अगर आप दार्जिलिंग के महाकाल मंदिर में प्रवेश करना चाहते हैं तो नए नियमों को जान लें. स्त्री हो या पुरुष सभी को नए नियमों का ख्याल रखना होगा. अगर आप एक महिला हैं तो अपने बदन पर उचित,शालीन और मर्यादित कपड़े धारण करें. तभी आप महाकाल बाबा का दर्शन कर सकते हैं. अन्यथा आप मंदिर में नहीं जा सकते हैं. महाकाल बाबा मंदिर पूजा कमेटी ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लागू ड्रेस कोड से प्रभावित होकर नए नियम लागू किए हैं.
दार्जिलिंग का महाकाल मंदिर नए नियमों को लेकर सुर्खियों में है. इस मंदिर का संचालन महाकाल मंदिर पूजा कमेटी तथा वेलफेयर सोसाइटी करती है. कमेटी के द्वारा श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में प्रवेश के कुछ मानदंड और नियम निर्धारित किए गए हैं, जो मंदिर की मर्यादा,शुद्धता और पवित्रता के अनुकूल है. पहली बार कमेटी ने भक्तों के लिए इतना बड़ा फैसला किया है. महाकाल मंदिर में प्रवेश के नए नियम मंदिर की पवित्रता और शुचिता से जुड़े हुए हैं और इसीलिए ये चर्चा के विषय बने हैं.
सिलीगुड़ी से लेकर पूरे पहाड़ में इसकी चर्चा हो रही है खबर समय के संवाददाता ने सिलीगुड़ी के कई मंदिरों में जाकर भक्तों और पुरोहितों से बात की तो उन्होंने महाकाल मंदिर पूजा कमेटी के फैसले को उत्तम बताया और कहा कि मंदिर कोई फैशन प्रदर्शनी का स्थान नहीं है. यह पवित्र जगह होती है. इसलिए मंदिर में प्रवेश के लिए ड्रेस कोड का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए.
सिलीगुड़ी के कुछ भक्तों ने कहा कि भारत की प्राचीन परंपरा और संस्कृति ऐसी है, जहां मंदिर में भगवान और भक्त का मिलन हो जाता है. ऐसे स्थान में अगर कोई महिला अनुचित कपड़े पहनकर आती है या छोटे कपड़े में नजर आती है तो यह स्थान की पवित्रता को मलिन करता है. सिलीगुड़ी के प्रधान नगर से लेकर खालपारा और विभिन्न मंदिरों के पुरोहित और भक्तों ने महाकाल मंदिर पूजा कमेटी के फैसले की तारीफ की है.
हालांकि आधुनिक विचारधारा के कुछ लोग जिन्हें मंदिर की संस्कृति और परंपरा का कोई ज्ञान नहीं है, वे कहते हैं कि मंदिर में प्रवेश के लिए कोई भी ड्रेस कोड नहीं होना चाहिए. कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह का वस्त्र पहनकर मंदिर में जा सकता है. भक्तों पर कपड़े को लेकर कोई पाबंदी नहीं लगानी चाहिए और उन्हें ड्रेस कोड से बाहर रखा जाना चाहिए.
यद्यपि सिलीगुड़ी के विभिन्न मंदिरों के भक्त और श्रद्धालू महाकाल मंदिर पूजा कमेटी की खूब तारीफ कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह नियम पहले ही बन जाने चाहिए थे. दरअसल मंदिर में भगवान का निवास होता है. यहां भक्त और भगवान के बीच की दूरियां मिट जाती है. भक्त अपने आराध्य देव में लीन हो जाता है. लेकिन बहुत से लोग हैं जो मंदिर तो जाते हैं लेकिन उन्हें आराध्य से एकात्मकता की बजाय अपने बदन तथा ड्रेस को दिखाना ज्यादा पसंद आता है.
दार्जिलिंग के महाकाल मंदिर में आने वाले पर्यटक किसी भी रूप में आ जाते हैं. खासकर महिलाएं छोटे स्कर्ट अथवा अधूरे लिबास में मंदिर प्रांगण में प्रवेश करके भगवान का दर्शन करती हैं. इससे मंदिर की पवित्रता और एकाग्रता भंग होती है. महाकाल मंदिर पूजा कमेटी का मानना है कि मंदिर पवित्र जगह होती है. यहां भक्ति और भक्त एक दूसरे से जुड़ जाते हैं और उनके मन और आत्मा में भी यही भाव होना चाहिए. इसलिए महाकाल मंदिर पूजा कमेटी एंड वेलफेयर सोसाइटी की ओर से महाकाल मंदिर में आने वाले भक्तों खासकर महिलाओं के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं.
अगर कोई महिला महाकाल मंदिर में भगवान का दर्शन करना चाहती हैं तो उन्हें शालीन, सादगी और भरे पूरे कपड़े में आना होगा. ताकि मंदिर की पवित्रता बनी रहे. मंदिर में प्रवेश करने की इस शर्त का पालन सभी स्त्री पुरुष को करना होगा. हालांकि यह चर्चा और बहस का विषय हो सकता है, परंतु अधिकांश लोगों का मानना है कि ये नियम सभी मंदिरों के लिए होने चाहिए और सभी मंदिर प्रबंधन कमेटियां इस तरह के नियम बनाएं ताकि मंदिर में पवित्रता और मर्यादा का उत्कृष्ट वातावरण निर्मित हो सके.

