December 26, 2025
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पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट से 58 लाख नाम हटे, SIR पर ममता बनर्जी का चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप !

58 lakh names removed from West Bengal's voter list; Mamata Banerjee levels serious allegations against the Election Commission over the issue!

पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत जारी नई वोटर लिस्ट को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। राज्य की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियां हुई हैं और यह सत्तारूढ़ BJP के हित में की जा रही है।

कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में TMC के बूथ लेवल एजेंटों की बैठक को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव आयोग राज्य सरकार को बिना बताए ऑब्जर्वर नियुक्त कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि SIR के दौरान मतदाताओं की मैपिंग में गंभीर त्रुटियां हैं और कई योग्य मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सुनवाई प्रक्रिया के लिए नियुक्त किए गए कई माइक्रो ऑब्जर्वर स्थानीय भाषा बांग्ला को ठीक से नहीं समझते। ऐसे अधिकारी दूसरे चरण के वेरिफिकेशन के लिए अयोग्य हैं, क्योंकि वे लोगों की बात और दस्तावेजों को सही ढंग से समझ ही नहीं पाएंगे।

दरअसल, चुनाव आयोग ने 19 दिसंबर को पश्चिम बंगाल में SIR के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की थी। इसके अनुसार राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या घटकर 7.08 करोड़ रह गई है, जबकि पहले यह 7.66 करोड़ थी। यानी करीब 58 लाख 20 हजार से ज्यादा मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं।

नई लिस्ट जारी होने के बाद अब सुनवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। पहले चरण में करीब 30 लाख मतदाताओं को नोटिस भेजे जाने की तैयारी है, जिनके एन्यूमरेशन फॉर्म में प्रोजेनी मैपिंग यानी माता-पिता या दादा-दादी से संबंधित जानकारी दर्ज नहीं पाई गई है। इसके अलावा ‘संदिग्ध’ श्रेणी में रखे गए मतदाताओं को भी सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा।

चुनाव आयोग की जांच में सामने आया है कि कई मामलों में मतदाता और उनके माता-पिता या दादा-दादी के बीच उम्र का अंतर असामान्य रूप से कम है। कुछ मामलों में एक ही व्यक्ति को कई मतदाताओं का पिता या दादा दर्शाया गया है। इन्हें ‘संदिग्ध प्रोजेनी मैपिंग’ मानते हुए विशेष जांच शुरू की गई है।

आयोग के अनुसार शुरुआत में ऐसे मामलों की संख्या करीब 1 करोड़ 67(सड़सठ) लाख थी, जो प्राथमिक जांच के बाद घटकर 1 करोड़ 36 लाख रह गई है। इन्हीं मामलों में चरणबद्ध तरीके से सुनवाई के नोटिस जारी होंगे।

सीमा से सटे जिलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। दादा-दादी या परदादा-परदादी के नाम पर सबसे ज्यादा संदिग्ध मैपिंग मुर्शिदाबाद जिले में पाई गई है, जहां ऐसे मतदाताओं की संख्या 4 लाख से अधिक है। इसके बाद दक्षिण 24 परगना और उत्तर 24 परगना का स्थान है।

ड्राफ्ट सूची से नाम हटाने के मामले में भी दक्षिण 24 परगना सबसे ऊपर है, जहां 8 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम काटे गए हैं। आयोग का कहना है कि कुछ मामलों में तकनीकी या डाटा एंट्री की गलती हो सकती है, लेकिन बड़ी संख्या में गड़बड़ी और फर्जीवाड़े की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अब सबकी नजर आने वाली सुनवाई प्रक्रिया पर टिकी हुई है।

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