October 6, 2024
Sevoke Road, Siliguri
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सिलीगुड़ी और पहाड़ में धूप का निकलना कहीं भविष्य के लिए खतरे की घंटी तो नहीं!

पिछले 2 दिनों से सिलीगुड़ी समतल और पहाड़ी इलाकों में अच्छी धूप निकल रही है. इसको लेकर एक तरफ तो पर्यावरणविद चिंता में पड़ गए हैं तो दूसरी तरफ पहाड़ में खिली धूप पर्यटकों को खूब भा रही है. पर्यटक सर्दी के बीच खिली धूप का खूब लुत्फ उठा रहे हैं.

यूं तो इस मौसम में और खासकर जनवरी महीने में पहाड़ पर धूप कम ही देखी जाती है. पहाड़ का मौसम साफ और घाटियां चमक रही है. कंचनजंगा पर्यटकों को भा रहा है. जनवरी महीने में पहाड़ का मौसम आमतौर पर बारिश, कोहरा और शीत से परिपूर्ण रहता है. इस तरह का मौसम इस महीने में होना पहाड़ के लिए शुभ संकेत है.

जबकि दूसरी ओर इस समय खिली खिली धूप यूं तो लोगों को भा रही है, परंतु आने वाले समय के लिए यह अच्छा नहीं है. पर्यावरण संतुलन तथा पहाड़ को जल संकट से बचाने के लिए इस मौसम में और खासकर इस महीने पहाड़ में बर्फ का पडना आवश्यक होता है. पर्यावरण के पेड़ पौधे से लेकर हर जीव को जल की आवश्यकता होती है. लेकिन ऐसे में जब धूप तेज निकल रही हो तो इसका अर्थ सूखा पड़ना के रूप में निकाला जा सकता है.

पर्यावरण विदों ने कहा है कि जनवरी महीने में पहाड़ में ठंड ,कोहरा और ओला पडना होता है. इससे जमीन भी गीली हो जाती है. पेड़ पौधे आदि जल ग्रहण करते हैं. पानी का संचय होता है और गर्मियों में लोगों को पेयजल का संकट करना नहीं पड़ता.

पर्यावरणविद भरत प्रकाश राई ने कहा है कि भविष्य में पहाड़ के लोगों के लिए यह अच्छा नहीं कहा जा सकता. अगर इस मौसम में पहाड़ में जल का संचय नहीं होगा तो गर्मियों में स्थिति और बिगड़ सकती है. जिस तरह से पिछले दो दिनों में सिलीगुड़ी और समतल में तेज धूप निकल रही है, उससे लोगों को ठंड से राहत तो मिलती है. पर क्षणिक सुख के लिए भविष्य में आने वाली मुसीबत की भी आहट होने लगती है!

कुछ लोग भले ही जनवरी महीने में निकल रही खिली खिली धूप का स्वागत करें, परंतु बुद्धिमान और पर्यावरण प्रेमी इसका कतई स्वागत नहीं करेंगे. हालांकि मौसम को बदलते देर नहीं होती. पर्यावरणविद भी यही मान रहे हैं. कम से कम मकर संक्रांति तक उन्हें उम्मीद है कि मौसम एक बार फिर से बदलेगा और समतल से लेकर पहाड़ तक धरती गीली होगी.

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