सोमवार और मंगलवार को पश्चिम बंगाल प्रदेश के सरकारी कर्मचारी पेन डाउन हड़ताल कर चुके हैं. अब वे 10 मार्च को संपूर्ण रुप से बंद का आयोजन करना चाहते हैं. इसकी तैयारी संयुक्त मंच द्वारा जोरदार तरीके से की जा रही है. लेकिन क्या यह बंद सफल होगा? क्योंकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी है कि उनकी कार्यशैली में बंद शब्द है ही नहीं.
राज्य सरकार के कर्मचारियों ने पिछले दिनों पेन डाउन हड़ताल की थी. इसका मतलब यह है कि कर्मचारियों की कार्यालय में उपस्थिति रही. हालांकि उन्होंने सोमवार और मंगलवार को कोई काम नहीं किया था. पर वे कार्यालय में मौजूद जरूर रहे. इसलिए राज्य सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया था. परंतु जब वे 10 तारीख को प्रस्तावित हड़ताल करेंगे तो उनकी हड़ताल को विफल करने के लिए राज्य सरकार सभी तरह के कदम उठा सकती है. कर्मचारियों को चेतावनी से लेकर और भी कई कठोर कदम सरकार के द्वारा उठाया जा सकता है.तृणमूल कांग्रेस की सरकार हमेशा बंद के विरोध में रही है. इसका ताजा उदाहरण पहाड़ है. जहां गोरखालैंड की मांग को लेकर पिछले दिनों हड़ताल की जानी थी. लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रभाव से यह हड़ताल स्थगित हो गई थी.
प्रदेश सरकार के कर्मचारी केंद्र सरकार के कर्मचारियों की भांति ही महंगाई भत्ता की मांग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार उनके हिसाब से महंगाई भत्ता देने से इंकार कर रही है.ममता बनर्जी सरकार के एक मंत्री की चेतावनी के बावजूद राज्य सरकार के कर्मचारी सोमवार और मंगलवार को सांकेतिक हड़ताल कर चुके हैं. अब उनका अगला निशाना संपूर्ण रुप से हड़ताल करने का है जिसके लिए 10 मार्च का दिन रखा गया है.
राज्य सरकार के कर्मचारियों के संयुक्त मंच ने राज्य के मुख्य सचिव एचके द्विवेदी को 10 मार्च को पूर्ण हड़ताल करने का ज्ञापन दे दिया है. इस बार संयुक्त म॔च अपने आंदोलन को धार देना चाहता है. संयुक्त मंच की ओर से कहा गया है कि जब तक सरकार बकाया डीए की उनकी मांग को पूरा नहीं कर देती तब तक वह अपने कदम पीछे नहीं हटाएंगे. आरंभ में हड़ताल का आह्वान 9 मार्च को किया गया था. लेकिन उस दिन पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन परीक्षा आयोजित कर रहा है. इसलिए मंच ने 10 मार्च को हड़ताल की तारीख बढ़ा दी.
आपको बताते चलें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के बजट में राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त 3% डीए की घोषणा हुई थी, जो कर्मचारियों को मान्य नहीं है. राज्य सरकार के कर्मचारी इसीलिए भी खफा है कि केंद्र सरकार ने एक बार फिर से अपने कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ा दिया है और इस तरह से राज्य सरकार के कर्मचारियों तथा केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच का अंतर काफी बढ़ गया है!