बांग्लादेश में गरीबी और बेरोजगारी चरम पर है. वहां के नागरिकों के लिए भारत एक पसंदीदा जगह है. यही कारण है कि रहने, खाने पीने और नौकरी करने के लिए बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत में अवैध तरीके से प्रवेश करते हैं. इन घुसपैठयों को भारत के नागरिक ही भारत में शरण देते हैं. इसके बदले में बांग्लादेशी घुसपैठियों को रिश्वत देनी पड़ती है.
दलाल बांग्लादेश से लेकर दिल्ली तक फैले हुए हैं. इन दलालों की पहुंच काफी ऊपर तक है. पैसे के बल पर यह दलाल शासन प्रशासन तक अपनी पैठ रखते हैं. बांग्लादेशी घुसपैठियों से मोटी रकम लेकर यह उन्हें भारत की नागरिकता बड़ी आसानी से दिला देते हैं.
सूत्र बताते हैं कि बांग्लादेश के कई शहरों में दलाल सक्रिय हैं, जो बांग्लादेशी घुसपैठिए से संपर्क बनाते हैं. पहले से ही सब तय रहता है. सीमा पार करने के अलग से पैसे देने पड़ते हैं. जैसे ही यह सीमा पार कर बंगाल की सीमा में घुसते हैं, स्थानीय नेता और शासन प्रशासन के अधिकारी उन्हें आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने के बदले में मोटी रकम वसूल करते हैं. सूत्रो ने बताया कि प्रत्येक घुसपैठिए को स्थानीय सत्तारूढ पार्टी के नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को कम से कम ₹10000 देना पड़ता है. रकम के बदले उन्हें फर्जी वोटर कार्ड, राशन कार्ड ,आधार कार्ड आदि सभी दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं.
जो जितना ज्यादा सक्षम होता है, उसे उतना ही ज्यादा खर्च करना पड़ता है. दलाल बांग्लादेशी घुसपैठियों को नौकरी या रोजगार भी दिलाते हैं तथा उनकी पहचान को अत्यंत गोपनीय रखा जाता है. कुछ राजनीतिक दल इन्हें अपना वोट बैंक समझते हैं. इसलिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. लेकिन जब सत्तारूढ पार्टी को लगता है कि पार्टी की जीत और हार को तय करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है, तब बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उछाल दिया जाता है. उसके बाद पुलिस उनके पीछे लग जाती है. जैसे-जैसे यह पकड़े जाते हैं, एक नई कहानी सामने आती जाती है.
भारत में बांग्लादेशी घुसपैठिए का मामला कोई नया नहीं है. बरसों से बांग्लादेशी भारत में घुसपैठ कर रहे हैं. इन बांग्लादेशी लोगों को भारत के ही लोग भारत में अवैध तरीके से प्रवेश करा रहे हैं. न केवल इन बांग्लादेशी लोगों को शरण दी जा रही है, बल्कि उनके फर्जी आधार कार्ड, वोटर कार्ड और सभी दस्तावेज तैयार किये जा रहे हैं. वर्तमान में जिस तरह से बंगाल पुलिस एक्टिव हुई है और बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा जा रहा है, उनके बयान से पता चलता है कि ऐसे लोगों को राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है.
पश्चिम बंगाल के काकद्वीप का मामला सामने आया है. ऐसी चर्चा है कि एक राजनीतिक दल तृणमूल कांग्रेस के नेता ने पैसे लेकर न केवल बांग्लादेशियों को शरण दी, बल्कि उनके फर्जी वोटर कार्ड और आधार कार्ड तक बनवाए. कई पंचायती इलाकों में 10000 से अधिक बांग्लादेशी लोगों के राशन कार्ड तक बनवाए गए हैं. यह भी चर्चा है कि ₹10000 लेकर तृणमूल कांग्रेस के उक्त नेता ने एक बांग्लादेशी का वोटर कार्ड बनवाया. ऐसे में आप हिसाब लगा सकते हैं कि 10000 बांग्लादेशियों के वोटर कार्ड पैसे लेकर बनाए गए हैं. इस तरह से यह एक मोटी रकम बन जाती है.
पुलिस की पूछताछ में एक बंगलादेशी घुसपैठिए ने बताया कि बंगाल में प्रवेश करते ही सर्वप्रथम महिलाओं के वोटर कार्ड, राशन कार्ड और आधार कार्ड बनाए जाते हैं. उसके बाद पुरुषों के राशन कार्ड वगैरह दस्तावेज तैयार होते है. यह एक पूरा सिंडिकेट होता है. आप इसकी शिकायत कहीं नहीं कर सकते हैं और ना ही आपकी शिकायत सुनी जाती है. संपूर्ण दस्तावेज प्राप्त होने के बाद बांग्लादेशी घुसपैठियों को दलाल देश के कोने-कोने में भेज देते हैं. पुलिस ने पता लगाया है कि काकद्वीप मामले में प्रत्येक घुसपैठिए के द्वारा दलालों और प्रशासनिक अधिकारियों को ₹10000 न्यूनतम भुगतान किया गया था. विधायक मंटु राम पखिरा ने आरोप लगाया है कि कम से कम 6000 बांग्लादेशी घुसपैठियों के फर्जी वोटर कार्ड बने हैं.
बंगाल हो या बिहार या यूपी या दिल्ली, जैसे-जैसे भारत की पुलिस बांग्लादेशी घुसपैठिए की धर पकड़ कर रही है, वैसे-वैसे भारत में घुसपैठियों के शरण लेने की नई नई कहानी सामने आ रही है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ बंगाल से लेकर दिल्ली तक कार्रवाई तेज हो गई है. सिलीगुड़ी व आसपास के इलाके से अब तक कई बांग्लादेशी घुसपैठिए पकड़े जा चुके हैं.
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)