न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय स्टेशन बनाने के लिए विभिन्न मोर्चों पर काम चल रहा है. कार्य प्राथमिक चरण में है. सिविल निर्माण कार्य शुरू करने के लिए स्थल तैयार करने के लिए सामने के छोटे-मोटे निर्माण कार्यों, कार्यालयों आदि को नए स्थानों पर ले जाने के लिए तथा पुरानी निर्माण व्यवस्था को तोड़ने का काम तेजी से चल रहा है.
अब तक जितना कार्य पूरा हो चुका है, उस पर एक नजर डालते हैं. आगमन-1 टर्मिनल तथा वैकल्पिक स्टेशन भवन की बुनियाद का काम पूरा कर लिया गया है. अब आगमन दो और प्रस्थान टर्मिनल के लिए कार्य शुरू होगा. यूटीएस कम पीआरएस काउंटर को रामनगर कॉलोनी रोड पर स्थानांतरित कर दिया गया है. साइट ऑफिस तथा सम्मेलन कक्ष को पहले ही चालू कर दिया गया है. एलिवेटेड रोड के लिए टेस्ट पाइल की ढलाई का काम भी पूरा हो चुका है.
न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन की वर्तमान में 36000 यात्रियों की क्षमता है अर्थात वर्तमान में यह स्टेशन 36000 यात्रियों के आवागमन को व्यवस्थित करता है.लेकिन जब यह पूरी तरह बन जाएगा तब उस समय इसकी कैपेसिटी बढ़कर 70000 से अधिक हो जाएगी. पूर्वोत्तर भारत के प्रमुख एनजेपी स्टेशन के अप ग्रेडेशन में रेलवे 334.72 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब यह स्टेशन बनकर तैयार होगा, उस समय इसकी स्थिति क्या होगी.
अभी इस स्टेशन पर रेल यात्रियों को हवाई यात्रियों की तरह सुविधा देने के संसाधन विकसित किए जा रहे हैं. स्टेशन में विशाल कवर्ड पार्किंग क्षेत्र, 24 * 7 पावर बैकअप, वातानुकूलित लॉबी,पेय जल व्यवस्था, कार्यालय, दुकान ,हाई स्पीड एस्केलेटर, लिफ्ट की व्यवस्था, एयर कानकोर्स, होटल इत्यादि सुविधाएं विकसित की जानी है. इसके अलावा अराइवल और डिपार्चर यात्रियों के लिए अलग-अलग तकनीकी उपकरण व्यवस्थित किए जाने हैं. यह सभी काम भी चरणबद्ध तरीके से संपन्न होगा.
आपको बताते चलें कि न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के सबसे बड़े और सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है. यह पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विख्यात है. इस स्टेशन के विकास और वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाए जाने से ना केवल उत्तर बंगाल,सिलीगुड़ी और आसपास के लोगों को लाभ होगा बल्कि सिक्किम, दार्जिलिंग आदि क्षेत्रों में पर्यटन का मार्ग भी प्रशस्त होगा. जानकार यह भी मानते हैं कि एनजेपी स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाए जाने से उत्तर बंगाल की अर्थव्यवस्था में भी क्रांतिकारी बदलाव आएगा. अप ग्रेडेशन का पूरा काम 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.