सिलीगुड़ी समेत पूरे प्रदेश के टोटो चालकों के साथ-साथ ऑटो चालकों पर भी मुसीबत आन पड़ी है. टोटो के खिलाफ तो सिलीगुड़ी नगर निगम पहले से ही है. हाई कोर्ट ने भी टोटो का साथ नहीं दिया. अब ले देकर सरकार से आशा थी. ममता बनर्जी की सरकार ने भी अब उन्हें झटका दे दिया है. लेकिन एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी. जौ के साथ घुन भी पीस जाता है. टोटो के साथ-साथ आटो को भी सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
जरा सोचिए अगर सड़कों पर टोटो और आटो नहीं चलेंगे तो यात्रियों का क्या होगा! क्योंकि बसे इतनी पर्याप्त भी नहीं है कि यात्रियों की सुविधा के मुताबिक उपलब्ध हो सके. राज्य सरकार के फैसले का असर न केवल टोटो और ऑटो चालकों पर होगा बल्कि राज्य के नागरिकों पर भी पड़ेगा. दुर्गा पूजा से ऐन पहले सरकार का यह फैसला टोटो और ऑटो चलाने वाले परिवारों पर कुठाराघात की तरह होगा.
राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है. पश्चिम बंगाल राज्य परिवहन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य में राष्ट्रीय राज्यमार्ग और राज्य मार्गों पर ऑटो तथा टोटो को नहीं चलाया जा सकता. टोटो हो अथवा ऑटो इन दोनों को राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सवारियां मिलती है. ऐसे में निश्चित रूप से उनकी रोजी-रोटी प्रभावित होगी. क्योंकि पॉकेट रोड पर चलने से उनकी इतनी भी कमाई नहीं होगी कि वह अपना घर परिवार चला सके.
आपको बता दूं कि कुछ दिन पहले ही राज्य के परिवहन मंत्री ने विधानसभा में इसकी जानकारी दी थी. लेकिन तब इसे लेकर पक्ष विपक्ष दोनों तरफ से अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए गए थे और ऐसा नहीं लगता था कि राज्य परिवहन विभाग एकदम से फैसला ले लेगा. अब सरकार ने फैसला ले लिया है और इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है, ऐसे में टोटो और ऑटो चालक यूनियन की प्रतिक्रिया भी सामने आएगी और हो सकता है कि राज्य ड्राइवर यूनियन की तरफ से धरना प्रदर्शन भी किया जा सके.
मजे की बात तो यह है कि इन दोनों ही गाड़ियों को राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग पर से हटाने का जो कारण बताया जा रहा है, वह गले के नीचे नहीं उतर रहा है. परिवहन मंत्री ने कहा है कि यह सच है कि ऑटो,टोटो तथा ई-रिक्शा बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के मुख्य साधन है. पर इन छोटे वाहनों की वजह से निजी बसों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. बसों को यात्री नहीं मिल रहे हैं. यात्रियों की संख्या कम होने से कई रूट पर निजी बसों का परिचालन बंद हो चुका है. ऐसे में राज्य सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है. अगर परिवहन विभाग ने इसका कारण ट्रैफिक बताया होता तो शायद शायद इसे समझा जा सकता था
अब देखना है कि राज्य परिवहन विभाग की अधिसूचना के बाद सिलीगुड़ी और राज्य के छोटे वाहनों के राज्य ड्राइवर्स यूनियन का क्या रुख रहता है और वे किस तरह से इसे लेते हैं.