वर्तमान में सिलीगुड़ी समेत देशभर में साइबर अपराधों की बाढ़ आ गई है. कुछ समय से सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं खूब हुई है. सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस लगातार सतर्कता अभियान चला रही है. लेकिन इसके बावजूद लोग साइबर अपराधियों के जाल में फ॔सते ही जा रहे हैं. इन दिनों शातिर साइबर अपराधियों ने लोगों को लूटने का नायाब तरीका ढूंढ निकाला है.
अब तक आपने साइबर ठगी के परंपरागत तरीकों से परिचित हो लिया है. जैसे घर बैठे सेवा उपलब्ध कराने के बहाने आपसे pin अथवा ओटीपी नंबर मांगा जाता है.या फिर व्हाट्सएप पर लिंक भेजा जाता है. लिंक पर क्लिक करते ही आपका अकाउंट खाली कर लिया जाता है. हाल ही में सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने साइबर संबंधी अपराध का पर्दाफाश करके कुछ लोगों की गिरफ्तारी की थी. लेकिन अब जो मामला प्रकाश में आ रहा है, वह इन सब से भी हटकर है.
अब जो नया मामला सामने आया है, उसे जानकर आपके भी होश उड़ जाएंगे. हालांकि इस तरह के मामले अभी सिलीगुड़ी अथवा आसपास के इलाके में बहुत कम देखे गए, परंतु जिस तरह से देश में ऐसी घटनाओं की वृद्धि हो रही है, ऐसे में कल को यहां भी ऐसी घटनाएं होने लगे तो आश्चर्य की बात नहीं होगी. वर्तमान में साइबर चोरों ने खाताधारकों को लूटने का जो नया तरीका ढूंढ निकाला है, उसके बारे में लोगों को अभी बहुत कम जानकारी है.
सिलीगुड़ी के नागरिकों को सतर्क करने के लिए ही जनहित में यह जानकारी दी जा रही है. अगर कहीं से आपके मोबाइल फोन पर ब्लैंक कॉल अथवा मिस्ड कॉल आता है तो उसे इग्नोर कर दें. अन्यथा आपका भारी नुकसान हो सकता है. मुर्शिदाबाद के माइकल को उसके मोबाइल पर एक मिस कॉल आया था. माइकल ने कॉल बैक किया. उसके बाद उसके बैंक अकाउंट से ₹25000 निकाल लिया गया. मिदनापुर और कोलकाता में भी ऐसी घटनाएं घट चुकी है,जब ब्लैंक अथवा मिस्ड कॉल के बाद ही व्यक्ति के खाते से रुपए निकल गए.
दिल्ली में तो एक व्यक्ति के खाते से जालसाज ने ₹50 लाख तक निकाल लिए और उसे पता तक नहीं चला. उसका अपराध सिर्फ इतना था कि उसने मिस्ड कॉल के लिए कॉल बैक किया था. बैंक, स्वयंसेवी संस्थाएं, सरकार, प्रशासन ,पुलिस सभी आपसे यही कहते हैं कि किसी को भी अपना पिन नंबर मत दीजिए और ना ही मोबाइल पर आए लिंक को क्लिक करें. ना ही किसी को ओटीपी शेयर करें. लोगों में जागरूकता तो आई है परंतु अगर मिस्ड कॉल अथवा ब्लैंक कॉल से ही आपका अकाउंट खाली कर दिया जाता है तो ऐसे में लोग करें तो क्या करें.
क्योंकि ऐसे मामलों में भुक्तभोगी आमतौर पर इनोसेंट रहता है फिर भी उसका अकाउंट खाली करा लिया जाता है. सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस वर्तमान में साइबर अपराधों को लेकर काफी सतर्क है और लोगों में सतर्कता अभियान भी चला रही है. बागडोगरा की घटना के बाद आम जनता को सतर्क किया जा रहा है. परंतु साइबर अपराधी जैसे तू डाल डाल तो हम पात पात की नीति पर चल रहे हैं.
साइबर में आए इस तरह के अपराध और बैंक खाता खाली कराने की घटना को सिम स्वाइप फ्राड का नाम दिया गया है. ऐसे अपराधों में लिप्त अपराधी आपके मोबाइल नंबर की सिम प्रोवाइडर से संपर्क करते हैं. प्रलोभन अथवा अन्य तरीके से वे सिम प्रोवाइडर को आपके नंबर का सिम उपलब्ध कराने के लिए तैयार कर लेते हैं. इस तरह से आपके नंबर वाला सिम एक्टिव होने के बाद साइबर अपराधी का पीड़ित यानी आपके मोबाइल फोन पर नियंत्रण हो जाता है.
यहीं से साइबर धोखेबाज आपके पीछे पड़ जाते हैं. उनका असली खेल यहीं से शुरू होता है. स्कैमर्स आपके फोन का इस्तेमाल करने लगता है और सिम को स्विच कर देता है. ऐसे फ्राड से बचने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं. जैसे अपने सिम को अपडेट करते रहें. केवाईसी की प्रक्रिया समय-समय पर करवाए. किसी अनजान कॉल का जवाब ना दें अथवा मिस्ड कॉल का उत्तर ना दें. इस तरह के कुछ उपायों को अपनाकर आप महफूज रह सकते हैं. अन्यथा भगवान ही मालिक है!