पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की घोषणा हो चुकी है. 8 जुलाई को मतदान होगा. आज से ही पंचायत चुनाव के लिए कुछ दलों की ओर से चुनाव प्रचार भी शुरू हो चुका है.वाममोर्चा ने तो बाकायदा चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है.कहीं-कहीं दीवार लेखन का काम भी शुरू हो चुका है.इन सबके बीच पश्चिम बंगाल विधानसभा में प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा तथा कांग्रेस ने पंचायत चुनाव को हाइकोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने राज्य में नवनियुक्त चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा द्वारा चुनाव तिथि के ऐलान के फैसले पर ऐतराज जताते हुए मांग की है कि जब तक यहां केंद्रीय बलों की तैनाती नहीं हो जाती तब तक पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएं. कांग्रेस की ओर से कोलकाता हाई कोर्ट के वकील कौसतव बागची ने उच्च न्यायालय में याचिका भी दाखिल कर दी है. इसके साथ ही कांग्रेस ने 12 मांगे रखी हैं.इनमें से केंद्रीय बलों की तैनाती, ऑनलाइन नामांकन आदि प्रमुख मांगे हैं. अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि उन्हें राज्य पुलिस पर भरोसा नहीं है.
दूसरी तरफ राज्य भाजपा ने राजीव सिन्हा के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि सर्वदलीय बैठक बुलाए बगैर चुनाव आयुक्त मतदान की घोषणा कैसे कर सकते हैं. इसके साथ ही भाजपा एक चरण में चुनाव कराने पर आपत्ति जता रही है. राज्य विधानसभा में विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि राजीव सिन्हा ने पंचायत चुनाव के क्रम में केंद्रीय सशस्त्र बलों की उपस्थिति के बारे में कुछ नहीं कहा. जबकि उन्होंने राज्य पुलिस पर भरोसा जताने की बात कही है.
शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव का रक्तरंजित इतिहास रहा है. यहां बिना केंद्रीय बलों की तैनाती के पंचायत चुनाव कराने का मतलब है हिंसा और रक्तपात!
शुभेंदु अधिकारी की टिप्पणी का जवाब देते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा है कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि चुनाव आयुक्त घोषणा से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला करें. चुनाव आयोग को इसके लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. रही बात एक चरण में चुनाव कराने का तो भाजपा के पास ना तो कोई मुद्दा है और ना ही कोई नीति. क्योंकि राज्य की जनता अच्छी तरह जानती है कि तृणमूल कांग्रेस ही उनका भला कर सकती है. भाजपा को 2021 का विधानसभा चुनाव याद रखना चाहिए. केंद्रीय बलों की तैनाती के बावजूद तृणमूल कांग्रेस ने भारी मतों से जीत हासिल की धी.