दिल्ली से कुछ पर्यटक दार्जिलिंग घूमने आए थे. बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतरे और वहां से दार्जिलिंग के लिए कार बुक की. पर्यटक रहने के लिए होटल में चले गए. उन्हें सुबह 4:00 बजे कार से टाइगर हिल जाना था. दार्जिलिंग में पार्किंग की समस्या रहने से गाड़ी चालकों को अपनी गाड़ी रास्ते में ही साइड में लगानी होती है. उस समय रात्रि के 10:00 बज रहे थे. कर चालक ने सोचा कि इस समय ट्रैफिक की कोई समस्या नहीं होगी और सुबह तक तो वह इस स्थान को छोड़ चुका होगा.
दार्जिलिंग जैसे हिल स्टेशन में इस समय लोग सो रहे होते हैं. कार चालक को सुबह 4:00 बजे ही टाइगर हिल के लिए जाना था. होटल के सामने साइड में गाड़ी लगाकर चालक एक ढाबे पर खाना खाने चला गया. जब वह लौटा तो उसकी गाड़ी के चारों पहियों की हवा निकल चुकी थी. शायद किसी ने उसकी गाड़ी को पंक्चर कर दिया था. वह काफी परेशान हो गया. इस समय दुकान बंद रहने से वह गैरेज में पंक्चर ठीक नहीं करवा सकता था. और सुबह 4:00 बजे तक दुकान खुलने का सवाल ही नहीं था. अत: वह मन मसोस कर रह गया. कार चालक पर्यटकों को टाइगर हिल नहीं ले जा सका. इससे उसे काफी नुकसान हुआ. इसके साथ ही रात में उसे गाड़ी में ही सोना पड़ा था…
यह एक बानगी है. दार्जिलिंग में आए दिन कार चालकों के साथ इस तरह की परेशानियां देखी जा सकती हैं. कभी स्थानीय लोगों के द्वारा परेशानी खड़ी करना, तो कभी ट्रैफिक पुलिस प्रशासन की ओर से उनकी गाड़ियों का चालान कर दिया जाता है. यह समस्या कोई नई नहीं है. खासकर पर्यटन मौसम में चालकों के साथ ऐसी समस्या आती है. इसको लेकर कई बार चालक संगठन के लोग आंदोलन कर चुके हैं. लेकिन समस्या आज भी यथावत बनी हुई है. दार्जिलिंग में स्थानाभाव पार्किंग की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है. ऐसे में गाड़ी चालक पार्किंग के अभाव में अपनी गाड़ियों को रास्ते की साइड में ही खड़ा कर देते हैं और हाट बाजार करने लग जाते हैं. उतनी ही देर में उनके मोबाइल पर गाड़ी के चालान कटने का नोटिस आ जाता है.
शंभू नाथ नामक एक ड्राइवर ने बताया कि आमतौर पर एक चालक एक दिन में ₹500 से लेकर ₹700 तक कमाता है. जबकि ट्रैफिक पुलिस की ओर से ₹500 से लेकर ढाई हजार रुपए तक चालान भेज दिया जाता है. उसने कहा कि हमारी गलती क्या है. अगर यहां पार्किंग की सुविधा होती तो हम अपनी गाड़ी को पार्किंग में ही ले जाते. हम पूरी सावधानी बरतते हैं कि हमारी गाड़ी लगाने की वजह से ट्रैफिक पर उसका कोई असर नहीं पड़े. लेकिन इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस मनमाने ढंग से चालान काटती रहती है. खासकर समतल के ड्राइवरों के साथ यह समस्या ज्यादा देखी जाती है. शंभू नाथ ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि या तो पार्किंग की व्यवस्था की जाए या फिर ट्रैफिक पुलिस की मनमानी रोकी जाए.
कुछ समय पहले पहाड़ में समतल और पहाड़ के चालक संगठनों के बीच गाड़ी पार्किंग और जुर्माने को लेकर तनातनी की खबरें आई थी. यह भी आरोप लगाया जा रहा था कि स्थानीय पुलिस समतल के चालकों के साथ भेदभाव करती है. लेकिन कल बागडोगरा में समतल और पहाड़ के चालको के संगठन ने जो बैठक की, उसमें पता चला कि दार्जिलिंग पुलिस सभी ड्राइवरों के साथ ऐसा ही करती है. पहाड के चालकों ने कहा कि उनके साथ भी दार्जिलिंग पुलिस ज्यादादती करती है. दोनों संगठनों के लोगों ने इसके खिलाफ एकजुट होने का संकेत दिया है.
इस समय पहाड़ में काफी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं. गाड़ी चालकों को पीक सीजन में ही कमाई होती है. चालकों का आरोप है कि स्थानीय प्रशासन की मनमानी से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी तो उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है. जब खबर समय ने ईस्टर्न हिमालयन ट्रैवल एंड टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन के सलाहकार संदीपन घोष से इस संबंध में बात की तो उन्होंने कहा कि इस समय पीक सीजन है. पहाड़ जाने वाली गाड़ियों की संख्या अधिक है. जबकि दार्जिलिंग में पार्किंग की जगह कम है. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस गाड़ी चालकों के साथ अभद्र व्यवहार कर सकती है.
संदीपन घोष ने बताया कि चालकों से मिली शिकायत के आधार पर बुधवार को दार्जिलिंग के डीएम, एसपी और डीएसपी ट्रैफिक को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा. उन्होंने कहा कि जल्द ही एक प्रतिनिधि मंडल दार्जिलिंग जाएगा और ड्राइवर की समस्या और आरोपों का पता लगाया जाएगा. आपको बता दें कि 12 मई को इस संबंध में बागडोगरा में एक अनधिकृत बैठक भी हुई थी. इस बैठक में ही दार्जिलिंग के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपने का फैसला किया गया. अगर अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो भविष्य में आंदोलन करने के विकल्प पर भी विचार किया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि चालकों की मांग है, दार्जिलिंग में पार्किंग व्यवस्था की जाए और दार्जिलिंग जाने वाली गाड़ियों का पुलिस चालान तब तक नहीं करे, जब तक कि प्रत्यक्ष रूप से चालकों के द्वारा ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं किया जाता है. पहाड़ और समतल के ड्राइवर संगठन एकजुट हो चुके हैं. वे जल्द ही समस्या के समाधान की आशा रखते हैं. अब देखना है कि पहाड़ और समतल के चालकों की एकजुटता से दार्जिलिंग प्रशासन क्या कदम उठाता है और चालको के लिए क्या नई गाइडलाइंस लेकर आता है!
(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)