August 11, 2025
Sevoke Road, Siliguri
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सेवक-रंगपो रेल प्रोजेक्ट में क्यों हो रहा है विलंब?

Why is the Sevoke-Rangpo railway project getting delayed?

भारत की पहली भूमिगत रेलवे स्टेशन परियोजना सेवक-रंगपो रेल परियोजना क्या समय पर पूरी हो जाएगी? इस परियोजना को दिसंबर 2024 में ही पूरा कर लेने की बात थी. लेकिन कार्य पूरा नहीं हो सका. उसके बाद कार्य निष्पादन के लिए एक पर एक कई तारीखें निर्धारित की गई. अगस्त 2025 भी बीत रहा है. अब एक नया टारगेट 2027 दिसंबर तक का रखा गया है. सवाल है कि क्या यह प्रोजेक्ट दिसंबर 2027 तक पूरा हो जाएगा या फिर कोई नई तिथि निर्धारित की जाएगी?

इस सवाल का जवाब देना बहुत कठिन है. जिस तरह से इरकाॅन ने सेवक रंगपो रेल परियोजना में हाल ही में हुए भूस्खलन की घटना को लेकर रेल मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है, इसकी समीक्षा करने से पता चलता है कि आखिर सेवक रंगपो रेल प्रोजेक्ट में विलंब क्यों हो रहा है. जिस क्षेत्र में यह प्रोजेक्ट चल रहा है, उसकी भौगोलिक संरचना, बड़े-बड़े पहाड़, ढलान, चट्टानें, जंगल, नदियां ऐसी स्थिति में हैं कि वहां भूस्खलन की बार-बार घटनाएं होना स्वाभाविक है.

खासकर बारिश के दिनों मे यहां भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती हैं. ऐसे में कार्य में बाधा पहुंचती है. बरसात के चार-पांच महीने तो जो पहले का कार्य होता है, उसी का फिनिशिंग वर्क ही कहा जा सकता है. अत्यंत संवेदनशील और विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा यह प्रोजेक्ट अब तक प्रकृति की बड़ी-बड़ी मार को सहन करता रहा है. हालांकि इंजीनियर और वैज्ञानिक प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य को इस तरह से कर रहे हैं ताकि प्राकृतिक आपदा का शिकार न होना पड़े. पर असल समस्या तो प्रोजेक्ट पूरा करने की है. इरकॉन के अधिकारी भी चिंतित हैं. रेल मंत्रालय भी प्राकृतिक आपदा के आगे जैसे नतमस्तक है.

जो टनल क्षतिग्रस्त हुआ है, वहां बारिश के कारण टनल के ऊपर जंगल क्षेत्र में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई थी, जिन्हें प्रबंधित करना आसान नहीं था. इसी तरह से पहाड़ों से बहकर आए पानी, पत्थर और मिट्टी ने भी इसे कमजोर किया. कई बार इस स्थिति का सामना प्रोजेक्ट को करना पड़ा है. यह प्रोजेक्ट सिक्किम को रेल नेटवर्क से जोड़ने और क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

यही कारण है कि रेल मंत्रालय और इरकॉन के अधिकारियों का लक्ष्य बार-बार फेल हो जाता है, जिस पर उनका कोई वश नहीं है. क्योंकि सेवक रंगपो प्रोजेक्ट ही कुछ ऐसा है, जैसे आसमान में सूराख करना, जो आसान नहीं है. फिर भी टारगेट तो बना ही लिया जाता है. हालांकि अब इसका कोई महत्व नहीं रह गया है. अब तो बस यही दुआ की जा रही है कि यह प्रोजेक्ट जल्द से जल्द पूरा हो.

इस कार्य को समय पर पूरा करने के लिए सबसे जरूरी है भूस्खलन रोकने के उपायों पर विचार करना और कोई नई वैज्ञानिक तकनीक को अपनाना. तभी यह प्रोजेक्ट बनकर तैयार होगा. टनल नंबर 7 लगभग कंप्लीट हो चुका था. इस प्रोजेक्ट का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ टनल नंबर 7 है. इसकी लंबाई 3082 मीटर है. टनल में 650 मीटर लंबा प्लेटफार्म और 6 क्रॉस पैसेज बनाए जा रहे हैं. टनल के प्रवेश द्वार के पास ही पिछले मंगलवार को भूस्खलन हुआ था. इससे प्रवेश द्वार का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, जिसको मरम्मत करने के लिए कई कारीगर और मजदूर लगाए जाएंगे और इसमें समय लग सकता है. सुरक्षा दीवारों को भी मजबूत करना होगा.

इरकॉन द्वारा रेल मंत्रालय को सौंपी गई विस्तृत रिपोर्ट के बाद पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने भूस्खलन रोकने के लिए कई कदम उठाने का फैसला किया है. इसके अलावा जिओ टेक्निकल विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है. जोखिम वाले क्षेत्र की निगरानी बढ़ा दी गई है. दीर्घकालिक योजना पर विचार किया जा रहा है. इसके अंतर्गत आसपास के क्षेत्र में भूस्खलन रोकने के लिए वैज्ञानिक तकनीक अपनायी जाएगी.

इसके अलावा NH-10 पर बार-बार होने वाले भूस्खलन को भी रोका जाएगा. क्योंकि इसके चलते भी प्रोजेक्ट पूरा होने में विलंब हो रहा है. पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा और रेल सूत्रों के अनुसार प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने के लिए भूस्खलन से बचाव हेतु सर्वेक्षण का काम भी शुरू कर दिया गया है. इरकॉन की विस्तृत रिपोर्ट के बाद ही रेलवे ने यह तैयारी की है. अगर यह हादसा नहीं होता तो रेल विभाग सोया ही रहता.

उम्मीद की जा रही है कि रेल मंत्रालय मौजूदा स्थितियों को ध्यान में रखकर प्रोजेक्ट पूरा करने की दिशा में आवश्यक उपायों को अपनाएगा ताकि प्रोजेक्ट को समय पर पूरा किया जा सके. यह भी उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में कोई और नई बाधा उत्पन्न ना हो.

आपको बता दें कि प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 44.96 किलोमीटर है. इनमें से पश्चिम बंगाल में 41.55 किलोमीटर जबकि सिक्किम में 3.41 किलोमीटर की लंबाई है. कुल टनल की संख्या 14 है. पूरे मार्ग में 13 बड़े पुल और 10 छोटे पुल हैं. सेवक से लेकर रंगपो तक कुल पांच स्टेशन है. इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने से सिक्किम भारत के रेल मार्ग के मानचित्र से सीधा जुड़ जाएगा.

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