तस्कर गिरोह के चंगुल में तो नहीं फ॔सती जा रही हैं?
महिलाओं के गायब होने को लेकर सिलीगुड़ी में तरह-तरह की अफवाहें फैलाई जा रही है. आज सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट की ओर से एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें पुलिस के अधिकारियों ने अफवाह फैलाने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. पुलिस बराबर स्थिति पर नजर रखे हुए है. पुलिस अपना काम कर रही है. दरअसल यह कहा जा रहा है कि महिलाओं को गायब करने में कुछ टोटो वालों का हाथ हो सकता है. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि लोग अफवाहों में ना आए और ना ही समाज में दुष्प्रचार करें.
खबर समय को सिलीगुड़ी के कोने-कोने से लोगों ने शहर में गायब होती महिलाओं को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भेजी है. सभी यही चाहते हैं कि जल्द से जल्द प्रशासन ऐसी घटनाओं पर नियंत्रण पाने के लिए गंभीर प्रयास करे, ताकि सिलीगुड़ी के समाज पर इसका विपरीत अथवा नकारात्मक असर न पड़े. अगर गायब हो रही महिलाओं तक पुलिस नहीं पहुंच रही है तो इसकी उच्च स्तरीय जांच से लेकर साजिशों की भी पड़ताल के लिए पुलिस की एक स्पेशल टीम बनाने की जरूरत है. प्रशासन को यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर इस तरह से महिलाओं के गायब होने का सिलसिला बंद नहीं हुआ, तो घर-घर से महिलाओं के गायब होने की आशंका बढ़ती जाएगी. क्योंकि नकारात्मक घटनाएं मनुष्य को ज्यादा प्रभावित करती हैं.
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