April 27, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल राजनीति सिलीगुड़ी

क्या करेंगे दिलीप घोष? माफ़ी मांगेंगे या…?

पश्चिम बंगाल भाजपा में किसी समय दिलीप घोष की ही चलती थी. प्रदेश में भाजपा को लाने और उसकी जड़ सींचने में दिलीप घोष का बहुत बड़ा योगदान है. उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए भाजपा ने भी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया, फिर अखिल भारतीय स्तर पर भाजपा के राज्य महासचिव के पद पर बिठाया.पर यह सब कल की बात थी. वक्त बदलता रहता है.आज दिलीप घोष की भाजपा में क्या हैसियत है, यह बताने की जरूरत नहीं है. परंतु इसका कारण खुद दिलीप घोष भी हैं.

राजनीति में यह कहा जाता है कि जो नेता नाप तौलकर, सोच समझकर बोलता है, वह राजनीति में काफी दूर तक जाता है. लेकिन जो आक्रोश में बिना सोचे विचारे या बड़बोले जैसे नेता जितनी तेजी से उभरते हैं, उतनी ही तेजी से नीचे गिरते भी हैं. दिलीप घोष के बारे में कुछ ऐसा ही कहा जा सकता है. हालांकि इस श्रेणी में दिलीप घोष अकेले नहीं है. उनके जैसे विभिन्न राजनीतिक दलों में कई नेता हैं, परंतु यहां बात दिलीप घोष की इसलिए हो रही है कि भाजपा ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा है. जबकि दूसरे दलों की ओर से कम से कम अपने बड़बोले नेताओं के लिए इतना साहस नहीं दिखाया गया है, जितना बीजेपी ने दिखाया है. वह भी चुनाव के मौके पर.

दिलीप घोष अपने बड़बोलेपन के लिए जाने जाते हैं. कई बार उन्होंने पार्टी को मुश्किल में भी डाला है. चाहे वह पहाड़ का मसला हो या फिर उत्तर बंगाल का क्षेत्र विशेष हो या प्रदेश की राजनीति,उन्होंने कई बार पार्टी स्टैंड से हटकर बयान दिया है, जिसके कारण भाजपा को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा. बाद में भाजपा ने दिलीप घोष को किनारा करना शुरू कर दिया. उन्हें केंद्र में भी मंत्री नहीं बनाया गया. इसके अलावा राज्य महासचिव का भी पद छीन लिया गया और अब उनकी परंपरागत सीट मेदिनीपुर से भी बाहर कर दिया गया. इस समय दिलीप घोष को भाजपा ने वर्धमान दुर्गापुर सीट से उम्मीदवार बनाया है.

चुनाव प्रचार के क्रम में दिलीप घोष ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी जिसे तुरंत ही तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ एक हथियार बना लिया. यहां से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार कीर्ति आजाद ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया और भाजपा को महिला विरोधी पार्टी बताने का अभियान छेड़ दिया है. ताकि पश्चिम बंगाल में भाजपा अपने मकसद में कामयाब रहे, यही कारण है कि खुद को महिलाओं की हितैषी बताने और महिला सम्मान की रक्षक पार्टी का तमगा लेने के लिए भाजपा ने दिलीप घोष के बयान की निंदा की और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया.

भाजपा को यह करना जरूरी भी था. क्योंकि महिला सम्मान को भाजपा ने एक राष्ट्रीय मुद्दा बनाया है. हाल ही में कांग्रेस की एक नेता ने हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से लोकसभा उम्मीदवार कंगना रनौत के खिलाफ एक अभद्र टिप्पणी की थी, जिसे भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ एक बड़ा हथियार बना लिया है. ऐसे में अगर भाजपा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दिलीप घोष की टिप्पणी को अनसुना कर देती तो देश में भाजपा की महिलाओं के प्रति छवि धूमिल होती. इस नोटिस के जरिए भाजपा यह साबित करना चाहती है कि महिला सम्मान के मुद्दे पर वह अपने ही नेता को माफ करने को तैयार नहीं है. नोटिस में कहा गया है कि दिलीप घोष का वक्तव्य न सिर्फ अशोभनीय और निंदनीय है बल्कि यह भाजपा की परंपराओं के विपरीत भी है.

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिलीप घोष से उनके बयान के लिए स्पष्टीकरण और उचित कार्रवाई की बात कही है. अब देखना है कि दिलीप घोष भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सफाई में क्या जवाब देते हैं. सूत्र बता रहे हैं कि दिलीप घोष ममता बनर्जी पर विवादास्पद टिप्पणी करके बुरी तरह घिर गए हैं. भाजपा दिलीप घोष से काफी नाराज है. देखना होगा कि दिलीप घोष भाजपा की नाराजगी को दूर करने के लिए क्या कदम उठाते हैं. जानकार मानते हैं कि दिलीप घोष के पास बहुत सीमित विकल्प बच गए हैं. या तो उन्हें अपने बयान के लिए माफी मांगनी होगी या फिर यह भी संभव है कि उनकी उम्मीदवारी छीनी जा सकती है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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