भारत के एक्शन के बाद पाकिस्तान में खलबली मच गई है. पाकिस्तान काफी बौखला गया है. पाकिस्तान में एयर स्पेस को बंद कर दिया गया है. पाकिस्तान में हाई लेवल मीटिंग बुलाई गई. राष्ट्रीय सुरक्षा समिति एनएससी की बुलाई गई आपात बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, सेना के तीनों प्रमुख, पाक आर्मी की नौसेना प्रमुख एडमिरल और पाकिस्तान के एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद शामिल हुए. पाकिस्तान ने रोना शुरू कर दिया है कि भारत ने सिंधु जल समझौते को रोका है. यह एक तरह से युद्ध जैसी कार्रवाई है. पाकिस्तान सरकार इसे इसी रूप में ले रही है.
भारत और पाकिस्तान के बीच मंडराते युद्ध के बीच एक बड़ी खबर आ रही है. पाकिस्तान ने भारत के एक बीएसएफ जवान को पकड़ रखा है, जो गलती से सीमा पार कर गया था. बीएसएफ और पाक रेंजर्स के बीच मीटिंग चल रही है. बीएसएफ जवान को पाकिस्तान से निकालने की कोशिश की जा रही है.
भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में युद्ध जैसे हालात बन चुके हैं. दोनों देशों में मिसाइल टेस्ट किए गए हैं. इससे इस संभावना को बल मिलता है कि दोनों देशों के बीच युद्ध कभी भी छिड़ सकता है. पाकिस्तान सबसे ज्यादा सिंधु जल समझौते के रद्द होने से बौखलाया हुआ है. क्योंकि पाकिस्तान को पानी नहीं मिला तो उसकी अर्थव्यवस्था नष्ट हो जाएगी. वहां पानी के लिए हाहाकार मच जाएगा. यहां तक कि आवाम को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा.
आइए जानते हैं कि सिंधु जल समझौता रद्द होने से पाकिस्तान पर क्या-क्या असर पड़ सकता है और यह पाकिस्तान के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है. भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि हुई थी. इसकी मध्यस्थता विश्व बैंक ने की थी. भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने समझौता पर हस्ताक्षर किए थे. इस समझौते के अनुसार रावी, व्यास और सतलुज नदियों पर भारत का नियंत्रण है. जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों से पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति होती है.
पाकिस्तान को नदियों के कुल जल प्रवाह का लगभग 80% पानी मिलता है. इसलिए इस समझौते से पाकिस्तान को सबसे ज्यादा फायदा मिलता है. सिंधु, झेलम और चिनाब नदियां पाकिस्तान की आर्थिक मेरुदंड कही जाती है. पाकिस्तान में कृषि इन्हीं नदियों पर आधारित है. जल प्रवाह में किसी भी प्रकार की रुकावट से पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र नष्ट हो सकता है. इससे उसकी अर्थव्यवस्था और ग्रामीण आजीविका नष्ट होगी. खेतों को पानी नहीं मिलने से ना तो फसल होगी. और ना ही पैदावार.
इन नदियों के जल का उपयोग पाकिस्तान न केवल कृषि कार्य के लिए ही करता है, बल्कि उद्योग, बिजली, मत्स्य पालन, रोजगार और लगभग सभी क्षेत्रों में करता है. इन नदियों से पाकिस्तान के करोड़ों की आबादी का भरण पोषण होता है. पाकिस्तान कृषि क्षेत्र से राष्ट्रीय आय में 23% योगदान पाता है. 68% ग्रामीण लोगों का भरण पोषण होता है. सिंधु प्रतिवर्ष 154.3 मिलियन एकड़ फिट पानी की आपूर्ति करती है. इससे पाकिस्तान में व्यापक कृषि क्षेत्र की सिंचाई और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है.
भारत के उठाए कदम से पाकिस्तान में फसल नहीं होगी. फसल नहीं होगी तो खाद्यान्न संकट बढ़ेगा. पाकिस्तान में तो पहले से ही महंगाई चरम सीमा पार कर चुकी है. ऐसे में कृषि संकट से वहां अस्थिरता उत्पन्न होगी. यही कारण है कि पाकिस्तान काफी बौखला गया है. और भारत के इस कदम को युद्ध की तैयारी के रूप में ले रहा है.
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