सिलीगुड़ी शहर को अतिक्रमण मुक्त करने की तैयारी तो बरसों से चल रही है. परंतु अतिक्रमण के नाम पर सिर्फ खानापूरी ही की गई है. क्योंकि जब जब सिलीगुड़ी नगर निगम और पुलिस की कार्रवाई चलती है तो कुछ दिनों के लिए रास्ता चौड़ा जरूर हो जाता है, पर फिर से वही सूरते हाल सिलीगुड़ी की पहचान बन जाता है. क्या इस बार ऐसा नहीं होगा? सवाल करता है सिलीगुड़ी शहर.
सिलीगुड़ी शहर में रास्ता अथवा गली, पार्क,चौराहा ऐसा कोई भी स्थान नहीं है जिसके बारे में कहा जा सके कि वहां अतिक्रमण नहीं हुआ है. जिस समय सिलीगुड़ी शहर को बसाया जा रहा था, उस समय यहां दुकान, व्यापार का विस्तार करने के लिए व्यवसायियों की भी काफी बड़ी भूमिका थी. जिसको जहां जगह मिली, वहां उन्होंने दुकान लगा ली. प्रशासन ने तब इस पर कोई ध्यान नहीं दिया था.
इसमें कोई दो राय नहीं कि व्यापारिक उद्देश्य से बरसों पहले अनेक दुकानदारों और सामान्य व्यक्तियों ने सिलीगुड़ी के विभिन्न रास्तों का अतिक्रमण किया और जब तत्कालिक सिलीगुड़ी प्रशासन ने ऐसे दुकानदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की अथवा उन्हें सरकारी जमीन से हटाने की पहल नहीं की तो इससे उनका मनोबल बढा और फिर उन्होंने फुटपाथ पर ही दुकान लगाना शुरू कर दिया. उसके बाद बरसों बीत गए. उनकी दुकान ज्यों की त्यों खड़ी है.
लेकिन तब सिलीगुड़ी की जनसंख्या सैकड़ो में थी.आज लाखों में है. इसके साथ ही सिलीगुड़ी का काफी विकास हुआ है. आज सड़कों पर गाड़ियों की रेलम पेल देखी जा सकती है. ऐसे में इस बात की ज्यादा आवश्यकता महसूस की जा रही है कि कम से कम सिलीगुड़ी के रास्तों का अतिक्रमण रुके. रास्ते चौड़े हो, ताकि ट्रैफिक की समस्या का निदान हो सके.
तृणमूल प्रशासित सिलीगुड़ी नगर निगम बोर्ड और मेयर गौतम देव आए दिन की ट्रैफिक समस्या के समाधान के लिए मानते हैं कि सर्वप्रथम सिलीगुड़ी की सड़कें अतिक्रमण मुक्त हो. उन्होंने सिलीगुड़ी शहर को अतिक्रमण मुक्त करने का ममता बनर्जी के सपने को पूरा करने का दमखम दिखाया है . इसका प्रमाण सिलीगुड़ी जिला अस्पताल और कचहरी रोड पर स्थित फुटपाथी दुकानदारों को हटाने की घटना से ही मिल गया. बुधवार को सिलीगुड़ी नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने मिलकर सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के सामने फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों को हटाया.
हालांकि निगम प्रशासन की इस कार्रवाई से बरसों से दुकान लगाने वाले व्यापारी और दुकानदार खासा नाराज हैं. परंतु दूसरी ओर गौतम देव का बयान भी गौरतलब है. जिसमें गौतम देव ने कहा है कि सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में आने वाले मरीज को आने जाने में कोई परेशानी ना हो, इसलिए यह जरूरी था. इसमें कोई दो राय नहीं कि सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के प्रवेश द्वार को फुटपाथी दुकानदारों ने जैसे अपने कब्जे में ले रखा था. जिसके कारण अस्पताल आने वाली गाड़ियों को अस्पताल परिसर में प्रवेश करने में दिक्कत होती थी.
सिलीगुड़ी शहर में निगम प्रशासन और पुलिस की इस कार्रवाई का लोग स्वागत कर रहे हैं और चाह रहे हैं कि जिस तरह से सिलीगुड़ी जिला अस्पताल को अतिक्रमण से मुक्त कराने की कोशिश की जा रही है, ठीक उसी तरह से सिलीगुड़ी के विभिन्न अस्पतालों तथा नर्सिंग होम के सामने की जमीन अथवा सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त किया जाए. ऐसे में क्या सिलीगुड़ी नगर निगम और पुलिस प्रशासन सिलीगुड़ी के दूसरे महत्वपूर्ण अस्पतालों अथवा अस्पताल परिसर की सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त करने की कार्रवाई करने जा रहा है?
सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन सूत्रों से जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार सिलीगुड़ी नगर निगम और पुलिस प्रशासन का यह अभियान लगातार चलता रहेगा, जब तक कि सिलीगुड़ी शहर अतिक्रमण से मुक्त नहीं हो जाता. सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन को यह स्पष्ट करना होगा कि हटाए गए दुकानदार फिर से वहां दुकान नहीं लगाएंगे. जब तक सिलीगुड़ी निगम प्रशासन यह सुनिश्चित नहीं करता है तब तक अतिक्रमण के खिलाफ पुलिस प्रशासन का अभियान कोई ज्यादा असरकारक होगा, ऐसा लगता नहीं है.
बहरहाल बुधवार की कार्रवाई से शहर के विभिन्न इलाकों में अवैध तरीके से दुकान लगाने वाले सिलीगुड़ी के दुकानदार सहमे हुए हैं. ना केवल कचहरी रोड ,जीपीओ ,सिलीगुड़ी जिला अस्पताल बल्कि शहर के दूसरे भागों में अवैध रूप से दुकान लगाने वाले दुकानदारों के पसीने भी निकल रहे हैं और यह संशय बरकरार है कि क्या अगला नंबर उनका है?