अगले 6 महीने के भीतर पश्चिम बंगाल में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराए जाएंगे. क्योंकि राज्य में 9 विधानसभा सीटें खाली हुई हैं. 6 महीने से अधिक इन सीटों को खाली नहीं रखा जा सकता. इसलिए चुनाव आयोग फिर से इन सीटों के लिए उपचुनाव कराएगा. लोकसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के कई विधायकों को टिकट दिया गया था. उनमें से कुछ विधायकों ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. ऐसे में विधानसभा की रिक्त सीटों को 6 महीने से अधिक खाली नहीं रखा जा सकता.
लोकसभा का चुनाव लड़ने से पहले विधायकों को अपनी विधानसभा की सीट छोड़नी पड़ती है. राज्य में कुल 8 विधायक थे जिन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ने से पहले अपनी अपनी विधानसभा सीटों से इस्तीफा दिया था. इन विधायकों में कृष्ण कल्याणी, मुकुट मणि अधिकारी, विश्वजीत दास, हाजी नुरुल इस्लाम, मनोज टिगा, जगदीश चंद्र बसूनिया, जून मालिया और पार्थ भौमिक शामिल हैं.
चुनाव आयोग जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराएगा,उनमें से रायगंज, राणाघाट दक्षिण, बागदा, मानिकतला, बसीरहाट, मदारीहाट, सिताई, मेदिनीपुर और नैहाटी शामिल हैं. रायगंज के तृणमूल विधायक कृष्ण कल्याणी ने लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले अपनी विधायक की छोड़ दी थी. राणाघाट दक्षिण से मुकुट मणि अधिकारी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. जबकि बागदा से विश्वजीत दास ने अपने विधायक पद से इस्तीफा दिया था. मानिकतला सीट विधायक साधन पांडे के निधन के कारण रिक्त पड़ी है.
टीएमसी ने अपने विधायक हाजी नुरुल इस्लाम को बसीरहाट से उम्मीदवार बनाया था. लोकसभा के चुनाव में वह विजई रहे हैं. ऐसे में बसीरहाट सीट खाली हो गई है. इसी तरह से मदारीहाट के विधायक मनोज टिगा अलीपुर संसदीय क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार थे. वह चुनाव जीत गए हैं. ऐसे में मदारीहाट सीट खाली हो गई है. सिताई से तृणमूल कांग्रेस के विधायक जगदीश चंद्र बसूनिया ने लोकसभा का चुनाव लड़ने से पहले अपनी विधायकी छोड़ी थी. वह कूचबिहार से चुनाव लड़ रहे थे. वह विजई रहे हैं. उन्होंने भाजपा उम्मीदवार निशित प्रमाणिक को हराया है.
TMC की विधायिका जून मालिया मेदिनीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी थी और उन्हें जीत हासिल हुई. ऐसे में मेदिनीपुर की सीट उन्हें छोड़नी होगी. इसी तरह से बैरकपुर से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार पार्थ भौमिक ने भी लोकसभा सीट जीत दर्ज की है. पार्थ भौमिक नैहाटी से विधायक थे. इसलिए नैहाटी सीट भी खाली हुई है. नियम के अनुसार सभी नवनिर्वाचित सांसदों को 6 महीने के भीतर विधानसभा की सीटें विधिवत रूप से खाली करनी होगी. ऐसे में वहां उपचुनाव कराए जाएंगे. इस तरह से एक बार फिर बंगाल की जनता 9 सीटों के लिए विधायक चुनने जा रही है.
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