April 26, 2024
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लाइफस्टाइल

अंडमान और निकोबार के 21 द्वीप अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम !

”तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” आज भी जब भी सुभाष चंद्र बोस का जिक्र होता हैं देश वासियों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है | आजाद हिंद फौज का नेतृत्व करने वाले सुभाष चंद्र बोस का जिक्र जब भी होता है तब-तब देश वासियों के शरीर में रक्त प्रवाह की गति अचानक बढ़ जाती है और उनके जयंती को हम पराक्रम दिवस के रूप में मनाते हैं और इसी पराक्रम दिवस के अवसर पर देश के प्रधान मंत्री ने यह फैसला लिया हैं की अंडमान और निकोबार के 21 बड़े अज्ञात दीपों के नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा, इस अवसर पीएम मोदी ने सुभाष चंद्र बोस नेताजी को समर्पित राष्ट्रीय समरण के मॉडल का भी अनावरण किया | प्रधान मंत्री ने कहा कि इन 21 द्वीपों को अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्थल बनेगा | बता दे अंडमान और निकोबार 572 द्वीप समूह से मिलकर बना है | अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत का केंद्रशासित प्रदेश हैं यह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिंद महासागर में स्थित है अंडमान और निकोबार द्वीप समूह लगभग 572 छोटे बड़े दीप मिलकर बना है जिनमें कुछ दीपों में लोग रहते हैं जहां की राजधानी पोर्ट ब्लेयर है |
लेकिन क्या आप इस अंडमान और निकोबार के इतिहास को जानते है और यदि नहीं जानते तो हम बता देते हैं अंडमान और निकोबार का इतिहास हम भारत वासियों को नेताजी सुभाष चंद्र के पराक्रम को याद दिलाता है |
काला पानी की सजा, जिसका जिक्र आज भी भारत के इतिहास में किया जाता है जो की स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीय क्रांतिकारियों को भारत से दूर रखने के लिए ब्रिटिश शासन अंडमान निकोबार का प्रयोग किया करता था और यह स्थान आंदोलनकारियों के बीच काला पानी के नाम से प्रसिद्ध था |

नेताजी सुभाष चंद्र बोस और अंडमान निकोबार का गहरा नाता रहा है उस समय इस पर अंग्रेजों का शासन था बाद में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नेपाल ने इसे अपने कब्जे में ले लिया था और कुछ समय तक यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज अधीन रहा | बहुत कम लोग जानते होंगे कि देश पहला आजाद तिरंगा पोर्ट ब्लेयर में ही फहराया गया था | यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर 1943 को यूनियन जैक से उतरकर तिरंगा झंडा फहराया था, 1947 में ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता के बाद यह भारत का केंद्र प्रशासित प्रदेश बना | ये तो हो गई इतिहास की बात लेकिन वर्तमान में भी यह देश के नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का सबब बनेगा | केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार के 21 बड़े अनाम द्वीप अब देश के सबसे बड़े युद्धकालीन पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित बहादुरों के नाम से जाने जाएंगे। प्रधान मंत्री ने साल 2018 में अंडमान-निकोबार यात्रा के दौरान वहां के रोस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वीप किया था। इसके अलावा नील व हेवलॉक द्वीपों के नाम भी बदलकर शहीद द्वीप व स्वराज द्वीप किए गए थे।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री ममता ने इस द्वीपों के नाम बदलने को लेकर फिर केंद्र सरकार पर आरोप लगाए, उन्होंने कहा कि केंद्र सिर्फ लोकप्रियता हासिल करना चाहती है उन्होंने बताया कि 1943 में द्वीप समूह के दौरे के दौरान नेता जी ने खुद द्वीपों के नाम शहीद और स्वराज रखा था |

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