सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में एम्स की स्थापना हो. यह हर कोई चाहता है. आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक और सभी कारणो से यह जरूरी भी है. दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू विष्ट लगातार जोर लगा रहे हैं और आए दिन संसद में अपनी आवाज भी बुलंद कर रहे हैं. देखा जाए तो सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में एम्स की स्थापना अत्यंत आवश्यक हो गया है. क्योंकि सिलीगुड़ी में इलाज के नाम पर उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल और सिलीगुड़ी जिला अस्पताल है, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है.
उपरोक्त के अलावा अनेक नर्सिंग होम है, जहां इलाज कराने पर रोगियों को काफी पैसा देना पड़ता है. सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में गरीबी और भुखमरी ज्यादा है. यहां लोगों को बहुत कम वेतन मिलता है. ऐसे में गरीब लोग निजी अस्पतालों में इलाज कराने में हमेशा असमर्थ रहते हैं. दूसरी तरफ कुछ सुविधा संपन्न और अमीर लोग जो सिलीगुड़ी में इलाज कराना चाहते हैं, उनके लिए यहां अच्छा इलाज उपलब्ध नहीं है.
यहां अस्पतालों में बुनियादी ढांचे की भी कमी है. इसके अलावा योग्य चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी और यहां तक कि स्वास्थ्य उपकरणों का भी भारी अभाव है. जहां तक दार्जिलिंग की बात है, पहाड़ में अस्पताल मुख्य रूप से रेफरल सेवाएं प्रदान करते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप अनेक रोगियों की मौत हो जाती है. खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों की तो यहां कोई विशेष देखभाल भी नहीं हो पाती है.
अब इस मुद्दे को भाजपा सांसद राजू बिष्ट ने तर्कों के जरिए संसद के पटल पर रखा है. राजू बिष्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार ने उत्तर बंगाल में एम्स के लिए धन उपलब्ध कराया था लेकिन राज्य सरकार ने इस परियोजना को दक्षिण बंगाल में भेज दिया. इससे सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के लोगों को स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ रहा है. राजू बिष्ट ने सरकार से मांग की है कि उत्तर बंगाल में तुरंत ही एम्स की स्थापना की जाए ताकि यहां के लोगों को इलाज के लिए देश के दूसरे शहरों में जाना ना पड़े और साथ ही गरीब रोगियों को भी राहत मिले.
राजू बिष्ट ने संसद में अपनी आवाज बुलंद करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल के 23 जिलों में से 8 जिले दार्जिलिंग, कालिमपोंग, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, उत्तरी दिनाजपुर, दक्षिणी दिनाजपुर और मालदा शामिल है. लेकिन इन जिलों में से कहीं भी एम्स की स्थापना नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि आठ जिलों में 3 करोड़ की आबादी निवास करती है. इनमें से अधिकतर चाय बागान, किसान और सामान्य लोग रहते हैं. जिनकी मासिक आमदनी औसतन ₹6000 से लेकर ₹7000 तक है. ऐसे में यह लोग महंगा इलाज कराने में असमर्थ हैं. सरकार इन क्षेत्रों के निवासियों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करते हुए एम्स की स्थापना की पहल करे.