सिलीगुड़ी महकमा समेत पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की तैयारी चल रही है. एक तरफ तृणमूल कांग्रेस राज्य की पंचायतों पर अपना हक बरकरार रखने के लिए सुनियोजित रणनीति तैयार कर रही है. तो दूसरी और भाजपा तृणमूल कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने की योजना बना रही है.भाजपा के अनेक केंद्रीय और प्रदेश के नेता और मंत्री जल्द ही बंगाल का दौरा करने वाले हैं!
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने सभी विधायकों और स्थानीय नेताओं को पंचायत चुनाव जीतने का गुरु मंत्र दे दिया है. ममता बनर्जी का गुरु मंत्र कुछ ऐसा है कि अगर इसका ठीक तरह से कार्यान्वयन किया गया तो पंचायत चुनाव का नतीजा राज्य सरकार की आशा के अनुकूल ही सिद्ध होगा. यह कैसे होगा, आइए बताते हैं.
राज्य के तृणमूल नेता ममता बनर्जी का गुरु मंत्र लेकर अभियान पर निकल पड़े हैं. हाल ही में राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया द्वारे सरकार कार्यक्रम के बाद ममता बनर्जी ने दीदी की सुरक्षा कवच योजना को आज मंगलवार से लांच कर दिया है. यह योजना पंचायत स्तर के वोटरों से संपर्क साधने की है.
दीदी की सुरक्षा कवच योजना के अंतर्गत तृणमूल विधायक राज्य की 15 परियोजनाओं को लोगों के बीच रखेंगे और हर बूथ तक जाएंगे. वोटरों से संपर्क करेंगे. उनकी समस्या और फरियाद भी सुनेंगे. इस कार्यक्रम में जिन 15 योजनाओं पर प्रकाश डाला जाएगा उनमें स्वास्थ्य साथी, पेंशन, कृषक साथी, जॉय बांग्ला, विधवा भत्ता ,लखी भंडार, सामाजिक सुरक्षा योजना, बंगाल आवास योजना, कन्या श्री, युवाश्री, शिक्षा श्री, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड आदि शामिल है. यानी सरकार की यह योजना एक आम आदमी के जीवन को उन्नत बना सकती है.
सोमवार को सिलीगड़ी महकुमा परिषद में एक बैठक की गई. इसमें सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव, अरुण घोष आदि नेता उपस्थित थे. अब सिलीगुड़ी के ग्राम पंचायत क्षेत्रों में महकमा उत्सव का फैसला किया गया है. आपको बता दें कि महकमा उत्सव अब तक सिलीगुड़ी नगर निगम के सभी वार्डों में वार्ड उत्सव के रूप में मनाया जाता रहा है. पहली बार पंचायत क्षेत्रों में भी इसका आयोजन किया जा रहा है. महकमा उत्सव से सरकार चुनाव जीतने का एक वातावरण बनाने में सफल रहेगी, जानकार मान रहे हैं.
विश्लेषक मानते हैं कि राज्य सरकार की यह सारी योजनाएं ऐसी है कि एक आम आदमी अपनी सरकार से जो अपेक्षा रखता है, उसकी पूर्ति हो जाए तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है! अब यह सब तृणमूल कांग्रेस की रणनीति और उठाए गए कदमों पर निर्भर करता है. इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस के विधायकों और नेताओं की मेहनत भी काफी मायने रखती है. आज से यह अभियान तेज हो गया है.