अयोध्या में राम मंदिर और भगवान श्री राम लला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह धूमधाम से संपन्न हो चुका है. इसके बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो जाएगी. भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन बनाया है. लेकिन अब यह गठबंधन टूट रहा है. इसके संकेत कम से कम बंगाल और पूर्वोत्तर प्रदेशों से मिलने लगे हैं.
पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला कर लिया है. फिलहाल कांग्रेस से तृणमूल कांग्रेस की बात बनती नजर नहीं आ रही है. तृणमूल कांग्रेस राज्य में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें देना चाहती है, जो कांग्रेस को मंजूर नहीं है. कांग्रेस भी झुकने के लिए तैयार नहीं है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने पार्टी नेताओं को समझा दिया है कि वह लोकसभा की सभी 42 सीटों के लिए तैयारी करें.
तृणमूल कांग्रेस और माकपा के बीच पहले से ही दूरियां बढी है. माकपा तृणमूल से दूरी बनाना चाहती है और कांग्रेस से नजदीकी जैसा कि पहले से ही दोनों दलों में देखा जा रहा है. राहुल गांधी न्याय यात्रा पर हैं. संभवत: 28 जनवरी को उनकी न्याय यात्रा सिलीगुड़ी पहुंचेगी. पूर्वोत्तर प्रदेशों से राहुल गांधी की न्याय यात्रा शुरू हुई है. कांग्रेस को लगता है कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा से कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना है. यही कारण है कि मेघालय जैसे प्रदेश में कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस को ज्यादा सीटें देना नहीं चाहती है.
बंगाल से लेकर असम और पूर्वोत्तर प्रदेशों में दोनों ही दलों के अपने-अपने तर्क हैं. तृणमूल कांग्रेस कांग्रेस को 2019 के लोकसभा में कांग्रेस की जीती दो सीटें बहरामपुर और मालदा दक्षिण देने की पेशकश कर चुकी है. लेकिन कांग्रेस बंगाल में कम से कम 8 सीटों पर अडी हुई है. इस बीच अधीरंजन चौधरी और ममता बनर्जी के बीच वाक युद्ध भी छिड़ चुका है. राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि जो हालात है उसमें तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस बंगाल में एक साथ नहीं आ सकते.
सीटों के बंटवारे को लेकर पंजाब और दिल्ली में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच दूरियां बढ़ रही हैं. हाल ही में तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस की पांच सदस्य राष्ट्रीय गठबंधन समिति से बात करने से इनकार कर दिया, जो पहले ही समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी ,शिवसेना ,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल जैसे अन्य घटक दलों के साथ बातचीत कर चुकी है. इंडिया गठबंधन के सभी बड़े नेता ममता बनर्जी के स्टैंड से हैरान है.
टीएमसी का तर्क है कि 2021 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद के नगर पालिका और पंचायत चुनाव के परिणाम के आधार पर कांग्रेस अपने दम पर बहरामपुर और मालदा दक्षिण को भी बरकरार रखने की स्थिति में नहीं है. इससे पहले ममता बनर्जी ने बयान दिया था कि अगर सोनिया गांधी बंगाल में एक और सीट के लिए अपील करती है तो तृणमूल कांग्रेस उस पर विचार करेगी. अधीर रंजन चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस की पेशकश को सिरे से नकार दिया है.
कांग्रेस और टीएमसी का टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. मेघालय और असम में भी कुछ ऐसा ही नजारा है. टीएमसी मेघालय की दो सीटों में से एक पर और असम की 14 सीटों में से कम से कम दो सीट चाहती है. मेघालय में टीएमसी के नेता मुकुल संगमा पिछले साल ही टीएमसी में शामिल हो गए थे. मेघालय विधानसभा चुनाव में संगमा के नेतृत्व में टीएमसी और कांग्रेस दोनों ने पांच-पांच सीटे जीती थी और 13% वोट शेयर हासिल किए थे.यही कारण है कि टीएमसी वहां अधिक सीट मांग रही है. मेघालय में सीट नहीं मिलने पर वहां अपनी ताकत बनाए रखना उसके लिए मुश्किल होगा. इसी तरह से असम में भी टीएमसी अपनी ताकत बढ़ाना चाहती है.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार बंगाल से लेकर असम, मेघालय, पंजाब, दिल्ली सब जगह इंडिया गठबंधन के घटक दलों में खींचतान चल रही है. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले ही गठबंधन बिखर जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.