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कभी वह नीली बत्ती गाड़ी में घूमता था. सिलीगुड़ी से कोलकाता अपनी नीली बत्ती गाड़ी में ही जाता था. अपनी इसी नीली बत्ती गाड़ी में उत्तर बंगाल के 8 जिलों में दौरा करता था और स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बंद कमरे में मीटिंग करता था. उसके प्रभाव ऐसे थे कि बड़े-बड़े डॉक्टर, चिकित्सक तथा स्वास्थ्य अधिकारी उसकी जी हजूरी करते थे. वह सभी को दिशा निर्देश देता था और उसके दिशानिर्देश का पालन सभी को करना पड़ता था…
यह शख्स कोई और नहीं बल्कि उत्तर बंगाल के 8 जिलों के सबसे चर्चित स्पेशल स्वास्थ्य अधिकारी सुशांत राय हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना के समय उत्तर बंगाल के सभी 8 जिलों में कोरोना के खिलाफ सख्त अभियान चलाने और कोरोना पर नियंत्रण पाने का भार सौंपा था. इसमें कोई शक नहीं कि स्पेशल स्वास्थ्य अधिकारी सुशांत राय ने सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के सभी 8 जिलों में कोरोना पर नियंत्रण के लिए हर वे सभी उपाय किए जिनसे महामारी पर नियंत्रण पाया जा सके. यह वही सुशांत राय हैं जो कभी सिलीगुड़ी में डेंगू के खात्मे के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों की इमरजेंसी मीटिंग बुलाते और डेंगू उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को अभियान चलाते रहने का निर्देश देते थे.
आज वही स्वास्थ्य अधिकारी सुशांत राय भ्रष्टाचार के आरोपी बनाए गए हैं. सुशांत राय पर आरोप है कि वह विभिन्न पदों पर ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए अधिकारियों से रिश्वत लेते थे. आरोप है कि ट्रांसफर अथवा पोस्टिंग के इच्छुक व्यक्तियों को उनके हिसाब से रुपए देना पड़ता था. सुशांत राय राज्य मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष रहे हैं. इसी से उनके पावर को समझा जा सकता है.
जलपाईगुड़ी के समाजसेवी अंकुर दास ने सुशांत राय के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के पास एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी, जिनमें सुशांत राय के पास आय से अधिक संपत्ति होने का दावा किया गया था. अंकुर दास ने इसकी जांच की मांग ईडी अधिकारियों से की थी.
ओएसडी सुशांत राय उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद ही परेशान चल रहे हैं. ईडी का शिकंजा कसते देखकर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोपी सुशांत राय के खिलाफ कार्रवाई तेज करते हुए उनसे नीली बत्ती गाड़ी छीन ली है. इसके साथ ही उनकी सुरक्षा भी हटा दी गई है. दरअसल राज्य सरकार यह चाहती है कि OSD सुशांत राय को लेकर उनकी सरकार पर विपक्षी पार्टियां उंगली ना उठा सके और राज्य प्रशासन सवालों के घेरे में ना आए.
सुशांत राय नेत्र रोग विशेषज्ञ भी हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल में कोरोना के हाहाकार के बाद उन्हें उत्तर बंगाल का ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी यानी ओ एस डी बनाकर भेजा था. जब सुशांत राय उत्तर बंगाल आए तो उनकी नियुक्ति पर ही स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच गुफ्तगू होने लगी. दरअसल इस पोस्ट के लिए उत्तर बंगाल में और भी कई वरिष्ठ चिकित्सक थे, जो योग्य और स्थितियों पर नियंत्रण रखने में सक्षम साबित हो सकते थे. लेकिन मुख्यमंत्री ने सुशांत राय को ही ओएसडी बनाया था. तभी से इस पर सवाल उठने लगे थे.
सुशांत राय के बारे में यह भी कहा जाता है कि उनका प्रभाव ऐसा था कि बड़े-बड़े चिकित्सक और स्वास्थ्य अधिकारी उनके दिशानर्देशों का पालन करते थे तथा उनके आदेश को सिर माथे पर रखा जाता था… सुशांत राय की सीएमओएच से सीधी बात होती थी और वह फोन पर ही आदेश करते थे.
आज ओएसडी सुशांत राय निश्चित रूप से अपने दुर्भाग्य पर आंसू बहा रहे होंगे. कभी सिलीगुड़ी की सड़कों पर नीली बत्ती गाड़ी में घूमने वाला आज बिन गाड़ी का हो गया है. उनके पावर छीन लिए गए हैं. वह अब एक आम इंसान की तरह ही रह गए हैं. कहते हैं कि वक्त से बड़ा कोई नहीं होता. वक्त पर किसी का भी नियंत्रण नहीं रहा है. बल्कि वक्त ही लोगों को नियंत्रित करता है. सुशांत राय ने सोचा नहीं होगा कि वक्त इस तरह पलट जाएगा और उन्हें आसमान से इस तरह से सड़क पर ला खड़ा करेगा! कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि इंसान जैसा बोता है, उसे वैसा काटना भी पड़ता है!