चीन की नई चाल ऐसी है कि भारत कुछ नहीं कर सकता. जबकि चीन भारत का बहुत कुछ बिगाड़ सकता है. चीन की नजर शुरू से ही सिलीगुड़ी गलियारा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश पर टिकी है. इन क्षेत्रों में चीन की सीमा लगी हुई है और चीन अपनी भूमि का सामरिक काम के लिए उपयोग कर रहा है. चीन अपनी नई योजना से सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और सिलीगुड़ी गलियारे की सुरक्षा पर संकट को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. भारत देखो और इंतजार करो की नीति पर चल रहा है. भारत सही समय आने पर उसका जवाब देने के लिए तैयार रहेगा.
अगर भारत का कोई दुश्मन देश उसकी सीमा के निकट से रेल लाइन बिछाए, सड़क बिछाए तो भारत की चिंता स्वाभाविक है. क्योंकि सीमा पर रेल लाइन अथवा सड़क बिछाने का मतलब दुश्मन देश को दबाव में डालना है.हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच जो विवाद हुआ था और जिसके फल स्वरुप दोनों देशों के बीच वाॅर छिड़ गया था, उसमें चीन की भी पोल खुल गई थी.अब चीन इसे अपना अपमान समझ रहा है और यही कारण है कि वह भारत को युद्ध के लिए उकसा रहा है. हालांकि भारत की ओर से अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
जो नई खबर सामने आ रही है, अगर उसमें सच्चाई है तो भारत की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. खासकर भारत के राज्य सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है. चीन की हेकड़ी इतनी बढ़ गई है कि अब वह भारत को एक नई चाल से घेरना चाहता है और वह है चीन की तिब्बत सींजयांग के बीच 2000 किलोमीटर रेल परियोजना, जो अब धरातल पर उतरने जा रही है.
हालांकि चीन ने 2008 से ही इस परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया था. परंतु सूत्र बता रहे हैं कि इसे जमीनी हकीकत अब दिया जा रहा है. चीन की जिस तरह की परियोजना है, उसके अनुसार चीन तिब्बत के शिगातसे से अपनी रेल लाइन बिछाने का काम शुरू करने जा रहा है और यह नेपाल की सीमा के साथ चलेगी. नेपाल की सीमा के साथ चलने का मतलब यह है कि इसके जरिए चीन नेपाल और भारत की मुश्किलें बढ़ा सकता है.
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि चीन की इस रेल परियोजना में भारत की अधिकृत भूमि, जिस पर 1950 से ही चीन का कब्जा है, वह है अक्साई चीन. चीन इसी रूट पर रेल लाइन बिछा रहा है. भारत का LAC पर जहां-जहां चीन के साथ विवाद रहा है, उन सभी इलाकों में चीन रेल लाइन गुजारने की तैयारी में है. इसमें नेपाल तिब्बत सीमा पर स्थित चंबा घाटी में येदोंग काउंटी तक रेल लाइन बिछाना भी शामिल है. इसका मतलब डोकलाम इलाका भी शामिल हो जाएगा. यहां 2017 में भारत और चीन का विवाद हुआ था.
चीन ने 1950 के दशक में शिंजियांग तिब्बत हाईवे बनाया था, जो 1962 में भारत चीन युद्ध का कारण बना. अब इस रूट से चीन की रेल गुजरेगी तो आसानी से समझा जा सकता है कि भारत के लिए यह कितना बड़ा खतरा है. चीन एल ए सी पर सेना और सैन्य सामग्री आसानी से पहुंच सकेगा और भारत को दबाने की कोशिश करेगा. जानकार भी मानते हैं कि चीन की यह नीति अपना सामरिक विस्तार की है. वह भारत को घेरने और उस पर दबाव बनाने की योजना बना रहा है.
चीन की प्रस्तावित रेल परियोजना में अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास ल्हासा भी आ जाएगा, जहां से होकर चीन की रेल गुजरेगी. जानकारों के अनुसार अपनी योजना में चीन इस बात की परवाह नहीं कर रहा है कि इन क्षेत्रों में रेल लाइन बिछाने का मतलब बेपनाह पैसा खर्च करना है. क्योंकि यह क्षेत्र दुर्गम घाटियों, हिम नद, चट्टाने पर्वत श्रृंखलाओं आदि से घिरा है और काफी चुनौती पूर्ण है. लेकिन चीन इस बात पर ज्यादा फोकस दे रहा है कि इसके जरिए वह भारत और नेपाल पर अंकुश लगा सकेगा. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन के दौरे पर जाने वाले हैं. उसके बाद वास्तविक तस्वीर क्या सामने आती है, यह देखने को मिलेगा.