रोटी, कपड़ा और मकान यह वह जरूरत है, जिसकी बिना इंसान जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है और इसी तीनों जरूरत को पूरा करने के लिए इंसान कड़ी से कड़ी मेहनत करता है | यदि मेहनत से सिर्फ काम बन जाता तो पढ़ाई लिखाई का कोई महत्व नहीं होता, लेकिन मेहनत के साथ पढ़ाई लिखाई भी उतनी ही जरूरी है | इसी पढ़ाई लिखाई के माध्यम से इंसान बड़े-बड़े पदों पर विराजमान होते हैं, जिसके बाद एक नए समाज का सृजन करते हैं और समाज में शिक्षक यानी गुरु का बहुत बड़ा स्थान होता है | हर इंसान के जीवन में माता-पिता के बाद किसी का अहम स्थान होता है तो वह है गुरु का होता है, और यही गुरु इन दिनों सड़कों पर मारे-मारे फिर रहें हैं इतना ही नहीं राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की गुहार भी लगा रहे हैं |
बता दे कि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नौकरी गंवा चुके लगभग 26 हजार शिक्षक व गैर शिक्षाकर्मी अपनी नौकरी बहाल रखने के लिए लगातार आंदोलन कर रहे है इस आंदोलन के दौरान कई प्रकार की परेशानियां भी उनके सामने आ रही है, एक ओर तो जहां अपने खोए हुए नौकरी की मांग करते हुए वह जहां सड़कों पर उतर रहे हैं तो वहीं घर की जिम्मेदारियां भी इनके हिम्मत को तोड़ रही है | अब आलम यह है कि,राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की गुहार लगाने की नौबत आ चुकी है |
बता दे कि, इनमें से एक बेरोजगार शिक्षिका ने राष्ट्रपति के पास स्वैच्छिक मृत्यु याचिका दायर की है, मंगलवार की दोपहर बेरोजगार शिक्षिका मौमिता पाल ने अलीपुरदुआर कोर्ट पोस्ट ऑफिस में जाकर यह याचिका दायर की, सूत्रों के अनुसार राज्य के विभिन्न जिलों से बेरोजगार शिक्षिकाओं ने राष्ट्रपति को आवेदन पत्र भेजा है, मंगलवार को शिक्षिका ने फिर से पंजीकरण कराकर आवेदन पत्र भेजा है, मौमिता ने कहा, हमने राष्ट्रपति के पास अपनी स्वैच्छिक मृत्यु याचिका दायर की है |
वर्तमान स्थिति बताते हुए उन्होंने कहा कि, नौकरी खोने के बाद सड़कों पर बैठे हैं लेकिन किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है और अब उनकी नजर अलीपुरदर शहर में 29 मई को होने वाले प्रधान मंत्री के दौरे पर बनी हुई है, क्योंकि 29 में को प्रधानमंत्री अलीपुरदर शहर पहुंचेंगे, इससे पहले ही बेरोजगार हुए शिक्षकों ने प्रधानमंत्री से मिलने के लिए संसद और जिला मजिस्ट्रेट के पास याचिका दायर की थी और बाद में जब प्रधानमंत्री कार्यालय से अनुमति नहीं मिली तो उसके बाद कुछ शिक्षकों ने कहा कि बेरोजगार होकर दर-दर भटकने से अच्छा हमें यही रास्ता चुनना चाहिए, इसलिए उन्होंने बुधवार को राष्ट्रपति को आवेदन दिया और डाकघर जाकर रजिस्ट्रेशन कराया | गौरतलब है कि, राज्य सरकार पहले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नयी परीक्षा अधिसूचना जारी कर चुकी है, हालांकि उस अधिसूचना को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में मामला दायर किया गया है, इस बीच बेरोजगार शिक्षकों ने भी साफ कर दिया है कि, वे दोबारा परीक्षा में नहीं बैठेंगे, और वे निराश होकर इच्छा मृत्यु का आवेदन कर रहे हैं |
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