3 अक्टूबर की तीस्ता त्रासदी में बुरी तरह क्षतिग्रस्त सिक्किम का चुंगथांग 42 दिनों बाद सिक्किम राज्य के शेष स्थानों से जुड़ गया है. तीस्ता नदी पर चुंगथांग बेली ब्रिज बनाया जा चुका है और आज से वाहनों की आवाजाही भी शुरू हो चुकी है. इससे उत्तरी सिक्किम के बाढ प्रभावित इलाकों के लोग काफी खुश हैं और वे भारतीय सेना तथा बीआरओ को सेल्यूट कर रहे हैं.
भारत की सेना अपने दृढ़ संकल्प और पराक्रम के लिए जानी जाती है.हमारी सेना राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ ,नागरिकों की सेवा और दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए जानी जाती है. हालात कितने भी विपरीत हो, भारतीय सेना अपने बुलंद इरादों से उसे सामान्य बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ती. भारतीय सेना के त्रिशक्ति कोर के जवानों ने सीमा सड़क संगठन की सहायता से बेली ब्रिज का निर्माण किया है. यह 200 फीट लंबा ब्रिज है. इस ब्रिज को बनाने में 5 दिनों का समय लगा है.
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया है कि सीमा सड़क संगठन ने आरंभ में कंक्रीट का ढांचा तैयार किया था. और त्रिशक्ति सैपर्स ने इस पर पुल बनाया. 5 दिनों में यह काम पूरा कर लिया गया. उन्होंने कहा कि 200 फीट का बेली पुल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है. यह सबसे लंबा व भारी सिंगल स्पेन बेली ब्रिज है. सीमा सड़क संगठन के अनुसार इस पुल से नागरिक और वाहनों का आवागमन आज से शुरू हो रहा है.
आज सिक्किम सरकार के सड़क व सेतु मंत्री समदूप लेप्चा ने पुल का उद्घाटन कर दिया. इस अवसर पर भारतीय सेना, सीमा सड़क संगठन तथा नागरिक प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति देखी गई. आपको बताते चलें कि उत्तरी सिक्किम स्थित दक्षिण लहोनक हिमनद झील के फटने से 3 अक्टूबर को बाढ़ आई थी. जिसके कारण चुंगथांग, लाचेंग, लाचुंग के साथ ही भारत चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र पहुंचने वाले संपूर्ण मार्ग इसमें क्षतिग्रस्त हो गए. तीस्ता त्रासदी में सिक्किम राज्य के अंतर्गत कई पुल बह गए.
आज 42 दिन हो गए. चुंगथांग सिक्किम के शेष राज्यों से नहीं जुड़ा था. इसी बात से आप समझ सकते हैं कि उत्तरी सिक्किम के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोग कितने मुश्किल हालातो से गुजर रहे थे. लेकिन आज से वाहनों और नागरिकों की आवाजाही शुरू होने से उनकी जान में जान लौटी है. वह काफी राहत और सुकून महसूस कर रहे हैं. आपदा के बाद से ही भारतीय सेना व सीमा सड़क संगठन के जवान लगातार सड़क संपर्क तैयार करने में जुट गए. कई स्थानों पर अस्थाई बेली ब्रिज तैयार किया गया.इससे प्रभावित लोगों में राहत पहुंचाने में मदद मिली.
चुंगथांग में तीस्ता नदी पर बेली ब्रिज के निर्माण कार्य में 150 जवान तैनात किए गए थे. सिक्किम के स्थानीय नागरिक भारतीय सेना के जवान,सीमा सड़क संगठन आइटीबीपी की महत्वपूर्ण भूमिका को सैल्यूट कर रहे हैं. इन जवानों ने आपदा के दौरान जिस तरह से बचाव और पुनर्वास कार्य में सहयोग किया, वह काबिले तारीफ है. तीस्ता त्रासदी में अपनी जान कुर्बान करके भारतीय सेना, सीमा सड़क संगठन आईटीबीपी के जवानों ने जिस तरह से नागरिकों की मदद की है, उसकी अन्यत्र मिसाल नहीं दी जा सकती है.
आज सिक्किम का जनजीवन पटरी पर लौटा है तो उसमें भारतीय सेना की महत्वपूर्ण भूमिका है.