इन दिनों राष्ट्रीय अखबारों और न्यूज़ चैनलों की हेड लाइन बनी हुई है जोशीमठ की घटना! जोशीमठ विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है. लोग अपना घर बार छोड़कर पलायन पर मजबूर हैं. सरकार बेबस है. घटना जोशीमठ में घट रही है लेकिन दार्जिलिंग, कर्सियांग, कालिमपोंग और सिक्किम के लोगों के हाथ पांव फूल रहे हैं.
दरअसल जिस तरह से जोशीमठ की प्राकृतिक और भौगोलिक संरचना है ठीक उसी तरह की संरचना दार्जिलिंग, कर्सियांग और कालिमपोंग के साथ-साथ सिक्किम में भी देखी जा रही है. जिन कारणों से जोशीमठ का वजूद अंधकार में है, कुछ ऐसी ही इन पहाड़ी इलाकों में स्थिति देखने को मिल रही है.
ये पहाड़ी इलाके भूस्खलन और भूकंप की दृष्टि से काफी संवेदनशील हैं. लेकिन प्रशासन ने कभी भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया. विशेषज्ञों का मानना है कि दार्जिलिंग, कर्सियांग और कालिमपोंग की पहाड़ियां भूगर्भीय रूप से विकसित होने की प्रक्रिया में है. यह क्षेत्र जोशीमठ की तरह ही कई खंडित चट्टानों पर टिका हुआ है, जिनकी क्षमता लगातार भूस्खलन और अवैध निर्माण के कारण कमजोर होती जा रही है.
पहाड़ पर लगातार बरसात और भूस्खलन के चलते चट्टान की मिट्टी लगातार कमजोर पड़ रही है. ऊपर से यहां अवैध निर्माण की गति उतनी ही तेजी से बढी भी है. अनियंत्रित और भारी भरकम मकान चट्टान और मिट्टी को ढीला कर देते हैं. परिणाम स्वरूप चट्टानों के धसने का खतरा बढ़ जाता है. जोशीमठ की जो भौगोलिक स्थितियां हैं, ठीक उसी तरह की स्थितियां पहाड़ी इलाकों में भी है.
चट्टानों की क्षमता से विपरीत भारी भरकम मकान यहां खड़े नजर आते हैं. विकास के नाम पर पिछले दशकों में चट्टानों को काटने का सिलसिला और बढ़ती आबादी, बहु मंजिला मकान, होटल और लगातार शहरीकरण यह सब इन पहाड़ी शहरों के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं. ऐसे में कभी भी अनहोनी हो सकती है.
राज्य के लोक निर्माण अधिनियम के अनुसार दार्जिलिंग शहर में 11.5 मीटर की ऊंचाई के भीतर मकान बनाने का नियम है. परंतु इस नियम का कभी पालन नहीं किया गया. ऐसा लोगों का कहना है. दार्जिलिंग के इन पर्वतीय इलाकों में पिछले तीन दशकों में अवैध निर्माण खूब फूला फला है. दार्जिलिंग नगरपलिका की अनुमति के बगैर ही मकान का डिजाइन तैयार कर दिया जाता है और पहाड़ी ढलानो को काटकर बहुमंजिला मकान तैयार कर दिया जाता है.
अगर आप दार्जिलिंग, कालिमपोंग, कर्सियांग और सिक्किम जाए तो पता चलेगा कि यहां ड्रेनेज, पार्किंग और इमारतों की स्थिति अच्छी नहीं है. इनके निर्माण में किसी तरह का सिस्टम का ख्याल नहीं रखा गया. यहां अधिकतर दुकान, मकान, बाजार, होटल, रेस्टोरेंट, ऑफिस आदि अवैध निर्माण के दायरे में आते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि पहाड़ी ढलान के ऊपर ऐसे अवैध निर्माण भविष्य के लिए बेहद खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं.