June 24, 2025
Sevoke Road, Siliguri
जुर्म उत्तर बंगाल सिलीगुड़ी

सिलीगुड़ी में बढ़ते अपराधों के लिए जिम्मेदार कौन!

नेपाल, बांग्लादेश और भूटान से घिरा सिलीगुड़ी शहर एक अत्यंत संवेदनशील शहर माना जाता है. यह चिकन नेक का प्रमुख शहर है. ऐसे में इस शहर की सुरक्षा व्यवस्था कुछ विशिष्ट होनी चाहिए. यह न केवल राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, बल्कि केंद्र सरकार की भी उतनी ही जिम्मेदारी है. सिलीगुड़ी शहर उत्तर पूर्व राज्यों का प्रमुख प्रवेश द्वार भी माना जाता है. अर्थात असम, मेघालय,अरुणाचल आदि पूर्वोत्तर राज्यों में जाने के लिए सिलीगुड़ी से होकर ही जाना होता है.

सवाल यह है कि जब यह इतना महत्वपूर्ण शहर है, ऐसे में यहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होनी चाहिए. परंतु ऐसा नहीं है. जिस तरह से बंगाल और देश के दूसरे राज्यों के शहरों में सुरक्षा व्यवस्था होती है, ठीक उसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था यहां भी है. स्पेशल कुछ भी नहीं है. जिसका फायदा अपराधी उठाते रहे हैं. सिलीगुड़ी में आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के बाद अपराधी बॉर्डर पार कर जाते हैं. इसलिए पुलिस को उन तक पहुंचना काफी कठिन हो जाता है.

सिलीगुड़ी शहर में पहले तो सीसीटीवी कैमरे ही नहीं थे, वर्तमान में प्रमुख स्थानों और मार्गों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए जरूर हैं, परंतु वे कितने सक्रिय हैं, यह तो पता नहीं. अध्ययन से यह भी पता चलता है कि इस संवेदनशील शहर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे पर्याप्त नहीं है. या फिर उच्च कोटि के कैमरे नहीं लगाए गए हैं. यहां कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने में पुलिस को जितना सक्रिय होना चाहिए, उतना सक्रिय नहीं है. इसलिए पुलिस पर भी आरोप लगते रहे हैं.

हालांकि इसका एक दूसरा पक्ष भी है. पुलिस के पास बहुत सी जिम्मेदारियां हैं. लेकिन उसके हिसाब से संसाधन कम है. पुलिस के खुफिया तंत्र में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है. आरोप तो यह भी लगता रहा है कि घटना की सूचना देने के काफी समय बाद पुलिस मौके पर पहुंचती है. पुलिस को लेकर यहां राजनीति भी खूब की जाती है. इस स्थिति से उबारने में राज्य सरकार महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती है. इसमें केंद्र सरकार भी योगदान दे सकती है.

सिलीगुड़ी शहर की पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव और उसे आधुनिक बनाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष पहल करने की जरूरत है. राज्य सरकार को भी चाहिए कि पुलिस को स्वतंत्र रूप से अपना काम करने दे. अगर सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस को अपना काम करने की पूरी आजादी मिले तो शायद स्थिति में कुछ सुधार हो सके.

वर्तमान में सिलीगुड़ी में तीन घटनाएं सुर्खियों में है. एक घटना हिलकार्ट रोड ज्वेलरी शोरूम में डकैती को लेकर है. दूसरी घटना चंपासारी में एटीएम लूट की है और एक अन्य घटना सिलीगुड़ी के नजदीक मयनागुड़ी एटीएम लूट की घटना है. इसके अलावा छोटी छोटी अपराध की कई घटनाएं तो रोजाना ही घटती है. ऐसा नहीं है कि पुलिस अपराधियों को धर दबोचने के लिए किसी का इंतजार करती है. परंतु जिस तरह के संसाधन चाहिए, कम से कम वर्तमान में इसका अभाव दिखता है.

अपराधियों पर नकेल कसने के लिए सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस को कमर कस कर तैयार रहना होगा. पुलिस का मनोबल बढ़ाना होगा. शहर में आपराधिक घटना घटने पर राजनीति शुरू हो जाती है और पुलिस महकमा को लपेटने का प्रयास किया जाता है. पुलिस कमिश्नर के इस्तीफे मांगे जाते हैं. परंतु राजनीति करने वाले यह भूल जाते हैं कि आखिर पुलिस कितने दबाव में काम करती है. अब समय आ गया है कि पुलिस के दबाव को कम किया जाए और इसी पर मंथन किया जाना चाहिए. इसमें सिलीगुड़ी नगर निगम, प्रशासन के साथ-साथ नागरिकों का भी सहयोग होना चाहिए.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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