NH-10 की बदहाली के लिए जिम्मेवार कौन? सिक्किम सरकार, बंगाल सरकार या केंद्र सरकार? क्योंकि सिक्किम की जीवन रेखा कही जाने वाली NH-10 3 सरकारों की चक्कियों के बीच पिस रही है.कहते हैं कि 3 तिगारा खेल बिगाड़ा. वर्तमान में इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग को लेकर ऐसा ही कहा जा सकता है. सिक्किम की जीवन रेखा कही जाने वाली NH-10 के भविष्य को लेकर फिर से झटका लग सकता है. सांसदों और खुद सिक्किम सरकार के दावों को झटका लगता नजर आ रहा है. क्योंकि अब बंगाल सरकार ने गेंद को केंद्र के पाले दे दिया है और केंद्र ने इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास को लेकर जो पहल की है, उससे नहीं लगता है कि NH-10 के दिन फिरेंगे भी.
कुछ समय पहले तक सिलीगुड़ी को सिक्किम से जोड़ने वाले NH10 को लेकर एक अच्छी खबर सामने आ रही थी. ऐसा लग रहा था कि यह राष्ट्रीय राजमार्ग एक नए कलेवर में नजर आएगा. जहां छोटे, बड़े, भारी सभी तरह के वाहन चलेंगे और सिक्किम तक बड़े आराम से पहुंच जाएंगे. सिक्किम सरकार और केंद्र सरकार से मिले संकेतों से भी ऐसा लग रहा था. यह कहा जा रहा था कि अगर बंगाल सरकार इसमें सहयोग करे तो NH-10 का कायाकल्प हो जाएगा.
आपको याद होगा कि सिक्किम सरकार ने भी बंगाल सरकार पर इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखाने का आरोप लगाया था. लेकिन अब सच्चाई सामने आ गई है. कम से कम बंगाल सरकार के पीडब्ल्यूडी के दावे में पता चलता है कि हाथी के दांत खाने के और तथा दिखाने के और होते हैं. इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग की देखरेख का दायित्व सेवक से लेकर रंगपो तक पीडब्ल्यूडी का है. 14 जून को हुई भारी बारिश के दौरान सर्वाधिक क्षति बंगाल में ही हुई है.सेवक से लेकर रंगपो के बीच कई स्थानों पर सड़क मार्ग बदहाल हुआ था. लिखुभीर, सेल्फी डाढा, तीस्ता बाजार इत्यादि इलाकों में पीडब्ल्यूडी ने पुनर्निर्माण का कार्य करके सड़क को हल्के वाहनों के लिए खोल दिया था. परंतु स्थाई निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी ने केंद्र को 27 करोड़ से ज्यादा के प्रस्ताव भेजे थे. उनमें से केंद्र ने केवल आधी राशि ही मंजूर की है.
टेलीग्राफ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने पीडब्ल्यूडी के प्रस्तावित सभी कामों के लिए केवल 14.13 करोड रुपए ही मंजूर किये है, जो कि पीडब्ल्यूडी की विस्तृत परियोजना लागत का आधा भाग है. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बंगाल सरकार पीडब्ल्यूडी विभाग को एक पत्र भेजा है. इसमें कहा गया है कि NH10 के कुछ हिस्सों में सड़क और पहाड़ी नालों, घाटी वाले भाग की मरमत तथा तीस्ता नदी के उफान से हुए कटाव से क्षतिग्रस्त पहाड़ी इलाकों की अल्पकालिक मरम्मत के लिए ही धनराशि स्वीकृत की है. ऐसे में सवाल यह है कि NH10 की हालत तो फिर पहले जैसी ही हो जाएगी. फिर कोई प्राकृतिक आपदा का झटका आएगा और सड़क का हाल पहले जैसा हो जाएगा.
राज्य पीडब्ल्यूडी ने जो प्रस्ताव भेजा है, उसके अनुसार इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग को पूरी तरह सुरक्षित, संरक्षित और मजबूत बनाने के लिए परियोजना रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था. अगर केंद्र सरकार ने इसके अनुसार राशि स्वीकृत की होती तो निश्चित रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग का सूरते हाल बदला जा सकता था. हालांकि अभी केंद्र की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं आया है. पीडब्ल्यूडी विभाग चाहता है कि केंद्र के सहयोग से ही कम से कम सेवक से लेकर रंगपु तक सड़क मार्ग की स्थिति ऐसी बना दी जाए जिससे कि बार-बार इसे बंद करने की नौबत ना आ सके.
N H-10 पर बड़े वाहन भी चले, इसके लिए जरूरी है कि पीडब्ल्यूडी की परियोजना पर विचार किया जा सके. लगभग 1 महीने पहले पीडब्ल्यूडी ने NH10 की प्राथमिक मरम्मत के बाद छोटे और हल्के वाहनों के लिए उसे खोल दिया था. लेकिन बड़े और भारी वाहनों के लिए इसे अभी बंद ही रखा गया है. अब बंगाल सरकार ने इसे लेकर केंद्र पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र को प्रस्तावित राशि स्वीकृत करने में ही समस्या आ रही है. ऊपर से समय पर राशि भी रिलीज नहीं हो पाती है. ऐसे में टेंडर और एजेंसिय की सेवा आदि की व्यवस्था कैसे की जा सकती है. केंद्र की अनुशंसा पर ही बाकी वैधानिक कार्रवाइयां की जाती है.
नवान्न के एक अधिकारी के अनुसार जुलाई महीने में सेवक से लेकर रंगपो तक 52 किलोमीटर के हिस्से के लिए अल्पकालीन रखरखाव अनुबंध के लिए 20 करोड रुपए का प्रस्ताव भेजा गया था. उस प्रस्ताव को अभी तक केंद्र से मंजूरी नहीं मिली है. इन परिस्थितियों में NH10 के भविष्य को लेकर आशंका के बादल मंडरा रहे हैं. राज्य सरकार और केंद्र के बीच फिलहाल NH 10 चक्की में पिसता नजर आ रहा है. राज्य सरकार ने जैसे संकेत दे दिया है कि अगर केंद्र ने अपना दृष्टिकोण नहीं बदला तो NH10 को लेकर फिर से वही स्थिति सामने आ सकती है. इसकी स्थाई मरम्मत के लिए जरूरी है कि ढलानों, भूस्खलन के विभिन्न बिंदुओं और तीस्ता नदी के किनारे के भागों को मजबूत और सुरक्षित बनाया जाए. राज्य सरकार, पीडब्ल्यूडी कुछ इसी तरह का प्रस्ताव पहले भी भेज चुका है. कुछ और प्रस्ताव भी भेजे जाने वाले हैं. पर उन पर केंद्र सरकार की मंजूरी मिलती है या नहीं, इसे लेकर अनिश्चितता बरकरार है.
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