अगर यह कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा कि आने वाले कुछ वर्षों में सिलीगुड़ी के व्यापारिक विकास को नए पंख लग जाएंगे. यहां व्यापार और वाणिज्य का काफी विस्तार होने वाला है. सिलीगुड़ी वैसे ही व्यापारिक नगरी कही जाती है. यहां से कारोबार उत्तर बंगाल, बांग्लादेश, नेपाल, सिक्किम, बिहार, असम और भूटान में भी होता है. जिस तरह की भारत और भूटान की रेल लिंक योजना है, अगर यह पूरा होता है तो सिलीगुड़ी का व्यापार क्षेत्र नई ऊंचाइयों पर होगा.
सिलीगुड़ी से उत्पादित वस्तुएं सीधी रेल सेवा के जरिए भूटान पहुंचेगी और भूटान से काफी संख्या में उत्पादित वस्तुएं असम होते हुए सिलीगुड़ी पहुंचेगी.केवल सिलीगुड़ी को ही नहीं, बल्कि असम और भूटान को व्यापार के क्षेत्र में काफी लाभ होने वाला है. सिलीगुड़ी में व्यापार का ढांचा बदलेगा. यहां बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल और व्यावसायिक संरचनाओं का विकास होगा और यह व्यापारिक हब के रूप में पूरे भारत में विकसित हो सकेगा, जहां से माल भारत के दूसरी शहरों को भेजा जा सकेगा.
भारत अपने पड़ोसी देश नेपाल और भूटान के साथ रिश्ते मजबूत कर रहा है. पहले बांग्लादेश, फिर नेपाल और अब भारत और भूटान के बीच सीधी ट्रेन सेवा शुरू करने का फैसला किया गया है. सर्वेक्षण का काम पूरा कर हो चुका है. डीपीआर पेश कर दी गई है. अनुमोदन के साथ ही रेल लिंक प्रोजेक्ट का काम शुरू हो जाएगा.
भारत और भूटान के बीच रेल प्रोजेक्ट को लेकर जो खाका तैयार किया गया है, उसके अनुसार पहले दोनों देशों के बीच मालगाड़ी चलेगी. उसके बाद यात्री ट्रेन शुरू की जाएगी. इसका भारत और भूटान के लोगों को लाभ तो होगा ही, सबसे ज्यादा लाभ सिलीगुड़ी का होने वाला है. यहां व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में काफी विकास देखने को मिल सकता है. सिक्किम और दार्जिलिंग को भी लाभ होने वाला है सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार भारत और भूटान के बीच रेल परियोजनाओं को असम से भूटान तक बढ़ाने का फैसला किया गया है.
रेल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोकराझाड़ से गेलेफू तक एक नई रेल लाइन बिछाई जाएगी. इससे दोनों देशों के बीच यात्री संपर्क के साथ-साथ दोस्ताना संबंध भी विकसित होगा. यूं तो भारत और भूटान के बीच कई साल पहले ही रेल सेवा शुरू करने की योजना बना दी गई थी. 25 फरवरी को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुवाहाटी में इस परियोजना की घोषणा की थी. उनकी घोषणा के बाद ही यह कागजी रूप से कार्यवाही के लिए तैयार हो चुका है.
सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा के अनुसार प्रस्तावित 69.04 किलोमीटर रेलवे लाइन असम के कोकराझार स्टेशन से भूटान की गैलेफू तक जाएगी. इस परियोजना की संपूर्ण लागत 3500 करोड़ है. कोकराझार से गैलेफु के बीच छह नए स्टेशन बनेंगे. इनमें बाला जान, गरुभाषा, रूनी खाता, शांतिपुर, डाडागिरी और गैलेफू रेलवे स्टेशन शामिल है. 69 किलोमीटर लंबी रेल लाइन के बीच कुल पुलों की संख्या 96 होगी. जबकि एक रोड ओवर ब्रिज, 39 रोड अंडर ब्रिज और 11 मीटर लंबाई के दो बायडकट शामिल होंगे.
कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि प्रस्तावित रेलवे लाइन व्यापार, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा. भारत और भूटान संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. दोनों देशों के बीच रेल कनेक्टिविटी में सुधार होगा. जबकि भूटान को पहली रेलवे लिंक मिल जाएगी. इस तरह से भारत और भूटान के बीच माल की ढुलाई निर्विघ्न संपन्न होगी. दोनों देशों के बीच अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी. लेकिन इसका सबसे ज्यादा लाभ व्यापारिक नगरी कही जाने वाली सिलीगुड़ी को होने वाला है. ऐसा यहां के व्यापारी कयास लगा रहे हैं.
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