May 1, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल जलपाईगुड़ी मौसम

प्रकृति के कोपभाजन का शिकार उत्तर बंगाल!

पहले मयनागुड़ी के लोगों को बर्बाद किया तो अब कुमार ग्राम के लगभग 2000 परिवार प्रकृति के कोपभाजन का शिकार हो चुके हैं. ऐसा लगता है कि काल बैसाखी की यहां के लोगों पर टेढी नजर है. गिन गिन कर बदला ले रही है. तीस्ता नदी के बारे में कहा जाता था कि यहां के लोगों के लिए अभिशाप बन चुकी है. पर उस तूफान और ओलावृष्टि को क्या कहेंगे, जिस पर किसी का भी नियंत्रण नहीं है.

बंगाल की राजनीति की तरह ही बंगाल का मौसम अनिश्चित और सस्पेंसिव हो गया है. यहां मौसम का कुछ भरोसा नहीं. कब कहां बरसात हो जाए, ओलावृष्टि हो जाए, कब कहां भीषण लू चलने लगे तो कब कहां आंधी और तूफान लोगों के आशियाना उजाड़ ले जाए. देखा जाए तो उत्तर बंगाल हमेशा ही प्रकृति के कोपभाजन का शिकार रहा है. उत्तर बंगाल के तीन जिले दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और कूचबिहार के लोग हमेशा प्रकृति के निशाने पर रहे हैं.

31 मार्च को मयनागुडी इलाके में आए काल बैसाखी के तांडव को कोई भूला नहीं होगा. खासकर ऐसे परिवार, जिनका पल भर में ही सब कुछ खत्म हो गया था, वे हमेशा इसे याद रखेंगे. अभी विस्थापित परिवार संभले भी नहीं कि एक बार फिर से कुछ ही दूर अलीपुरद्वार जिले में तूफान और ओलावृष्टि ने कम से कम 2000 परिवारों को विपदा की स्थिति में डाल दिया है.

कल इन सभी इलाकों में मतदान होगा. अपने उम्मीदवारों के लिए यहां के लोग मतदान करेंगे. लेकिन जिन लोगों का ओलावृष्टि और तूफान में आशियाना छिन गया है, जो बेघर हो गए हैं, जिनके पास खाने को कुछ नहीं है, जिनका तूफान और ओलावृष्टि में मेहनत की कमाई से जोड़ा गया एक-एक सामान नष्ट हो गया है, वे लोग किस तरह मतदान कर सकेंगे! यह सवाल उठ खड़ा हुआ है. हालांकि प्रशासन ने उन्हें जितना संभव हो सकता है, सुविधाएं मुहैया कराई है. पर यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.

कुमार ग्राम ब्लॉक के रायडाक चाय बागान में मंगलवार की रात भारी तूफान और ओलावृष्टि हुई थी. धुपगुडी इलाके में तो कल भी ओलावृष्टि हुई थी. इसमें कम से कम 2000 परिवार प्रभावित हुए हैं. इनमें से अधिकतर चाय बागानों के अंतर्गत बनी झोपड़िया मे रहते हैं. उनके घर की छत (टीन) पुरानी हो गई है. जब ओलावृष्टि हुई तो बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़ों को टीन सहन नहीं कर सकी और उसमें छेद होते चले गए. ऊपर से बारिश और तूफान ने उनके सारे कसबल निकाल दिए. यह सभी परिवार अब राम भरोसे है. आचार संहिता लागू है. इसलिए किसी भी पार्टी की ओर से उन्हें सहायता नहीं दी जा सकती है.

मौसम का मिजाज देखिए कि कोलकाता में गर्म हवा और लू चल रही है. कोलकाता ही क्यों, दक्षिण बंगाल के कई जिलों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को भी पार कर गया है. यही कारण है कि राज्य शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां 6 मई से होने वाली थी, अब सरकार के फैसले में 22 अप्रैल से गर्मी की छुट्टियां घोषित कर दी गई है. यानी 22 अप्रैल से बच्चों के स्कूल अनिश्चितकाल तक बंद हो जाएंगे. हालांकि दार्जिलिंग और कालिमपोंग जिले में स्कूल की छुट्टियां अभी नहीं पड़ेगी.

उत्तर बंगाल का मौसम दक्षिण बंगाल जैसा नहीं है. लेकिन यहां भी पता नहीं कब कहां तूफान, ओलावृष्टि और बरसात हो जाए. कार्तिक चाय बागान, रायडाक चाय बागान, इन सभी क्षेत्रों में लगभग 900 हेक्टेयर चाय बागान में लगी फसल नष्ट हुई है. चाय श्रमिकों को सुरक्षित स्थान पर रखा गया है. लेकिन उनका आशियाना कब बनकर तैयार होगा, तैयार होगा या नहीं होगा अथवा खुद ही उन्हें तैयार करना होगा, यह सब अनिश्चित है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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