भारत की महिला क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया है और साउथ अफ्रीका को हराकर पहली बार आईसीसी महिला वनडे वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया है.
सिलीगुड़ी की धरती ने एक बार फिर इतिहास रचा है। सिलीगुड़ी की बेटी रिचा घोष ने महिला क्रिकेट विश्वकप के फाइनल मुकाबले में अपने शानदार प्रदर्शन से न केवल भारत को विश्व चैंपियन बनाया, बल्कि पूरे देश को गर्व से भर दिया। रविवार देर रात खेले गए इस रोमांचक फाइनल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को हराकर पहली बार महिला विश्वकप अपने नाम किया, जिसमें रिचा घोष की शानदार बल्लेबाज़ी और विकेटकीपिंग का अहम योगदान रहा।उनके साथ-साथ बाकी प्लेयर्स ने भी बहुत बेहतरीन खेला।
फाइनल मुकाबले में रिचा ने 24 गेंदों में नाबाद 34 रन बनाए और मुश्किल घड़ी में टीम को संभाला। उनकी पारी में चार चौके और एक छक्का शामिल था। जब भारत को जीत के लिए तेज़ रन चाहिए थे, तब रिचा ने शांत स्वभाव और मजबूत इरादों से टीम को लक्ष्य तक पहुंचाया। उनकी यह पारी पूरे मैच का टर्निंग पॉइंट साबित हुई।
रिचा ने न सिर्फ बल्ले से बल्कि विकेट के पीछे भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने एक कैच लपका और विरोधी टीम को दबाव में ला दिया। पूरे टूर्नामेंट में रिचा ने अपने खेल से साबित किया कि वह भारतीय महिला क्रिकेट की रीढ़ बन चुकी हैं।
रिचा घोष की इस ऐतिहासिक पारी के बाद सिलीगुड़ी शहर में जश्न का माहौल कल रात से देखा गया है। शहर के विभिन्न इलाकों में लोगों ने आतिशबाजी कर खुशी मनाई। परिवार और मित्रों के साथ-साथ आम नागरिकों ने भी रिचा के घर जाकर उन्हें बधाई दी। रिचा के पिता ने कहा, “यह पल हमारे लिए गर्व का क्षण है। हमारी बेटी ने सिलीगुड़ी का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है।”
फुलबाड़ी से लेकर हिलकार्ट रोड तक, सिलीगुड़ी की गलियों में सिर्फ एक ही नाम गूंज रहा था — “रिचा… रिचा…”। रविवार रात शहर के कई इलाकों में बड़े स्क्रीन लगाए गए थे, जहां लोगों ने मैच का सीधा प्रसारण देखा। जैसे ही भारत ने जीत हासिल की, सिलीगुड़ी का माहौल क्रिकेट के रंग में रंग गया।
रिचा ने मैच के बाद कहा, “कप्तान, कोच और पूरी टीम ने मुझ पर भरोसा जताया। मैं बस अपने देश के लिए खेलना चाहती थी और वह सपना आज पूरा हुआ।” उनकी यह विनम्रता उनके व्यक्तित्व को और भी प्रेरणादायक बनाती है।
रिचा घोष ने यह भी साबित कर दिया कि अगर जुनून और मेहनत हो, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। एक छोटे शहर से निकलकर विश्वकप फाइनल तक पहुंचने की यह कहानी हर युवा खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है।
मालूम हो की टीम इंडिया की इस ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की बेटियों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया और ये जीत आने वाली पीढ़ियों को खेल में आगे बढ़ने की प्रेरणा देगी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी टीम इंडिया को बधाई देते हुए लिखा, ‘आज पूरा देश हमारी महिला टीम पर गर्व महसूस कर रहा है, जिन्होंने वर्ल्ड कप फाइनल में यह कमाल किया है. उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में जिस जज़्बे और दबदबे के साथ खेला, वह आने वाली पीढ़ियों की लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा बनेगा. आपने साबित कर दिया कि आप दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम हैं और आपने हमें कई शानदार पल दिए. आप हमारी हीरो हैं. आपके लिए आगे भी और बड़ी जीतें इंतजार इंतजार कर रही हैं. हम हमेशा आपके साथ हैं.’
भारत के लिए ये जीत इसलिए भी खास है क्योंकि 52 साल के वर्ल्ड कप इतिहास में भारतीय महिला टीम तीसरी बार फाइनल में पहुंची थी और इस बार हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में टीम ने ट्रॉफी अपने नाम कर ली. स्टेडियम में मौजूद रोहित शर्मा भी इस जीत के बाद भावुक नजर आए. पूरा स्टेडियम ‘वंदे मातरम’ के नारों से गूंज उठा।
वही विकेट के पीछे से जिन्होंने अपनी भागीदारी दिखाई वह है हमारी सिलीगुड़ी की इस बेटी जिन्होने न सिर्फ भारत का मान बढ़ाया, बल्कि यह भी दिखाया कि बड़े सपनों को सच करने के लिए सिर्फ लगन और हिम्मत चाहिए। रिचा के प्रदर्शन ने यह संदेश दिया कि चाहे शहर छोटा हो या बड़ा — प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती।
आज सिलीगुड़ी गर्व से कह रहा है —
“यह तो बस शुरुआत है, रिचा अब भारत की नई क्रिकेट क्वीन है!”
