पंचायत चुनाव की घोषणा के साथ ही पहाड़ में स्थानीय राजनीतिक दलों और संगठनों के नेताओं की भागदौड़ बढ़ गई है. विभिन्न दलों के नेता गलबहियां कर रहे हैं या फिर अपनी रणनीति बनाने में लगे हुए हैं. बैठकों का दौर शुरू हो चुका है. सोमवार से नामांकन प्रक्रिया में तेजी आएगी.शनिवार और रविवार काफी महत्वपूर्ण है. राष्ट्रीय पार्टी भाजपा का पंचायत चुनाव में पहाड़ पर क्या एजेंडा होगा, इसको लेकर भी राजू बिष्ट पहाड़ के सहयोगी नेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं.
पहाड़ में लगभग दो दशक बाद पंचायत चुनाव हो रहे हैं. पहाड़ के दोनों जिलों दार्जिलिंग और कालिमपोंग में राजनीतिक हलचल बढ़ चुकी है. गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट प्रमुख सुभाष घीसिंग के कार्यकाल में पहाड़ में आखिरी बार 2000 में पंचायत चुनाव हुए थे. 2005 के बाद वहां पंचायत चुनाव नहीं हुए. क्योंकि सुभाष घीसिंग ने पहाड़ में छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर मतदान रद्द करने का अभियान शुरू किया था. 2007 में पहाड़ में बिमल गुरुंग ने दस्तक दी. उन्होंने आते ही अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर जोरदार आंदोलन शुरू किया. हालांकि बाद में उनका आंदोलन थम गया. पर पहाड़ में पंचायत चुनाव नहीं हुए.
एक लंबे अरसे के बाद पहाड़ में पंचायत चुनाव हो रहे हैं. इसलिए वहां राजनीतिक गहमागहमी कुछ ज्यादा ही देखी जा रही है. छोटे-छोटे राजनीतिक संगठन हैं. उनके नेता बैठक कर रहे हैं. विमल गुरुंग और हाम्ररो पार्टी के अध्यक्ष अजय एडवर्ड के बीच भी बैठक चल रही है. विमल गुरुंग गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हैं. पहाड़ में चर्चा है कि अजय एडवर्ड तथा विमल गुरुंग मिलकर चुनाव लड़ेंगे. बैठक तो भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा के संस्थापक अध्यक्ष अनिता थापा भी कर रहे हैं.
अनित थापा खासा उत्साहित दिख रहे हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने अपने घोषणापत्र में पहाड़ में पंचायत चुनाव लाने की बात कही थी. उन्होंने जो कहा, वह करके दिखाया भी. उन्होंने अपनी पार्टी की जीत का दावा भी किया है. दूसरी ओर अजय एडवर्ड उनके साथ जाना चाहते हैं जो गोरखालैंड की बात करता है. वे पहाड़ पर ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्था चाहते हैं जो भ्रष्टाचार से मुक्त हो.भाजपा नेता और सांसद राजू बिष्ट की आज पहाड़ के कुछ नेताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. इस बैठक के बाद ही पता चलेगा कि भाजपा पहाड़ में पंचायत चुनाव को किस तरह से लेती है.
पहाड़ की राजनीति को नजदीक से समझने वाले जानते हैं कि आज जो परिस्थिति है, कल वह बदल भी सकती है. यहां हर नेता पहाड़ के विकास की बात करता है.पर सच्चाई कुछ और होती है. सोमवार तक पहाड़ में कुछ और परिवर्तन सुनने को मिले तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए. बहरहाल पहाड़ में पंचायत चुनाव होना ही एक बड़ी उपलब्धि है. दार्जिलिंग जिला अधिकारी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में जिन राजनीतिक दलों ने शिरकत ली थी, उनमें से भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा, तृणमूल कांग्रेस, गोरखा राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा ,क्रांतिकारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ,भारतीय जनता पार्टी, हाम्रो पार्टी ,गोरखा जनमुक्ति मोर्चा इत्यादि शामिल थे.
आपको बताते चलें कि दार्जिलिंग जिले के 5 प्रखंडों में 70 ग्राम पंचायत हैं. इनमें से 501 जीपी है. पंचायत समिति की 156 सीटें हैं. जबकि मतदान केंद्रों की संख्या इस बार 514 रह सकती है. पहाड़ में मतदाताओं की कुल संख्या तीन लाख 87 हजार 952 है. पहाड़ में सीट आरक्षण के मामले में अनुसूचित जाति 45, अनुसूचित जाति ह्यूमन की 21, एसटी 186, एसपी ह्यूमन 88, वीसी 48 सीटें हैं. वीसी ह्यूमन 40 तथा महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या 156 है. इस तरह से सब मिलाकर आरक्षित सीट 279 जबकि 163 अनारक्षित सीटें हैं.
पंचायत समिति में एस सी 30, एससी महिला 6, एस टी 52, एसटी महिला 25, वीसी 11, वीसी महिला पांच और महिला आरक्षण 40 तथा अनारक्षित भी इतनी सीटें हैं. नामांकन पत्र 15 जून 2023 तक जमा किए जा सकेंगे.