बीते दिनों तीस्ता से लौटते समय दार्जिलिंग के भाजपा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने सालुगड़ा बालासन-सेवक एलिवेटेड हाईवे कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर गंभीर लापरवाही का मुद्दा उठाया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया कि निर्माण स्थल पर मजदूर बिना हेलमेट और सुरक्षा उपकरणों के काम कर रहे थे। उन्होंने इसे श्रम कानूनों का उल्लंघन और जानलेवा लापरवाही करार देते हुए कहा कि जब तक सभी श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, तब तक काम रोका जाए।
सांसद राजू बिष्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “विकास तभी सार्थक है जब उसमें जुड़ी हर जान की सुरक्षा हो। किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी और यदि कोई हादसा हुआ तो जिम्मेदारी सीधे परियोजना प्रबंधन की होगी।” उनके इस बयान के बाद परियोजना की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
बालासन-सेवोक एलिवेटेड हाईवे कॉरिडोर उत्तर बंगाल की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 पर सेवोक के पास बढ़ती यातायात भीड़ को कम करना है। यह परियोजना बालासन ब्रिज से सेवोक आर्मी कैंट तक फैलेगी और इसके जरिए दार्जिलिंग, सिक्किम, कलिम्पोंग, तराई और दुआर्स क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इस परियोजना से पर्यटन को बढ़ावा मिलने, व्यापार को गति मिलने और रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है।
केंद्रीय मंत्री ने इसे “निर्माणाधीन इंजीनियरिंग का चमत्कार” कहा है। लेकिन हालिया निरीक्षण में सामने आए सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि निर्माण कार्य में सुरक्षा उपायों की कमी गंभीर परिणाम ला सकती है। भारी मशीनरी और ऊंचाई पर काम करने वाले मजदूरों के लिए हेलमेट, सेफ्टी बेल्ट और अन्य उपकरण अनिवार्य हैं। इसके बावजूद उनका उपयोग न होना न केवल कानूनन अपराध है बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकता है।
यह पहली बार नहीं है जब इस परियोजना में सुरक्षा उपायों की कमी उजागर हुई हो। स्थानीय मीडिया ने पहले भी इस मुद्दे पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी, लेकिन परियोजना प्रबंधन और संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब सांसद द्वारा सार्वजनिक रूप से चेतावनी देने के बाद उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेगा।
राजू बिष्ट की सख्त चेतावनी के बाद यह साफ हो गया है कि अब परियोजना में श्रमिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए इस परियोजना को आगे बढ़ाया जाए, तो यह न केवल उत्तर बंगाल के बुनियादी ढांचे को नई दिशा देगी, बल्कि सुरक्षित और जिम्मेदार निर्माण का उदाहरण भी बनेगी।
यह परियोजना उत्तर बंगाल के विकास के लिए एक बड़ा कदम है, लेकिन तभी सफल होगी जब यह प्रगति मानव जीवन की सुरक्षा और सम्मान के साथ आगे बढ़ेगी।