कदाचित बांग्लादेश ने सोचा तक नहीं था कि उसका यह हस्र होने वाला है. भारत ने ना युद्ध किया और ना ही कोई विस्फोटक बयान दिया. लेकिन चुपचाप वह कर दिखाया, जिसके बाद बांग्लादेश में बड़ी तबाही और त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न होने वाली है. बांग्लादेश की हेकड़ी निकल गई है. चीन की शह पर भारत के खिलाफ जहर उगल रहे मोहम्मद यूनुस को भारत ने ऐसी बड़ी सजा दी है कि वह तो अब कहीं के भी नहीं रहे. स्थिति यह हो जाएगी कि जैसा शेख हसीना का भी बांग्लादेश में नहीं हुआ था, उससे भी काफी बदतर स्थिति मोहम्मद यूनुस की होने वाली है.
निकट भविष्य में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से भी बदतर स्थिति में जाने वाली है, जिसके लिए बांग्लादेश की अवाम मोहम्मद यूनुस को माफ करने वाली नहीं है. अपनी हैसियत को भूलकर मोहम्मद यूनुस भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैसियत की बराबरी करने चले थे. पहले चीन के साथ गलबहियां करना, फिर चीन को बांग्लादेश में कारोबार करने के लिए भूमि देने का प्रस्ताव और भारत के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देना उन्हें काफी भारी पड़ा है.
नोबेल प्राइज विजेता मोहम्मद यूनुस कम से कम राजनीति में पूरी तरह अनफिट है. यह उन्होंने साबित कर दिया है. उन्हें लगा कि चीन की धौंस दिखाकर भारत को डरा सकते हैं. ब्लैकमेल कर सकते हैं. पर वे भूल गए कि यह नया भारत प्राचीन भारत नहीं है. जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शासनकाल में भारत को चीन से मात खानी पड़ी थी. दरअसल भारत ने भारतीय संसाधनों के सहारे विदेश व्यापार करने वाले बांग्लादेश से ट्रांस शिपमेंट की सुविधा छीन ली है. ट्रांसशिपमेंट का मतलब समझते हैं आप?
ट्रांस शिपमेंट का मतलब ऐसी सुविधा से है जिसमें एक देश अपने उत्पाद को किसी दूसरे देश के बंदरगाह, हवाई अड्डे अथवा सड़क मार्गों के जरिए तीसरे देश को निर्यात करता है. भारत ने बांग्लादेश को यह सुविधा जून 2020 से दे रखी थी. बांग्लादेश अपने सामान को भारतीय बंदरगाह जैसे कोलकाता, हल्दिया और भारतीय हवाई अड्डा दिल्ली आदि के जरिए अन्य देशों को निर्यात करता है और अर्थव्यवस्था में वृद्धि करता है.
बांग्लादेश को मिलने वाली भारत से इस सुविधा के कारण ही विश्व बाजार में उसका आसानी से प्रवेश हो जाता था. बांग्लादेश अपने माल को भारत के लैंड कस्टम स्टेशनो से ट्रक अथवा कंटेनर में भारतीय बंदरगाहों तक पहुंचाता था, जहां से उसे आगे शिपिंग या हवाई मार्ग से भेजा जाता था. अब भारत ने बांग्लादेश को यह सुविधा बंद कर दी है. इससे आप समझ सकते हैं कि बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था किस कदर बुरे हाल में पहुंच सकती है. इस स्थिति में बांग्लादेश में गृह युद्ध छिड़ सकता है और बांग्लादेश की अवाम मोहम्मद यूनुस के खिलाफ जा सकती है.
पिछले दिनों मोहम्मद यूनुस का एक बयान सुर्खियों में था, जब मोहम्मद यूनुस ने अपनी चीन यात्रा के दौरान भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर एक आपत्तिजनक बयान दिया था. मोहम्मद यूनुस ने सिलीगुड़ी गलियारा या चिकन नेक का जिक्र करते हुए कहा था कि भारत के सात राज्य, भारत के पूर्वी हिस्से जिन्हें 7 सिस्टर कहा जाता है, यह भारत के लैंडलॉक्ड क्षेत्र हैं. समुद्र तक उनकी पहुंच का कोई रास्ता नहीं है. इस पूरे क्षेत्र में समंदर के एकमात्र गार्जियन बांग्लादेश है. मोहम्मद यूनुस ने बंगाल की खाड़ी और चिकन नेक में चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार करने के लिए चीन को आमंत्रित किया था.
बहरहाल भारत द्वारा उठाए गए कदमों से बांग्लादेश के फुटकर सेक्टर पर भारी असर पड़ा है. भारत सरकार के फैसले के बाद बांग्लादेश में खलबली मच गई है. बांग्लादेश के वाणिज्य सलाहकार शेख बशीरुद्दीन ने आनन फानन में एक मीटिंग बुलाई है और खुदरा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर इसके प्रभाव को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. भारत ने बांग्लादेश के खिलाफ यह कदम तब उठाया है जब ढाका पहले से ही अमेरिका के टैरिफ मार से जूझ रहा है और मोहम्मद यूनुस को राष्ट्रपति ट्रंप के सामने प्रार्थना करनी पड़ रही है.
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