March 19, 2025
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राजनीति लाइफस्टाइल

क्या नेपाल में राजशाही की होगी वापसी ?नाकाम नेताओं ने नेपाल की नैया डुबाई 17 साल में 14 बार बदली सरकार !

क्या नेपाल में पुनस्थापित होगा राजतंत्र ? नेपाली वासियों की इस मांग ने लोकतांत्रिक देशों में खलबली मचा दी है |
भारत का पड़ोसी देश नेपाल प्रकृति छटाओं से घिरा एक अति सुन्दर देश है | यह देश पूर्व, दक्षिण और पश्चिम में भारत और उत्तर में चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के बीच स्थित है । लेकिन क्या आपको पता है नेपाल में राजशाही के समाप्ति के बाद 17 सालों में 14 बार सरकारें बदली है और यह सरकारों का बदलना नेताओं की नाकामी और कमजोर राजनीतिक स्थिति को दर्शाता है |
17 सालों में 14 बार सरकार बदलने वाले देश की जनता की मनोस्थिति कैसी होगी इसका अंदाजा लगाना शायद मुश्किल है, लेकिन नेपाल में गणराज्य की स्थापना के 17 साल बाद राजतंत्र की स्थापना की मांग को लेकर हजारों लोग अब सड़कों में उतर आए हैं, साथ ही नेपाल की जनता हिंदू राष्ट्र की मांग भी कर रही हैं या हम नहीं यह नेपाल की जनता बोल रही है |
नेपाल में राजनीतिक त्राहिमाम मचा हुआ है और इस माहौल में अब 11 जून 2001 को घटित हुई हत्याकांड फिर से नेपाल वासियों को याद आने लगा है | क्योंकि नेपाल में आए परिवर्तन में यह तारीख बहुत बड़ी भूमिका निभाता है |
1 जून 2001 को, नेपाल के शाही परिवार के सदस्यों की नारायणहिती पैलेस में हत्या कर दी गई थी, जिसे “नेपाली शाही नरसंहार” या “दरबार हत्याकाण्ड” के नाम से जाना जाता है और इस हत्याकांड के बाद नेपाल में लगातार राजनीतिक उतार चढ़ा के बीच दिसंबर 2007 में अंततः यह सहमति हुई कि, राजशाही को समाप्त कर दिया जाएगा, और अप्रैल 2008 में चुनाव हुए। माओवादियों ने – जिन्होंने 2009 में अपनी पार्टी का नाम बदलकर यूनिफाइड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल (माओवादी), या UCPN (M) कर लिया था – सबसे अधिक सीटें जीतीं, और 28 मई, 2008 को, दो शताब्दियों से अधिक के शाही शासन का अंत हो गया, क्योंकि नई विधानसभा ने नेपाल को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने के लिए मतदान किया था।
लेकिन क्या फिर से नेपाल में राजशाही का दबदबा शुरू होने वाला है, क्योंकि जिस तरह से नेपाल वासी राजशाही की मांग कर रहे हैं और पूरे नेपाल में रैलियां निकाल रहे हैं उसे दोबारा राजशाही लाने की संभावना बढ़ गई है, वहीं पूर्व राजा ज्ञानेंद्र का जगह-जगह स्वागत हो रहा है अब सवाल यह है कि, क्या नेपाल की जनता का लोकतंत्र से मोह भंग हो गया है, और वे क्यों 17 साल पहले भंग हुए राजशाही के दौर को फिर से दोबारा लाना चाहते हैं, इन 17-18 सालों में शायद नेपाल की जनता ने 14 बार बदले सरकारों से बहुत कुछ सीखा है और वह हताश व निराश हो चुके है,लोकतंत्र को लेकर उन्होंने जो सपने देखे थे शायद वे सभी धराशाई हो गए हैं, लोकतंत्र की हालत राजशाही से भी बतर है, इसलिए अब नेपाल की जनता त्राहिमाम कर रही है |
लोकतंत्र की खूबसूरती को बनाए रखने में नेपाल के सियासी दल बुरी तरह नाकाम रहे है |
आपसी खींचतान, एक दूसरे को पटखनी देने और सरकार में बने रहने के लिए ये सत्ता समीकरणों में उलझना, इन राजनीतिक दलों के नेता अपनी रोटी सेकने में इतनी उलझे की,उन्होंने नेपाल को महंगाई, बेरोजगारी,अर्थव्यवस्था की बुरी हालात और भ्रष्टाचार के दलदल में धकेल दिया, जिसके कारण घोटाले पर घोटाले, राजनीतिक हिंसा, बेरोजगारी का साया इतना गहराया की नेपाल वासियों का लोकत्रंत से विश्वास उठ गया | अब नेपाल में फिर से वहां की जनता राजशाही को दोबारा स्थापित करने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं और इस प्रदर्शन में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और अन्य राजशाही समर्थक संगठन ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया |
नेपाल में देखा जाए तो 2008 में गणतंत्र की स्थापना हुई थी, उसके बाद इन 17 सालों में 14 बार प्रधानमंत्री बदले, नेपाल में भी पीएम का कार्यकाल 5 साल का ही होता है, लेकिन 2008 के बाद कोई भी पीएम अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया और इन्हीं वाक्य के कारण नेपाल वासियों में धीरे-धीरे चिंगारी भरने लगी और अब इस चिंगारी ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है जो विस्फोट होकर राजशाही की फिर से मांग कर रही है | काठमांडू जो नेपाल की राजधानी है वहां जोरदार प्रदर्शन कर राजशाही का समर्थन किया जा रहा है |
नेपाल में राजशाही की वापसी के मांग ने कम्युनिस्ट दल, विशेष रूप से प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाली ‘नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी और पूर्व माओवादी विद्रोही पुष्प कमल दहल (प्रचंड) की चिंता बढ़ा दी है, राष्ट्रीय दल नेपाली कांग्रेस को भी राजशाही के समर्थन में उठते आवाज ने चिंता में डाल दिया है |

वहीं दूसरी ओर पूर्व माओवादी विद्रोही पुष्प कमल दहल (प्रचंड) ने राजतंत्र की बहाली की आलोचना करते हुए कहा है कि, इसे किसी भी हाल में अनुमति नहीं दी जाएगी, यदि पूर्व राजा लोकप्रिय है, तो वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते हुए चुनाव में भाग ले और सत्ता में आए व देश चलाएं,वर्तमान में संविधान के तहत नेपाल में राजतंत्र की कोई जगह नहीं है | वहीं नेपाली कांग्रेस के नेता गगन कुमार थापा ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, जनता के इस उग्र रूप को अनदेखा नहीं किया जा सकता | तो क्या नेपाल में फिर से राजशाही का बोलबाला होगा यह सवाल फ़िलहाल बना हुआ है |

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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