एक बार फिर से सिलीगुड़ी और बंगाल बंद की तैयारी शुरू हो गई है. वाममोर्चा शासन में आए दिन विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों की ओर से बंगाल बंद का आह्वान किया जाता रहता था.लेकिन तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल बंद की संस्कृति को खत्म कर दिया. हालांकि ममता बनर्जी तथा उनकी पार्टी के विरोध के बावजूद राजनीतिक दल और संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर बंगाल बंद का आह्वान करते रहते हैं.
अब एक बार फिर से 8 जून को बंगाल बंद होने जा रहा है. बंगाल बंद का आह्वान तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी के काफिले पर हमले के विरोध में किया गया है. इसका आह्वान आदिवासियों के विभिन्न संगठनों ने किया है. राज्य के कुल 14 संगठनों ने बांकुड़ा स्थित राधा अकादमी में एक सम्मेलन किया.इस सम्मेलन में यूनाइटेड फोरम ऑफ ऑल ट्राईबल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ वेस्ट बंगाल नामक एक संयुक्त मंच बनाने की घोषणा की गई.
आपको बताते चलें कि शुक्रवार को पश्चिमी मेदनीपुर जिले के शालबनी में अभिषेक बनर्जी तथा उनका काफिला संपर्क यात्रा के क्रम में जा रहा था, उसी समय हमला हुआ था. अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे कुर्मी समुदाय के प्रदर्शनकारियों की भीड़ द्वारा किए गए हमले में वन राज्यमंत्री बीरबहा हांसदा के वाहन समेत काफिले में शामिल कई गाड़ियों के शीशे चकनाचूर हो गए थे.
कुर्मी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एक सरकारी स्कूल के सहायक शिक्षक राजेश महतो का इस घटना के तुरंत बाद स्थानांतरण कर दिया गया था. उनका स्थानांतरण उनके घर से लगभग 700 किलोमीटर दूर कूचबिहार जिले के एक स्कूल में किया गया. इसके बाद से ही यह विवाद छिड़ा हुआ है. भाजपा नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने शिक्षक नेता राजेश महतो के तबादले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी.
कुर्मी समुदाय के लोग काफी समय से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. राज्य के कुल 14 संगठनों जिनमें भारत जकात माझी परगना महल, भारतीय आदिवासी भूमिज समाज, कोरा समाज, साबर और महली समाज, सारा भारत संताल एक, इत्यादि संगठन शामिल है, ने बीरबहा हांसदा तथा अभिषेक बनर्जी के काफिले पर हमले के विरोध में 8 जून को बंगाल बंद का आह्वान किया है.
पश्चिम बंगाल राज्य के पश्चिमी जिलों में कुर्मी संगठन अपने संगठन का विस्तार कर रहे हैं तो दूसरी ओर आदिवासी संगठन भी खुद को मजबूत करने के लिए उतर आए हैं. बंगाल बंद के संबंध में भारतीय आदिवासी भूमिज समाज की केंद्रीय समिति के अध्यक्ष तपन कुमार सरदार ने कहा है कि आदिवासी संवैधानिक अधिकार की रक्षा की मांग को लेकर फोरम का गठन किया गया है. 8 जून को संपूर्ण बंगाल बंद होगा. राज्य के लगभग सभी हिस्सों में रेलवे तथा सड़क यातायात को अवरुद्ध किया जाएगा.
फोरम की इस घोषणा और आह्वान के बाद ऐसा लगता है कि 8 जून को प्रस्तावित बंगाल बंद में शक्ति प्रदर्शन देखा जा सकता है. इसका व्यापक असर हो सकता है. अगर राज्य सरकार ने बंद को रोकने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाए तो सिलीगुड़ी समेत राज्य भर में इसका व्यापक असर देखा जा सकता है.